भूगोल
भारत में सामान्य मानसून: आईएमडी
- 15 Apr 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:आईएमडी, दक्षिण-पश्चिम मानसून, लंबी दूरी का पूर्वानुमान, अल नीनो, ला नीना, सूखा। मेन्स के लिये:मानसून और उसका महत्त्व, मानसून का बदलता पैटर्न। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने वर्ष 2022 के लिये अपना पहला दीर्घावधि पूर्वानुमान (Long Range Forecast- LRF) जारी किया, जिसमें कहा गया है कि देश में लगातार चौथे वर्ष मानसून सामान्य रहने की संभावना है।
- इस वर्ष के लिये 'सामान्य' दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान लगाते हुए IMD ने औसत वर्षा की परिभाषा को भी संशोधित किया है।
- प्रत्येक वर्ष IMD दो चरणों में पूर्वानुमान जारी करता है: पहला अप्रैल में और दूसरा मई के अंतिम सप्ताह में, यह एक अधिक विस्तृत पूर्वानुमान है जो देश में मानसून से संबंधित जानकारी प्रदान करता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD):
- इसकी स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science- MoES) की एक एजेंसी है।
- यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।
पूर्वानुमान की मुख्य विशेषताएँ:
- भारत में रहेगा सामान्य मानसून:
- भारत को दीर्घावधि औसत ( Long Period Average- LPA) वर्षा का 99% हिस्सा प्राप्त होगा, वर्ष 2018 में यह 89 सेमी. से 88 सेमी. हो गया था तथा वर्ष 2022 में आवधिक अद्यतन में फिर से 87 सेमी. हो गया।
- जब वर्षा LPA के 96% और 104% के बीच होती है तो मानसून को "सामान्य" माना जाता है।
- भारत को दीर्घावधि औसत ( Long Period Average- LPA) वर्षा का 99% हिस्सा प्राप्त होगा, वर्ष 2018 में यह 89 सेमी. से 88 सेमी. हो गया था तथा वर्ष 2022 में आवधिक अद्यतन में फिर से 87 सेमी. हो गया।
- अपेक्षित अल नीनो :
- IMD को अल नीनो की उम्मीद नहीं है, लेकिन वर्तमान में ला नीना की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में प्रचलित है जो मानसून के दौरान जारी रहेगी।
- अल नीनो मध्य प्रशांत के गर्म होने और उत्तर-पश्चिम भारत में सूखा पड़ने तथा आने वाले मानसून से जुड़ी एक घटना है।
- ला नीना की घटनाएँ पूर्व-मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र सतह के औसत तापमान से नीचे की अवधि का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- यह कम-से-कम पाँच बार लगातार तीन महीने के मौसम के दौरान समुद्र की सतह के तापमान में 0.9℉ से अधिक की कमी प्रदर्शित करती है।
- IMD को अल नीनो की उम्मीद नहीं है, लेकिन वर्तमान में ला नीना की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में प्रचलित है जो मानसून के दौरान जारी रहेगी।
- ‘सामान्य’ तथा ‘सामान्य से अधिक’ वर्षा:
- वर्तमान संकेत प्रायद्वीपीय भारत, मध्य भारत और हिमालय की तलहटी के उत्तरी भागों में ‘सामान्य’ और ‘सामान्य से अधिक’ वर्षा का अनुमान प्रदान करते हैं।
- पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और दक्षिण भारत के दक्षिणी हिस्सों में मानसून के कमज़ोर रहने की संभावना है।
दीर्घावधि औसत (LPA):
- IMD के अनुसार, वर्षा का LPA एक विशेष क्षेत्र में निश्चित अंतराल (जैसे- महीने या मौसम) के लिये दर्ज की गई वर्षा है, जिसकी गणना 30 साल, 50 साल की औसत अवधि के दौरान की जाती है।
- IMD बेंचमार्क ‘दीर्घावधि औसत’ (Long Period Average- LPA) वर्षा के संबंध में ‘सामान्य’, ‘सामान्य से कम’ या ‘सामान्य से अधिक’ मानसून का पूर्वानुमान प्रदान करता है।
- IMD ने पूर्व में वर्ष 1961-2010 की अवधि के लिये LPA की गणना 88 सेमी. तथा वर्ष 1951-2000 की अवधि के लिये 89 सेमी. की थी।
- सामान्य मानसून का IMD का पूर्वानुमान वर्ष 1971-2020 की अवधि के लिये LPA पर पूरे देश में औसतन 87 सेमी. बारिश पर आधारित था।
- जबकि यह मात्रात्मक बेंचमार्क पूरे देश के लिये जून से सितंबर तक दर्ज की गई औसत वर्षा को संदर्भित करता है, प्रत्येक वर्ष होने वाली बारिश की मात्रा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तथा एक महीने से दूसरे महीने में भिन्न होती है।
- इसलिये संपूर्ण देशव्यापी आँकड़ों के साथ IMD देश के हर क्षेत्र के मौसम के लिये LPA की गणना करता है।
- शुष्क उत्तर-पश्चिम भारत के लिये यह संख्या लगभग 61 सेमी. तथा आर्द्र पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत के लिये 143 सेमी. से अधिक तक होती है।
LPA की आवश्यकता क्यों है?
- वर्षा के रुझान को सुचारू रखने हेतु:
- प्रवृत्तियों को सुचारू रखने हेतु LPA काफी आवश्यक होता है, ताकि एक सटीक अनुमान लगाया जा सके, क्योंकि IMD 2,400 से अधिक स्थानों और 3,500 वर्षा-गेज स्टेशनों पर वर्षा डेटा रिकॉर्ड करता है।
- क्योंकि वार्षिक वर्षा न केवल एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में और महीने दर महीने, बल्कि वर्ष दर वर्ष भी एक विशेष क्षेत्र या महीने के भीतर बहुत भिन्न हो सकती है।
- किसी भी दिशा में बड़े बदलाव को कवर करना:
- 50 वर्षीय LPA असामान्य रूप से उच्च या निम्न वर्षा (‘अल नीनो’ या ‘ला नीना’ जैसी घटनाओं के परिणामस्वरूप) के साथ-साथ आवधिक सूखा और जलवायु परिवर्तन के कारण तीव्रता से बढती चरम मौसमी घटनाओं की वजह से किसी भी दिशा में होने वाले बड़े बदलावों को कवर करता है।
सामान्य मानसून की रेंज:
- वर्ष 1971-2020 की अवधि के लिये पूरे देश में मौसमी वर्षा का LPA 87 सेमी. है।
- IMD की अखिल भारतीय पैमाने पर पाँच वर्षा वितरण श्रेणियाँ हैं, ये हैं:
- सामान्य या लगभग सामान्य: जब वास्तविक वर्षा का प्रतिशत विचलन LPA का +/- 10% होता है, यानी LPA का 96-104% के बीच।
- सामान्य से कम: जब वास्तविक वर्षा का विचलन LPA के 10% से कम होता है, जो कि LPA का 90-96% है।
- सामान्य से अधिक: जब वास्तविक वर्षा LPA का 104-110% हो।
- न्यून: जब वास्तविक वर्षा का विचलन LPA के 90% से कम हो।
- आधिक्य: जब वास्तविक वर्षा का विचलन LPA के 110 प्रतिशत से अधिक हो।
विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c)
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