भारतीय समाज
भारत और इसकी आबादी
- 23 Dec 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश, TFR, पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर अनुपात। मेन्स के लिये:भारत का जनसांख्यिकीय परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
अप्रैल 2023 में 1.43 अरब के साथ भारत की आबादी चीन की आबादी से अधिक होने की संभावना है।
- वर्ष 2022 में ऐसा पहली बार है जब चीन अपनी जनसंख्या में पूर्ण गिरावट दर्ज करेगा।
इन बदलावों के कारक:
- मृत्यु दर और प्रजनन क्षमता:
- अशोधित मृत्यु दर (CDR): CDR प्रतिवर्ष प्रति 1,000 आबादी पर मरने वाले व्यक्तियों की संख्या है, यह वर्ष 1950 में चीन के लिये 23.2 और भारत के लिये 22.2 था।
- चीन का अशोधित मृत्यु दर (CDR) पहली बार वर्ष 1974 में 9.5 तक के इकाई अंक में पहुँची, जबकि भारत के लिये यह वर्ष 1994 में 9.8 थी, इसके बाद वर्ष 2020 में दोनों देशों के लिये यह दर घटकर क्रमशः 7.3 और 7.4 तक पहुँच गई।
- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा: एक अन्य मृत्यु दर संकेतक जन्म के समय जीवन प्रत्याशा है। वर्ष 1950 और 2020 के बीच चीन की जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 43.7 से बढ़कर 78.1 वर्ष और भारत की 41.7 से बढ़कर 70.1 वर्ष हो गई।
- कुल प्रजनन दर: कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate-TFR) वर्ष 1950 में चीन के लिये प्रति महिला पर कुल बच्चों की औसत संख्या 5.8 और भारत हेतु 5.7 थी।
- भारत का TFR वर्ष 1992-93 के 3.4 से गिरकर वर्ष 2019-2021 में 2 हो गया।
- अशोधित मृत्यु दर (CDR): CDR प्रतिवर्ष प्रति 1,000 आबादी पर मरने वाले व्यक्तियों की संख्या है, यह वर्ष 1950 में चीन के लिये 23.2 और भारत के लिये 22.2 था।
- TFR में निरंतर गिरावट:
- TFR में गिरावट के बावजूद आबादी में वृद्धि हो सकती है। डी-ग्रोथ के लिये विस्तारित अवधि हेतु TFR को प्रतिस्थापन स्तर से नीचे रहने की आवश्यकता होती है।
- इसके प्रभावस्वरूप वर्तमान बच्चों में से कुछ ही भविष्य में माता-पिता बन सकेंगे और इसका प्रभाव कुछ पीढ़ियों बाद दिखाई देगा।
- चीन का TFR पहली बार वर्ष 1991 में प्रतिस्थापन स्तर से नीचे देखा गया था जो भारत में लगभग 30 वर्ष पहले था।
चुनौतियांँ और अवसर:
- चुनौतियांँ:
- ग्रह पर सर्वाधिक लोगों का होना भारत के लिये तब तक अत्यधिक नकारात्मक साबित हो सकता है जब तक कि यह अपनी आबादी को भोजन, शिक्षा, आवास, स्वास्थ्य सेवाएँ और रोज़गार प्रदान नहीं करता है।
- इस चुनौती का स्तर अत्यधिक व्यापक है।
- भारत में जल की कमी एक पुरानी समस्या है। साथ ही ये सभी ज़रूरतें महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन भारत के समक्ष अब तक सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य रोज़गार सृजन करना है। इस विशेष चुनौती का स्तर वास्तव में चुनौतीपूर्ण है।
- वर्ष 2020 में भारत में 15-64 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग में 900 मिलियन लोग (कुल जनसंख्या का 67%) शामिल थे।
- वर्ष 2030 तक इसमें और 100 मिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है।
- अवसर:
- UNSC में स्थायी सदस्यता के लिये दावा: यदि भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाता है तो यह भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने हेतु दावा करने का अवसर प्रदान करेगा।
