विविध
भारत जल प्रभाव सम्मेलन-2018
- 05 Dec 2018
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चर्चा में क्यों?
5 से 7 दिसंबर, 2018 के बीच नई दिल्ली में भारत जल प्रभाव सम्मेलन-2018 (India Water Impact Summit-2018) का आयोजन किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- इस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga-NMCG) और गंगा नदी बेसिन प्रंबधन एवं अध्ययन केंद्र (Centre for Ganga River Basin Management and Studies- cGanga) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
- इस वर्ष गंगा नदी बेसिन के संरक्षण पर विचार किया जाएगा।
- इसमें गंगा नदी के संरक्षण हेतु किये गए विभिन्न प्रयासों पर विचार किया जाएगा, जिसमें आँकड़ों का संग्रह करना, जल-विज्ञान, ई-फ्लो, कृषि और अपशिष्ट जल जैसे मुद्दे शामिल हैं।
- इस सम्मेलन में 15 देशों के लगभग 200 घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी हिस्सा लेंगे, जिनमें 50 से अधिक केंद्रीय, राज्य और नगरीय प्रशासनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
- सम्मेलन के दौरान वृक्षारोपण और जैव विविधता, शहरी नदी/जल प्रबंधन योजनाएँ, गंगा पुनरुद्धार कार्यक्रम (Ganga Rejuvenation Programme) के वित्तपोषण हेतु वैश्विक पारिस्थितिकी के निर्माण तथा दीर्घावधि परियोजना हेतु वित्त के लिये वैश्विक पूंजी बाज़ार से पूंजी जुटाने जैसे मुद्दों पर सत्रों का आयोजन किया जाएगा।
सम्मेलन के दौरान तीन प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
- पाँच राज्यों पर ध्यान केंद्रित करनाः ये पाँच राज्य हैं- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और बिहार। इस सम्मेलन के अंतर्गत इऩ राज्यों में जल संरक्षण हेतु किये जा रहे प्रयासों और कार्यों पर विचार किया जाएगा।
- गंगा वित्तपोषण मंच (Ganga Financing Forum)– सम्मेलन के दौरान गंगा वित्त पोषण मंच का उद्घाटन भी किया जाएगा। वित्तपोषण मंच नमामि गंगे संबंधी कार्यक्रमों में निवेश करने के इच्छुक वित्तीय संस्थानों और निवेशकों को एकजुट करेगा।
- प्रोद्योगिकी और नवाचार (Technology and Innovation)- पर्यावरण प्रौद्योगिकी जाँच (Environment Technology Verification- ETV) प्रक्रिया के रूप में ज्ञात प्रायोगिक/प्रदर्शनात्मक कार्यक्रमों का संचालन। इसके ज़रिये विश्व भर की प्रौद्योगिकी और नवाचार कंपनियों को नदी बेसिन में व्याप्त समस्याओं के समाधान के लिये अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा।
सम्मेलन के बारे में
- भारत जल प्रभाव सम्मेलन एक वार्षिंक कार्यक्रम है जिसमें देश में जल से संबंधित कुछ सबसे बड़ी समस्याओं के आदर्श समाधान ढूँढ़ने पर विचार विर्मश किया जाता है।
- पहली बार इस सम्मेलन का आयोजन वर्ष 2012 में किया गया था।