अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दिव्यांग बच्चों को गोद लेने से भारतीयों को परहेज़
- 10 Apr 2018
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चर्चा में क्यों?
देश में गोद लेने के लिये सर्वोच्च निकाय केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority-CARA) के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, भारत में दिव्यांग बच्चों को गोद लेने वाली संख्या में प्रति वर्ष कमी हो रही है। जबकि विदेशी माता-पिता द्वारा दिव्यांग बच्चों को गोद लेने की संख्या में पिछले वर्ष 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
प्रमुख बिंदु
- भारत में सामान्यतया माता-पिता दिव्यांग बच्चों (Differently-abled children) को गोद नहीं लेते हैं।
- दिव्यांग बच्चों को गोद लेने के संबंध में भारतीय माता-पिता की तुलना में विदेशी माता-पिता का अनुपात अधिक है। यह अनुपात क्रमश 1:7 है।
- 2017-2018 में विदेशी आवेदकों द्वारा कुल 355 दिव्यांग बच्चों को अपनाया गया था, जो कि पिछले वर्ष 2016-17 के 237 बच्चों की तुलना में अधिक हैं।
- जबकि वर्ष 2017-2018 में भारतीय माता-पिता ने केवल 46 ऐसे बच्चों को अपनाया है। यह संख्या 2015-2016 में 76 और 2016-2017 में 49 थी।
- भारत में माता-पिता सामान्यतया स्वस्थ बच्चे को गोद लेने को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि यहाँ दिव्यांगता के प्रति लोगों की विचारधारा संकुचित है।
- इसके साथ ही यहाँ स्कूली शिक्षा, सार्वजनिक स्थानों पर पहुँच और रोज़गार के अवसरों की कमी आदि से संबंधित मुद्दों के चलते भी भारतीय माता-पिता दिव्यांग बच्चों को गोद लेने से बचते हैं।
- जबकि विदेशों में बेहतर सामाजिक सुरक्षा एवं अन्य सुविधाओं के कारण विदेशी माता-पिता दिव्यांग बच्चों को भी गोद ले लेते हैं।
केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority-CARA)
- केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है।
- यह भारतीय अनाथ बच्चों के पालन पोषण, देखभाल करने एवं गोद देने के लिये एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण को भारतीय बच्चों को भारत में एवं अंतर-देशीय स्तर पर गोद लेने संबंधी प्रक्रिया को मॉनिटर एवं विनियमित करने का अधिदेश प्राप्त है।
- केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण को हेग कन्वेंशन 1993 के अनुसार, अंतर-देशीय स्तर पर गोद लेने संबंधी प्रक्रिया विनियमित करने हेतु केंद्रीय प्राधिकरण बनाया गया है।
- इस कन्वेंशन को भारत सरकार द्वारा 2003 में अनुमोदित किया गया।