भारत-ब्रिटेन संबंध | 27 Oct 2022
प्रिलिम्स के लिये:इंडो-पैसिफिक, FTA मेन्स के लिये:भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
- वह देश में वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता के परिदृश्य में पिछले 50 दिनों के भीतर सत्ताधारी कंज़रवेटिव पार्टी के तीसरे प्रधानमंत्री हैं इससे पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और उसके बाद लिज़ को अविश्वास के माध्यम से पद से हटा दिया गया था।
ऋषि सुनक:
भारत-ब्रिटेन संबंधों के लिये अवसर:
- यह भारत और ब्रिटेन के लिये वैश्विक मुद्दों पर एक साथ मिलकर काम करने एवं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में भारतीय मूल के व्यक्ति के उत्थान के साथ द्विपक्षीय संबंधों हेतु रोडमैप 2030 को लागू करने का एक अवसर है।.
- भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों के परिप्रेक्ष्य में ब्रिटेन का दृष्टिकोण केवल भारत में वस्तुओं को बेचने के अवसर से, काफी आगे निकल गया है, और अब ब्रिटेन को भी "भारत से सीखना" चाहिये।
- भारत और ब्रिटेन के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते से आयात और निर्यात प्रवाह में वृद्धि, निवेश प्रवाह (बाहरी तथा आवक दोनों) में वृद्धि, संसाधनों के अधिक कुशल आवंटन के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के लिये अधिक खुलेपन से आर्थिक विकास एवं समृद्धि में वृद्धि होने की उम्मीद है।
भारत-ब्रिटेन साझेदारी क्यों महत्त्वपूर्ण है:
- UK के लिये: भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बाज़ार हिस्सेदारी और रक्षा दोनों ही विषयों में UK के लिये एक प्रमुख रणनीतिक भागीदार है जो वर्ष 2015 में भारत तथा UK के बीच ‘रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी’ (Defence and International Security Partnership) पर हस्ताक्षर द्वारा रेखांकित भी हुआ।
- ब्रिटेन के लिये भारत के साथ सफलतापूर्वक FTA का संपन्न होना ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ की उसकी महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देगा क्योंकि UK ‘ब्रेक्जिट’ (Brexit) के बाद से यूरोप से परे भी अपने बाज़ारों के विस्तार की आवश्यकता तथा इच्छा रखता है।
- ब्रिटेन एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में वैश्विक मंच पर अपनी जगह सुदृढ़ करने के लिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अवसरों का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है।
- भारत से अच्छे द्विपक्षीय संबंधों के साथ वह इस लक्ष्य को बेहतर ढंग से हासिल कर सकने में सक्षम होगा।
- भारत के लिये: हिंद प्रशांत में UK एक क्षेत्रीय शक्ति है क्योंकि इसके पास ओमान, सिंगापुर, बहरीन, केन्या और ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र में नौसैनिक सुविधाएँ हैं।
- यूके(UK) ने भारत में अक्षय ऊर्जा के उपयोग का समर्थन करने के लिये ब्रिटिश अंतर्राष्ट्रीय निवेश निधि के 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भी पुष्टि की है, जिससे इस क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा बुनियादी ढाँचे के निर्माण एवं सौर ऊर्जा के विकास में मदद मिलेगी।
- भारत ने मत्स्य पालन, फार्मा और कृषि उत्पादों के लिये बाज़ार तक आसान पहुँच के साथ-साथ श्रम-गहन निर्यात के लिये शुल्क रियायत की भी मांग की है।
दोनों देशों के बीच वर्तमान प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दे क्या हैं?
