भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक | 06 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद ने भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2019 [Indian Medical Council (Amendment) Bill, 2019] पारित किया है।
प्रमुख बिंदु
- यह विधेयक भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) द्वितीय अध्यादेश, 2019 को प्रतिस्थापित करेगा, जिसे 21 फरवरी, 2019 को प्रवर्तित किया गया था।
- यह विधेयक भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India- MCI) की समयावधि को तीन वर्ष से घटाकर दो वर्ष करने से संबंधित है। इसी अवधि के दौरान सरकार द्वारा गठित भारतीय चिकित्सा परिषद् के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स इंडियन मेडिकल काउंसिल (IMC) अधिनियम, 1956 के तहत प्राप्त शक्तियों और कार्यों का उपयोग करेंगे।
- 1956 का अधिनियम MCI के गठन की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के भीतर इसके पुनर्गठन का प्रावधान करता है। इस अंतरिम अवधि में, इस अधिनियम के अंतर्गत MCI को प्राप्त शक्तियों का उपयोग करने के लिये केंद्र सरकार को एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के गठन की आवश्यकता होती है।
- इस विधेयक के द्वारा केंद्र सरकार द्वारा गठित बोर्ड को मज़बूत बनाने हेतु इसके सदस्यों की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 कर दी गई।
- सरकार शीघ्र ही राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission -NMC) विधेयक लेकर आएगी जो MCI को एक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission -NMC) से प्रतिस्थापित करेगा और भारत में चिकित्सा शिक्षा प्रणाली का निरीक्षण एवं जाँच भी करेगा।
पृष्ठभूमि
- मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 के तहत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की स्थापना की गई थी, जो चिकित्सा व्यवसाय-संबंधी, नए मेडिकल कॉलेजों के बीच पाठ्यक्रम के पुनरीक्षण मानक तय करता हैं।
- MCI के पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों और मेडिकल कॉलेजों की अपारदर्शी मान्यता (opaque accreditation) की जांच के आरोपों के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मई 2016 में सरकार को यह निर्देश दिया था कि नए कानून आने तक MCI के सभी वैधानिक कार्यों की देखरेख हेतु एक निगरानी समिति का गठन किया जाए। जिसे MCI की सभी शक्तियाँ प्राप्त होंगी।
- वर्ष 2017 में, पहली समिति के एक वर्ष के कार्यकाल की समाप्ति के बाद, शीर्ष अदालत की मंज़ूरी मिलने के पश्चात् एक और निगरानी समिति बनाई गई। हालांकि, समिति ने MCI द्वारा उसके निर्देशों का पालन नहीं करने का हवाला देते हुए जुलाई 2018 में इस्तीफा दे दिया।
- देश में चिकित्सा शिक्षा के संचालन में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता लाने के लिये हेतु भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 2018 के माध्यम से MCI को भंग करने का निर्णय लिया गया। इससे संबंधित मामलों को एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को सौंपा गया जिसमें विशिष्ट चिकित्सकों को शामिल किया गया था। जो 26 सितंबर 2018 को लागू हुआ।