अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत - यूक्रेन
- 10 Feb 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूक्रेन ने भारतीय रक्षा बाज़ार में अपनी उपस्थिति को मज़बूती प्रदान करने के प्रयासों के अलावा भारत से कुछ सैन्य हार्डवेयर खरीदने में रुचि दिखाई है।
- यह भारतीय रक्षा क्षेत्र में सुधारों और आत्मनिर्भर भारत अभियान के साथ तालमेल स्थापित करता है जिसका उद्देश्य भारत को रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।
प्रमुख बिंदु
- यूक्रेन ने 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर के चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों के लिये नए हथियारों की बिक्री उनके रखरखाव तथा उन्नयन (आर -27 एयर-टू-एयर मिसाइल) शामिल है।
- यूक्रेन ने भारत को अपने AN-178 मध्यम परिवहन विमान को बेचने का भी संकेत दिया है।
- वर्ष 2009 में हुए एक समझौते के तहत यूक्रेन वर्तमान में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force- IAF) के AN-32 परिवहन बेड़े को अद्यतन कर रहा है
- यूक्रेन की टीम ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) के साथ भी विचार-विमर्श किया और अनुसंधान तथा विकास के क्षेत्र में सहयोग की संभावना जताई।
भारत-यूक्रेन संबंध:
राजनयिक संबंध:
- सोवियत संघ के विघटन के तुरंत बाद भारत सरकार ने दिसंबर 1991 में यूक्रेन गणराज्य को एक संप्रभु स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी।
- कीव (Kyiv) में भारत का दूतावास मई 1992 में स्थापित किया गया था और यूक्रेन ने फरवरी 1993 में नई दिल्ली में अपना मिशन स्थापित किया।
- भारत और यूक्रेन के बीच सौहार्द एवं मैत्रीपूर्ण संबंध हैं तथा दोनों शिक्षा, पारस्परिक कानूनी सहायता व बाह्य अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग करते हैं।
रक्षा संबंध:
- यूक्रेन अपनी आज़ादी के बाद से भारत के लिये सैन्य प्रौद्योगिकी और उपकरणों का एक स्रोत रहा है।
- यूक्रेन R-27 एयर-टू-एयर मिसाइलों का भी निर्माण करता है जिसका उपयोग भारतीय वायुसेना द्वारा अपने SU-30MKI लड़ाकू विमानों में किया जाता है।
- अब भारत दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिये यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति भी कर रहा है।
व्यापार:
- भारत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यूक्रेन का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है और पाँचवाँ सबसे बड़ा समग्र निर्यात गंतव्य है।
- भारत द्वारा यूक्रेन को किया जाने वाला अधिकांश निर्यात फार्मास्यूटिकल्स से संबंधित है।
संस्कृति:
- वहाँ देश भर में फैले 30 से अधिक यूक्रेनी सांस्कृतिक संघ/समूह भारतीय नृत्य को बढ़ावा देने के कार्य में लगे हुए हैं।
- यूक्रेन में लगभग 18,000 भारतीय छात्र मुख्य रूप से चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययन कर रहे हैं। भारतीय व्यावसायिक पेशेवर मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, शिक्षा आदि के क्षेत्र में कार्य करते हैं।
चुनौतियाँ:
- वर्ष 2014 में मास्को ने क्रीमियाई प्रायद्वीप (Crimean Peninsula) पर कब्ज़ा कर लिया जिसके कारण रूस और यूक्रेन के बीच संबंध खराब हो गए, इससे भारत के लिये एक संभावित दुविधा उत्पन्न हो गई।
- हाल ही में एक रूसी प्रेस विज्ञप्ति में रूस द्वारा निर्मित और बेचे जाने वाले सैन्य उपकरणों को यूक्रेन में पुनर्व्यवस्थित किये जाने पर आपत्ति जताई गई है।
- यूक्रेन के साथ व्यापार करने वालों पर रूस ने आपत्ति जताना शुरू कर दिया है।
- रूस से विवाद की संभावना इसलिये भी है क्योंकि वर्तमान में भारतीय वायु सेना (IAF) AN-32 के अपने बेड़े को पुनर्व्यवस्थित करने के लिये यूक्रेन के साथ सहयोग कर रही है।
यूक्रेन
स्थान:
- यूक्रेन, पूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी कीव है, जो उत्तर-मध्य यूक्रेन में नीपर नदी (Dnieper River) के तट पर स्थित है।
आसपास के देश और समुद्र:
- यूक्रेन की सीमा उत्तर में बेलारूस, पूर्व में रूस, आज़ोव का सागर और दक्षिण में काला सागर, दक्षिण-पश्चिम में मोल्दोवा व रोमानिया तथा पश्चिम में हंगरी, स्लोवाकिया एवं पोलैंड से लगती है।
- सुदूर दक्षिण-पूर्व में यूक्रेन को केर्च जलडमरूमध्य (Kerch Strait) द्वारा रूस से अलग किया गया है, जो आज़ोव सागर को काला सागर से जोड़ता है।
इतिहास:
- दिसंबर 1991 में U.S.S.R (सोवियत संघ) के विघटन के साथ यूक्रेन को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
- देश ने अपना आधिकारिक नाम बदलकर यूक्रेन कर लिया और इसने स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (CIS) को उन देशों का एक संघ बनाने में मदद की जो पूर्व में सोवियत संघ के गणराज्य थे।
हाल के मुद्दे:
- हाल ही में रूस द्वारा क्रीमियाई प्रायद्वीप पर कब्ज़े के बाद रूस तथा यूक्रेन के बीच शत्रुता की स्थिति उत्पन्न हो गई।
- जून 2020 में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization- NATO) की अंतर-पहल भागीदारी के तहत यूक्रेन ‘इन्हेन्स्ड ऑपर्च्युनिटी पार्टनर (EOP)’ बना।
- यूक्रेन, यूरोपीय यूनियन और नाटो की सदस्यता भी चाहता है, यह एक ऐसा कदम है जो रूस के साथ अन्य तनावों को हल करने के प्रयासों को बाधित कर सकता है।