अंतर्राष्ट्रीय संबंध
चीन के साथ व्यापार घाटे के कारण आरसीईपी (RCEP) वार्ता पर बढ़ती चिंताएँ
- 01 May 2018
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चर्चा में क्यों ?
चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2017-18 में बढ़कर $62.8 बिलियन पहुँच गया है जो 2016-17 में $51 बिलियन था। चिंता जताई जा रही है कि प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के कारण यह स्थिति और खराब हो सकती है क्योंकि इस समझौते के अंतर्गत बड़े स्तर पर टैरिफों का उन्मूलन किया जाना है जिससे भारतीय बाज़ारों में चीनी माल की बाढ़ आ सकती है।
प्रमुख बिंदु
- 16 आरसीईपी देशों के अधिकारी जिनमें 10 सदस्यीय आसियान, भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हैं, सिंगापुर में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं और साल के अंत तक वार्ता संपन्न करने हेतु प्रयासरत हैं।
- भारतीय अधिकारियों के अनुसार, भारत से आसियान देशों और चीन द्वारा उनकी वस्तुओं हेतु भारतीय बाज़ार तक पहुँच (market access) में और अधिक वृद्धि की मांग की जा रही है। लेकिन, चूँकि भारत और चीन के मध्य व्यापार घाटे में निरंतर वृद्धि हो रही है, अतः चीन को वैसी ही रियायतें नहीं दी जा सकती जैसी आसियान देशों को दी जा सकती हैं।
- आसियान देश चाहते हैं कि भारत 92 प्रतिशत से अधिक वस्तुओं पर टैरिफ खत्म करने के लिए सहमत हो और सभी सदस्यों को समान रियायतें देकर अपने ऑफरों में समानता बनाए रखे।
- आसियान भारत पर महत्त्वाकांक्षी टैरिफ कटौती हेतु सहमत होने के लिये दबाव डाल रहा है ताकि 2018 के अंत तक वार्ता समाप्त हो जाए और इसमें ज़्यादा देरी न हो।
- भारतीय अधिकारियों के अनुसार, भारत आरसीईपी वार्ता में उस पर बनाए जा रहे दबाव को कम करने की कोशिश करेगा, क्योंकि अन्य सदस्य देशों द्वारा सेवाओं के मामले में दिये गए ऑफरों में भी सुधार की आवश्यकता है।
- अधिकांश आरसीईपी सदस्यों ने सेवाओं में बहुत रूढ़िवादी ऑफर दिये हैं, जिनसे बाज़ार पहुँच में मज़बूत सुधार की संभावना कम है।
- भारत न केवल टैरिफ कटौती के बाद संभावित चीनी वस्तुओं की बाढ़ से अपने बाज़ार को सुरक्षित करना चाहता है, बल्कि यह अपनी प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन हेतु एक लंबी अवधि भी चाहता है।
- भारतीय उद्योग चीन को बड़ी टैरिफ कटौती की पेशकश करने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि इससे घरेलू कारोबार में काफी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।
- ध्यातव्य है कि चीन से भारत का आयात 2017-18 में $76.27 बिलियन हो गया, जो वित्तीय वर्ष 2016-17 में $61.28 बिलियन था। जबकि भारत का चीन को 2017-18 में निर्यात $13.33 बिलियन एवं 2016-17 में $10.17 बिलियन था।
क्या है आरसीईपी?
- यह एक मेगा मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है। इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 16 देश शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये इसके सदस्य देशों के बीच व्यापार नियमों
को उदार एवं सरल बनाना है।
- भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) पर वार्ता को आगे ले जाने के लिये पूरी तरह प्रतिबद्ध है, परंतु, इसके लाभ को समान रूप से साझा करने के लिये आवश्यक है कि यह समझौता सभी 16 देशों के बीच संतुलित हो।
- आरसीईपी समझौते के संपन्न होने के पश्चात् यह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापारिक ब्लॉक हो सकता है क्योंकि इसके अंतर्गत दुनिया की 45 प्रतिशत जनसंख्या आती है और इसका सकल घरेलू उत्पाद लगभग $21 ट्रिलियन है।