क्या भारतीय पश्चिमी दुनिया के आपराधिक गिरोहों का हिस्सा हैं | 11 Jan 2017
सन्दर्भ
दूसरी और तीसरी पीढ़ी के प्रवासी भारतीय युवा पश्चिमी देशों में आपराधिक गिरोहों में शामिल हो रहे हैं| एक ओर, जहाँ हाल ही में प्रवासी भारतीय सम्मलेन के दौरान भारतीयों की उपलब्धियों का उत्सव मनाया गया, उसी दौरान ऐसी खबरों का आना समस्त भारतीय जनसमुदाय के लिये चिंता का विषय है|
प्रमुख बिंदु
- क्लीवलैंड, ओहियो में भारतीय मूल के प्रोफेसर श्री श्रीनाथ ने अमेरिका के आपराधिक गिरोहों में भारतीयों की बढ़ती संख्या का मुद्दा उठाया है, शीघ्र ही और इससे निपटने की ज़रूरत पर बल दिया हैं।
- प्रवासियों से संबंधित एक सत्र में बोलते हुए उन्होंने ध्यान आकर्षित किया और कहा कि दूसरी और तीसरी पीढ़ी के प्रवासी भारतीय अपराधों में शामिल हो रहे हैं।
- उनके अनुसार, इनमे से कई बच्चों को जब गिरोह की गतिविधियों में घसीटा गया उस समय उनमें से कुछ की उम्र मात्र 14 वर्ष थी |
- न्यूज़ीलैंड के सामाजिक कार्यकर्त्ताओं के अनुसा,र न्यूज़ीलैंड में गिरोहों द्वारा भारतीयों को विभिन्न अपराधों में शामिल किया जाता है, जैसे- ड्रग-ट्रेफिकिंग, चोरी, डकैती इत्यादि|
- कई युवा भारतीयों को कोकीन और मारिजुआना के वर्जित व्यापार में देखा गया है|
- तथ्य यह है कि मामलों की संख्या में वृद्धि के बावजूद अधिकांश भारतीय परिवार बदनामी के डर से यह खुलासा करने की कोशिश नहीं करते, जबकि वे जानते हैं कि उनके बच्चों ने अपराधिक जीवन को अपनाया है।
- समस्या का एक पहलू यह भी है की इन बच्चों के कृत्यों का दर्द जो उनके परिवारों को उठाना पड़ता है, उसे दरकिनार कर दिया जाता है|
निष्कर्ष
यदि कोई भारतीय समुदाय कह रहा है कि उसके लोग किन्ही ऐसी गतिविधियों में तो लिप्त नहीं है, तो यह झूठ है क्योंकि किसी वर्ग या धर्म विशेष पर लांछन लगाकर, खुद को निरपराध घोषित कर देने के स्थान पर, यह समझना आवश्यक है कि इस दुश्चक्र से अब कोई भी अछूता नहीं रह गया है| अतः समस्या के उत्पन्न होने की स्थितियों का पता लगाकर समय रहते सुधर करना होगा ताकि युवा प्रवासी भारतीय विश्व में भारतीय समुदाय का नाम रोशन करते रहें और उनकी सफलता का उत्सव जारी रहे|