भारतीय विनिर्माण क्षेत्र | 18 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये

OBICUS, भारतीय विनिर्माण क्षेत्र

मेन्स के लिये

अर्थव्यवस्था के विकास में विनिर्माण क्षेत्र की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने विनिर्माण क्षेत्र के लिये आदेश बहियों, माल-सूचियों और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण (Order books, Inventories and Capacity Utilisation Survey-OBICUS) का 49वां दौर शुरू किया है। यह सर्वेक्षण जनवरी-मार्च 2020 (2019-20 की चौथी तिमाही) के लिये आयोजित किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • RBI के अनुसार, इस सर्वेक्षण के आँकड़े सर्वेक्षण पूरा होने के पश्चात् कुछ ही समय में RBI के इनपुट के साथ जारी किये जाएंगे।
  • उल्लेखनीय है कि RBI ने 3 अप्रैल, 2020 को विनिर्माण क्षेत्र के लिये अक्तूबर-दिसंबर 2019 के दौरान OBICUS के 48वें दौर के आँकड़े जारी किये थे, इस दौरान 704 विनिर्माण कंपनियों को कवर किया गया था।
  • सर्वेक्षण के 48वें संस्मरण के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही में क्षमता उपयोग (Capacity Utilisation-CU) घटकर 68.6 प्रतिशत रह गया था, जो उससे पिछली तिमाही में 69.1 प्रतिशत था।

आदेश बहियों, माल-सूचियों और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण 

(Order books, Inventories and Capacity Utilisation Survey-OBICUS) 

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) वर्ष 2008 से प्रत्येक वर्ष तिमाही आधार पर आदेश बहियों, माल-सूचियों और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण (OBICUS) का आयोजन कर रहा है।
  • यह सर्वेक्षण मौद्रिक नीति के निर्माण के लिये आवश्यक बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है।
  • इस सर्वेक्षण में एक विशिष्ट तिमाही के दौरान प्राप्त हुआ नए आदेशों (New Orders), तिमाही की शुरुआत में आदेशों के संचय (Backlog) और तिमाही के अंत में लंबित आदेशों (Pending Orders) के डेटा को शामिल किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त सर्वेक्षण में तिमाही के अंत में अधिनिर्मित उत्पादन (Work-in-Progress) और पूर्णरूप से निर्मित वस्तुओं (Finished Goods) का डेटा भी शामिल होता है।
  • RBI द्वारा सर्वेक्षण से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के माध्यम से क्षमता उपयोग (Capacity Utilisation-CU) के स्तर का अनुमान लगाया जाता है।

भारतीय विनिर्माण क्षेत्र

  • बीते कुछ वर्षों में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र भारत में कुछ प्रमुख उच्च विकास क्षेत्रों में से एक के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में वैश्विक स्तर पर भारत को एक विनिर्माण हब के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से मेक इन इंडिया ’कार्यक्रम की शुरुआत की थी और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक पहचान दिलाई थी।
  • अनुमानानुसार, वर्ष 2020 के अंत तक भारत दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा विनिर्माण देश बन जाएगा, किंतु मौजूदा समय में कोरोनावायरस महामारी का प्रभाव भारत के विनिर्माण क्षेत्र पर भी पड़ सकता है।
  • वर्ष 2017-18 के आँकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र भारत की GDP में कुल 16.7 प्रतिशत योगदान देता है। 
  • ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2022 तक भारत की GDP में विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को 25 प्रतिशत तक बढ़ाना है और विनिर्माण क्षेत्र में तकरीबन 100 मिलियन नए रोज़गारों का निर्माण करना है।

विनिर्माण क्षेत्र का महत्त्व

  • विश्व के जितने भी बड़े और संपन्न राष्ट्र हैं उनके विकास की कहानी को देखें तो ज्ञात होता है कि भारत किन मोर्चों पर पीछे रह गया है।
  • दरअसल, औद्योगिक क्रांति ने समूचे विश्व को यह दिखाया कि यदि किसी देश का विनिर्माण क्षेत्र मज़बूत हो तो वह किस प्रकार उच्च आय वाला देश बन सकता है।
  • चीन इस तथ्य का एक प्रमुख उदाहरण है। हालाँकि कुछ ऐसे भी देश रहे हैं जिन्होंने विनिर्माण के स्थान पर सेवा क्षेत्र (Service-Sector) को बढ़ावा दिया और बेहतर विकास किया, किंतु ऐसे देश आकार और जनसंख्या की दृष्टि से अपेक्षाकृत छोटे हैं।
  • कोई देश जितना कम विनिर्माण करता है उसका आयात उतना ही अधिक होता है। आयात और निर्यात के बीच बढ़ती दूरी व्यापार असंतुलन को बढ़ावा देती है। अतः व्यापार संतुलन को बनाए रखने में विनिर्माण क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • विनिर्माण क्षेत्र में कार्य करने वाला कार्यबल कौशल युक्त होता है और तकनीकी विकास के साथ उसके कौशल में और भी वृद्धि होती है। यदि विनिर्माण क्षेत्र आगे बढ़ता है तो श्रमबल को बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त करने के अवसरों में भी वृद्धि होती है जिससे वह कौशल युक्त बनता है।

निष्कर्ष

विनिर्माण क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। किंतु मौजूदा COVID-19 महामारी का देश के विनिर्माण क्षेत्र पर काफी अधिक प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस प्रकार आवश्यक है कि सरकार कोरोनावायरस को मद्देनज़र रखते हुए देश के विनिर्माण क्षेत्र के विकास हेतु उपर्युक्त नीति का विकास करे, ताकि अर्थव्यवस्था के एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र को संकट की स्थिति से बचाया जा सके।

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड