ईरान से इस्पात आयात को लेकर उद्योग की चिंता | 08 May 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय इस्पात संघ (Indian Steel Association-ISA) ने ईरान से इस्पात आयात के संबंध में भारतीय बैंक संघ (Indian Banks Association-IBA) के समक्ष चिंता व्यक्त की है।
प्रमुख बिंदु
- ISA के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के ज़रिये ईरान से बढ़ता इस्पात आयात बहुत कम दामों पर भारत पहुँच रहा है, जो कि उद्योग जगत के लिये चिंता की बात है।
- चीन की तुलना में ऐसी सामग्री की कीमतों का अंतर करीब 5,000 रुपए प्रति टन है।
- ISA के अनुसार, ईरान से भारत में इस्पात के आयात में CAATSA (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act) के तहत गंभीर प्रावधान वाले अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन किया जा रहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड समाचार-पत्र के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 में ईरान से भारत में इस्पात के आयात में 66 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई थी जबकि, वित्त वर्ष 2018-19 में ईरान ने शून्य निर्यात दर्ज किया।
क्या है ISA की चिंता का कारण?
- बहुत कम दामों पर ईरान से गैर-कानूनी आयात होने के कारण घरेलू इस्पात विनिर्माताओं को काफी नुकसान होगा, विशेषकर ऐसे समय में जब घरेलू मांग में नरमी बनी हुई है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो भारत डंपिंग के लिये एक आसान विकल्प बन जाएगा। इसका एक वज़ह यह है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण अन्य सभी बाज़ार ईरान के निर्यात के लिये पहले ही बंद हो चुके हैं। ऐसे में ISA की चिंता वाज़िब है।
इंडियन स्टील एसोसिएशन
(Indian Steel Association)
- भारतीय लौह और इस्पात उद्योग के एक मंच के रूप में इंडियन स्टील एसोसिएशन सभी लागू कानूनों और विनियमों के अनुपालन में भारत के भीतर तथा बाहर सरकार एवं अन्य हितधारकों के साथ मुद्दों, चिंताओं और चुनौतियों के समाधान की सुविधा प्रदान करेगा।
ईरान के परिदृश्य में बात करें तो
- ईरान दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) को लगभग 30 प्रतिशत इस्पात का निर्यात करता है।
- पिछले आठ वर्षों में इसके अधिशेष में 1.2 करोड़ टन या कुल क्षमता में 36 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है जबकि प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत 14 प्रतिशत तक घटकर 240 किलोग्राम रह गई है। दूसरी ओर निर्यात की मात्रा वर्ष 2011 के दो प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 37 प्रतिशत हो गई है।
भारतीय बैंक संघ
- भारतीय बैंक संघ (Indian Banks' Association-IBA) की स्थापना 26 सितंबर, 1946 को 22 सदस्यों के साथ की गई थी। अप्रैल 2018 तक इस संघ में कुल 249 सदस्य हैं।
विज़न
- इसका उद्देश्य सार्वजनिक रूप से सुसंगत तरीके से एक स्वस्थ, व्यावसायिक और दूरंदेशी, बैंकिंग और वित्तीय सेवा उद्योग के विकास के लिये लगातार काम करना है।
देश में बढ़ेगी इस्पात की मांग
- कुछ समय पहले आई विश्व इस्पात संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में इस्पात की मांग में मौजूदा और अगले वर्ष के दौरान सात प्रतिशत से अधिक का इज़ाफा होने की संभावना है।
- शॉर्ट रेंज ऑउटलुक अप्रैल-2019 (Short Range Outlook-SRO) नामक शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में वैश्विक इस्पात मांग 173.5 करोड़ टन तक पहुँच सकती है जो वर्ष 2018 से 1.3 प्रतिशत अधिक है।
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में यह मांग एक प्रतिशत बढ़कर 175.2 करोड़ टन तक पहुँचने का अनुमान है।
- विश्व इस्पात संघ के अनुसार, वर्ष 2018 के दौरान विकसित अर्थव्यवस्थाओं में इस्पात की मांग में 1.8 प्रतिशत तक का इज़ाफा हुआ है जबकि वर्ष 2017 में 3.1 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
- वर्ष 2019 के दौरान मांग में 0.3 प्रतिशत और 2020 में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है। यह व्यापार की खराब स्थिति को दर्शाता है।
- चीन को छोड़कर उभरती अर्थव्यवस्थाओं में इस्पात की मांग वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में क्रमश: 2.9 प्रतिशत और 4.6 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
- भारत के संदर्भ में बात करें तो व्यापक स्तर पर बढ़ती बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं की मदद से वर्ष 2019 और वर्ष 2020 दोनों ही वर्षों में इस्पात की मांग में सात प्रतिशत से भी अधिक का इज़ाफा होने की संभावना है।
- एशिया में चीन को छोड़कर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में मांग वर्ष 2019 और वर्ष 2020 के दौरान क्रमश: 6.5 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है जिससे यह क्षेत्र वैश्विक इस्पात उद्योग में सबसे तेज़ी से बढऩे वाला क्षेत्र बन जाएगा।
विश्व इस्पात संघ
(World Steel Association)
- विश्व इस्पात संघ दुनिया के सबसे बड़े और सबसे गतिशील उद्योग संघों में से एक है, इसके सदस्य विश्व के प्रत्येक प्रमुख इस्पात उत्पादक देशों में हैं।
- यह इस्पात उत्पादकों, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय इस्पात उद्योग संघों एवं इस्पात अनुसंधान संस्थानों का प्रतिनिधित्त्व करता है।
- इसके सदस्य वैश्विक इस्पात उत्पादन के लगभग 85% का प्रतिनिधित्त्व करते हैं। एसआरओ (Short Range Outlook-SRO) में प्रेजेंटेशन, अनुमान और अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारियों का समावेशन किया जाता है ताकि भविष्यगामी दृष्टिकोण प्राप्त किया जा सके।