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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत 'विशेष विशेषाधिकार' (special privileges) खो देगा: ईरानी राजनयिक

  • 11 Jul 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नई दिल्ली में एक वरिष्ठ ईरानी राजनयिक ने कहा कि यदि भारत सऊदी अरब, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका की आपूर्ति के साथ ईरानी क्रूड को बदलने की कोशिश करता है तो ईरान भारत के "विशेष विशेषाधिकार" (“special privileges”) को समाप्त कर देगा।

प्रमुख बिंदु

  • ईरानी राजनयिक ने यह कहा है कि ऊर्जा और कनेक्टिविटी जैसे सामरिक मुद्दों पर जब भी संभव हुआ ईरान ने भारत की मदद की है, लेकिन अभी तक भारत ने चाबहार बंदरगाह में अपने निवेश संबंधी वादे पूरे नहीं किये हैं।
  • मध्य एशियाई क्षेत्र में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की बाज़ारों तक पहुँच स्थापित करने में सक्षम चाबहार बंदरगाह में भारत के निवेश स्तर से ईरान संतुष्ट नहीं है।
  • वर्ष 2012 से 2015 के बीच पिछले दौर में अमेरिकी प्रतिबंधों के दौरान ईरान ने भारत को तेल आपूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये पूरी मदद दी थी।
  • ईरान का कहना है कि यदि भारत ईरान को अन्य देशों के साथ 10% तेल मांग के लिये प्रतिस्थापित करेगा तो उसे डॉलर-आधारित आयात पर अपनी निर्भरता बढ़ानी पड़ेगी जिससे सीएडी यानी भारत के चालू खाता घाटे में वृद्धि होगी और साथ ही ईरान से प्राप्त अन्य सभी विशेषाधिकारों से भी वंचित होना पड़ेगा।
  • दरअसल, ईरान की इस प्रतिक्रिया का मुख्य कारण ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत को दी गई वह सलाह है, जिसमें कहा गया है कि भारत को ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति में कटौती करनी चाहिये।
  • हालाँकि, ईरानी अधिकारियों ने कहा है कि ईरान भारतीय आवश्यकताओं जैसे- पेट्रोलियम, यूरिया और एलएनजी के लिये एक खुला बाज़ार बना रहा है और ईरान, भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को भी समझता है।
  • संयुक्त व्यापक योजना(जेसीपीओए)या ईरान के परमाणु समझौते से अमेरिकी वापसी के विषय में ईरानी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका दुनिया पर एकतरफा भारी लागत लगा रहा है।
  • उन्होंने चेतावनी दी है कि खाड़ी क्षेत्र में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और संघर्ष बढेगा तो यह भारत और चीन जैसे बढ़ती शक्तियों को भी प्रभावित करेगा।
  • इसके अलावा ईरान ने उम्मीद जताई है कि भारत चाबहार बंदरगाह में किया गया सहयोग और विकास वास्तव में सामरिक प्रकृति का है, तो भारत इस संबंध में तत्काल आवश्यक कदम उठाएगा।
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