भारत-वियतनाम वार्ता | 28 Nov 2020
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और वियतनाम के रक्षा मंत्रियों के बीच रक्षा उद्योग के क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और संयुक्त राष्ट्र (UN) के शांति अभियानों में सहयोग जैसे विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- रक्षा सहयोग: दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने भारत और वियतनाम के बीच मज़बूत रक्षा संबंधों की पुष्टि की, जो कि दोनों देशों की ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ (2016) का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है।
- रक्षा उद्योगों समेत भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने हेतु ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को रेखांकित करते हुए भारत ने निकट भविष्य में एक संस्थागत समझौते का समापन करके दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच और अधिक सहयोग स्थापित करने का आग्रह किया।
- वियतनाम ने विशेष रूप से मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में वियतनामी रक्षा बलों के क्षमता निर्माण में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा की गई सहायता के लिये भारत को धन्यवाद दिया।
- द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भारत ने भारतीय रक्षा संस्थानों में वियतनाम रक्षा बलों की तीनों सेनाओं के लिये प्रशिक्षण का दायरा और अधिक बढ़ाने हेतु इच्छा व्यक्त की।
- गौरतलब है कि दोनों देशों ने हथियार और सैन्य उपकरणों की खरीद, क्षमता निर्माण और युद्धपोत निर्माण तथा मरम्मत के क्षेत्र में सहयोग हेतु संबंध स्थापित किये हैं।
- संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान: दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सहयोग करने पर चर्चा, जो कि अलग-अलग देशों को संघर्ष से शांति तक के कठिन मार्ग में सहायता करता है।
- हाइड्रोग्राफी के क्षेत्र में सहयोग: दोनों देशों ने हाइड्रोग्राफी के क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की, जो कि दोनों देशों को हाइड्रोग्राफिक डेटा साझा करने में सक्षम बनाएगा।
- हाइड्रोग्राफी (Hydrography) का अभिप्राय विज्ञान की उस शाखा से है, जिसमें पृथ्वी की सतह के नौगम्य भाग और उससे सटे तटीय क्षेत्रों की भौतिक विशेषताओं को मापा जाता है एवं उसका वर्णन किया जाता है।
- ADMM प्लस मीटिंग: वियतनाम के प्रतिनिधि ने दिसंबर 2020 में वियतनाम द्वारा आयोजित आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग- प्लस (ADMM-Plus) के लिये भारत को आमंत्रित किया।
- ADMM-प्लस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) और इसके आठ संवाद साझेदारों यथा- ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूज़ीलैंड, कोरिया, रूस और अमेरिका का एक मंच है, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘प्लस-देशों’ के रूप में जाना जाता है। ADMM-प्लस का उद्देश्य इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के लिये सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग को मज़बूत करना है।
- ज्ञात हो कि वियतनाम आसियान (ASEAN) का सदस्य देश है।
- आसियान (ASEAN) एक क्षेत्रीय समूह है जो अपने दस सदस्यों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
भारत-वियतनाम संबंध
- भारत और वियतनाम ने भारत के इंडो-पैसिफिक ओसियन इनिशिएटिव (IPOI) और आसियान की ‘आउटलुक ऑन इंडो-पैसिफिक’ पहल के अनुरूप अपना द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है।
- यह निर्णय इस दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण है कि यह दक्षिण चीन सागर सहित संपूर्ण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता और चीन तथा भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हो रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में लिया गया है।
- विभिन्न मंचों पर सहयोग:
- वर्ष 2021 से दो वर्ष की अवधि के लिये भारत और वियतनाम दोनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में गैर-स्थायी सदस्य के रूप में कार्य करेंगे।
- भारत और वियतनाम दोनों पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS), मेकांग गंगा सहयोग (MGC), एशिया-यूरोप मीटिंग (ASEM) जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मंचों पर निकटता से सहयोग करते हैं।
- आर्थिक संबंध
- भारत ने कई अवसरों पर यह स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह वियतनाम के साथ अपने तेल और गैस के अन्वेषण के संबंधों को बरकरार रखेगा।
- आसियान देशों में सिंगापुर के बाद वियतनाम भारत के लिये दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
- अप्रैल-नवंबर 2019 की अवधि में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन 9.01 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया था।
- भारतीय सहायता
- भारत ने त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (QIP), भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) और e-ITEC पहलों, पीएचडी फेलोशिप और वियतनाम के मेकांग डेल्टा क्षेत्र में जल संसाधन प्रबंधन में परियोजनाओं आदि के माध्यम से भारत ने वियतनाम के विकास और क्षमता निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- पर्यटन और पीपल-टू-पीपल संपर्क
- वर्ष 2019 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में नामित किया था। दोनों देशों ने द्विपक्षीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सरलीकृत वीज़ा व्यवस्था को बढ़ावा दिया है।
- भारत के दूतावास ने वर्ष 2018-19 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिये विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया था।
आगे की राह
- ध्यातव्य है कि भारत और वियतनाम दोनों भौगोलिक रूप से उभरते हुए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के केंद्र में हैं, और संभव है कि दोनों देश भविष्य में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाए, ऐसे में दोनों देशों के मज़बूत संबंध काफी आवश्यक हैं।
- भारत-वियतनाम सहयोग ढाँचे के तहत रणनीतिक साझेदारी भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के तहत निर्धारित किये गए दृष्टिकोण के निर्माण हेतु काफी महत्त्वपूर्ण होगी।