चीन सीमा पर भारत द्वारा सड़कों का निर्माण | 14 Oct 2017

संदर्भ

हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने यह निर्णय लिया है कि वह भारत-चीन सीमा पर (जिसमें डोकलाम से लगा हुआ क्षेत्र भी शामिल है) अवसंरचना निर्माण को बढ़ावा देगा, जहाँ दोनों देशों की सीमाएँ दो माह तक गतिरोध की स्थिति में थी।

प्रमुख बिंदु

  • यह निर्णय आर्मी कमांडरों के सम्मेलन में लिया गया है। इसमें हाल ही में डोकलाम पर हुई चीन के साथ झड़प पर भी विचार किया गया। इसके अतिरिक्त इसमें उत्तरी सीमा पर मौजूद संभावित सुरक्षा चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
  • यह निर्णय इसलिये लिया गया है कि इस क्षेत्र में सड़क निर्माण गतिविधियों की ओर विशेष ध्यान दिया जा सके और इसके लिये वर्ष 2020 तक नीति, लिपुलेख, थागला और संगचोकला नामक दर्रों को आपस में जोड़ा जाएगा।
  • इस अवसर पर कमांडरों ने मौजूदा क्षमता को बढाने के लिये कुछ संरचनाओं के संगठनात्मक संरचना की भी जाँच की और इस बात की ओर संकेत किया कि वर्तमान में आर्मी प्रमुख अपनी तैयारियों को सशक्त बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • रक्षा मंत्री ने इस सम्मेलन को संबोधित किया तथा बाह्य और अंदरूनी खतरों का सामना करने के लिये आर्मी को प्रभावी भूमिका निभाने को कहा।
  • रक्षा मंत्री ने विरोधी बलों के विरुद्ध संरक्षण की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है। 
  • सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को संदर्भित करते हुए रक्षा मंत्री ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता को रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने सीमा क्षेत्रों में उभरती चुनौतियों के लिये सभी सेवाओं के एकीकरण पर भी बल दिया।
  • आर्मी प्रमुख का कहना था कि आर्मी को किसी भी समय होने वाले हमले अथवा विपरीत हालातों के लिये तैयार किया जा रहा है। अतः इसमें सबसे अधिक प्राथमिकता हथियार, गोला-बारूद और उपकरणों की खरीद को दी है।

डोकलाम विवाद 

  • डोकलाम भूटान और चीन के बीच का विवादित क्षेत्र है। भारत का कहना है कि यह क्षेत्र भूटान का है और चीनी सैनिक इस क्षेत्र में घुस आए हैं, जिससे भारत के रणनीतिक हित प्रभावित होते हैं।
  • लगभग दो महीने तक चले डोकलाम सीमा विवाद में जापान ने भारत का समर्थन किया था।
  • जापान उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जिन्हें डोकलाम की मौजूदा स्थिति से आधिकारिक तौर पर अवगत कराया गया है।

भारत की स्थिति

  • चीन की आक्रामक नीतियाँ इस समय एक ऐसा ग्लू (Glue) है, जो चीन के सीमावर्ती देशों को निकट लाकर उन्हें आपस में जोड़ने का काम कर रहा है।
  • पाकिस्तान-चीन गठजोड़ किसी से छिपा नहीं है तथा नेपाल, श्रीलंका, म्याँमार और बांग्लादेश को भी चीन अपने ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ में गूंथ चुका है। 
  • सामरिक नज़रिये से इस इलाके में भारतीय सेना को रणनीतिक बढ़त हासिल है। इसी वज़ह से चीन यहाँ सड़कें बनाकर अपनी स्थिति को मज़बूत करने की कोशिश में लगा था।
  • चीन की मंशा भारत को नीचा दिखाने की इसलिये भी है कि भारत एकमात्र ऐसा एशियाई देश है जो इस क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने का साहस रखता है। चीन के OBOR में शामिल न होकर भारत ने यह सिद्ध भी कर दिखाया है।