- भारतीय आर्थिक अपराधियों का प्रत्यर्पण:
- यह मुद्दा भारतीय आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण का है जो वर्तमान में ब्रिटेन की शरण में हैं और अपने लाभ के लिये कानूनी प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं।
- स्पष्ट रूप से भारतीय आपराधिक मामले, जिनमे प्रत्यर्पण का आह्वान होता है, दर्ज़ होने के बावजूद विजय माल्या, नीरव मोदी और अन्य अपराधियों ने लंबे समय से ब्रिटिश व्यवस्था की शरण ली हुई है।
- ब्रिटिश और पाकिस्तानी डीप स्टेट के बीच अम्बिलिकल लिंक:
- वोट बैंक की राजनीति के अलावा ब्रिटेन में उपमहाद्वीप से एक बड़े मुस्लिम समुदाय का अस्तित्व, विशेष रूप से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मीरपुर जैसे स्थानों के कारण विसंगति को बढ़ावा देता है।
- वाइट ब्रिटेन की गैर-स्वीकृति:
- एक अन्य चिंता वाइट ब्रिटेन द्वारा वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के विकास को अस्वीकार करना है, विशेष कर मीडिया में।
- वर्तमान प्रधानमंत्री के नेतृत्त्व में भारत ने GDP के मामले में ब्रिटेन को पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पीछे छोड़ दिया है और निरंतर आगे बढ़ रहा है।
- नस्ल के आधार या ब्रिटिश साम्राज्य की शाही विरासत के मामले में एक आधुनिक और आत्मविश्वासी भारत एवं एक ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत के बीच कोई अंतर नहीं है।
- एक अन्य चिंता वाइट ब्रिटेन द्वारा वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के विकास को अस्वीकार करना है, विशेष कर मीडिया में।
ब्रिटिश और भारतीय संसदीय प्रणाली में अंतर:
- भारत में सरकार की संसदीय प्रणाली काफी हद तक ब्रिटिश संसदीय प्रणाली पर आधारित है। हालाँकि यह कभी भी ब्रिटिश प्रणाली की प्रतिकृति नहीं बनी और निम्नलिखित मामलों में भिन्न है:
- भारत में ब्रिटिश राजतंत्रीय व्यवस्था के स्थान पर एक गणतांत्रिक व्यवस्था है। दूसरे शब्दों में भारत में राज्य का प्रमुख (राष्ट्रपति) चुना जाता है, जबकि ब्रिटेन में राज्य के प्रमुख (राजा या रानी) को वंशानुगत पद प्राप्त होता है।
- ब्रिटिश प्रणाली संसद की संप्रभुता के सिद्धांत पर आधारित है, जबकि संसद भारत में सर्वोच्च नहीं है और लिखित संविधान, संघीय प्रणाली, न्यायिक समीक्षा एवं मौलिक अधिकारों के कारण सीमित तथा प्रतिबंधित शक्तियों का उपयोग करती है।
- ब्रिटेन में प्रधानमंत्री को संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) का सदस्य होना चाहिये। भारत में प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य हो सकता है।
- आमतौर पर केवल संसद सदस्यों को ही ब्रिटेन में मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है। भारत में व्यक्ति जो संसद का सदस्य नहीं है, उसे भी मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन अधिकतम छह महीने की अवधि के लिये।
- ब्रिटेन में मंत्री की कानूनी ज़िम्मेदारी की व्यवस्था है, जबकि भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। ब्रिटेन के विपरीत भारत में मंत्रियों को राज्य के प्रमुख के आधिकारिक कृत्यों पर प्रतिहस्ताक्षर करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- 'छाया कैबिनेट' ब्रिटिश कैबिनेट प्रणाली की एक अद्वितीय संस्था है। इसका गठन विपक्षी दल द्वारा सत्तारूढ़ कैबिनेट को संतुलित करने और अपने सदस्यों को भविष्य के मंत्रिस्तरीय कार्यालय के लिये तैयार करने हेतु किया जाता है। भारत में ऐसी कोई संस्था नहीं है।
आगे की राह
- संस्कृति, इतिहास और भाषा के गहरे संबंध पहले से ही यूके को एक संभावित मज़बूत आधार प्रदान करते हैं जिससे भारत के साथ संबंधों को और गहरा किया जा सकता है।
- पूरी तरह से नई परिस्थितियों के साथ भारत और ब्रिटेन को यह समझना चाहिये कि दोनों को अपने बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये एक-दूसरे की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. हमने ब्रिटिश मॉडल के आधार पर संसदीय लोकतंत्र को अपनाया, लेकिन हमारा मॉडल उस मॉडल से कैसे अलग है?( 2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न: भारत और ब्रिटेन की न्यायिक व्यवस्था हाल के दिनों में अभिसरण के साथ-साथ अलग-अलग होती दिख रही है। न्यायिक प्रथाओं के संदर्भ में दोनों देशों के बीच अभिसरण एवं विचलन के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालिये। (मुख्य परीक्षा, 2020) |