- नई आबादी के परिणामस्वरूप भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की अपनी मौजूदा मांग को आगे बढ़ाने में सक्षम होगा।
- भू-राजनीतिक वास्तविकता बदल गई है और नई शक्तियाँ उभर रही हैं, जो पुरानी शक्तियों जैसे रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्राँस और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ स्थान प्राप्ति के लायक हैं।
- राजकोषीय दायित्त्व में वृद्धि: वित्तीय संसाधनों को बच्चों पर खर्च करने के बजाय आधुनिक भौतिक और मानव बुनियादी ढाँचे में निवेश किया सकता है जो भारत की आर्थिक स्थिरता को बढ़ाएगा।
- कार्यबल में वृद्धि: 65% से अधिक कामकाज़ी उम्र की आबादी के साथ भारत एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर सकता है, जो आने वाले दशकों में एशिया के आधे से अधिक संभावित कार्यबल की आपूर्ति करेगा।
- श्रम बल में वृद्धि, जो अर्थव्यवस्था की उत्पादकता को बढ़ाती है।
- महिला कार्यबल में वृद्धि जो स्वाभाविक रूप से प्रजनन क्षमता में गिरावट के साथ देखी जाती है और विकास का एक नया स्रोत बन सकती है।
- UNSC में स्थायी सदस्यता के लिये दावा: यदि भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाता है तो यह भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने हेतु दावा करने का अवसर प्रदान करेगा।
भारत की रणनीति:
- सामूहिक समृद्धि रणनीति:
- विदेशों में कार्यरत एक छोटी आबादी से भारत को प्राप्त होने वाला बड़ा प्रेषण इस बात की पुष्टि करता है कि हमारी व्यापक समृद्धि रणनीति मानव पूंजी और औपचारिक नौकरियाँ होनी चाहिये।
- 0.8% सॉफ्टवेयर रोज़गार कार्यकर्त्ता सकल घरेलू उत्पाद का 8% उत्पन्न करते हैं।
- हमारी निवासी आबादी के 2% से कम की विदेशी आबादी ने प्रेषण संबंधी आँकड़ों को पिछले वर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से पार ले जाने की उम्मीद को बल प्रदान किया है।
- रोज़गार में गुणात्मक स्थानांतरण:
- पिछले पाँच वर्षों के दौरान खाड़ी देशों में कम-कुशल, अनौपचारिक रोज़गार से उच्च-आय वाले देशों में उच्च-कुशल औपचारिक नौकरियों में गुणात्मक स्थानांतरण महत्त्वपूर्ण है।
- वर्ष 2021 में अमेरिका ने 23% प्रेषण के साथ संयुक्त अरब अमीरात को सबसे बड़े स्रोत देश के रूप में प्रतिस्थापित किया। एफडीआई से लगभग 25% अधिक और सॉफ्टवेयर निर्यात से 25% कम की हमारी समृद्ध विदेशी मुद्रा प्रेषण प्राप्ति मानव पूंजी एवं औपचारिक नौकरियों से प्राप्त अच्छे परिणाम को दर्शाती हैं।
- पिछले पाँच वर्षों के दौरान खाड़ी देशों में कम-कुशल, अनौपचारिक रोज़गार से उच्च-आय वाले देशों में उच्च-कुशल औपचारिक नौकरियों में गुणात्मक स्थानांतरण महत्त्वपूर्ण है।
- अतिरिक्त नौकरियाँ:
- कार्यस्थल पर बड़ी संख्या में युवा लोगों की क्षमता का उपयोग करने के लिये भारत को वर्ष 2023 से हर वर्ष करीब 12 मिलियन अतिरिक्त गैर-कृषि नौकरियों का सृजन करने की आवश्यकता होगी।
- यह वर्ष 2012 व 2018 के बीच वार्षिक रूप से सृजित चार मिलियन गैर-कृषि नौकरियों का तिगुना था।
- भारत को उद्योगों में निवेश करने हेतु सक्षम होने के लिये प्रतिवर्ष 10% की विकास दर की आवश्यकता होगी ताकि युवाओं के कौशल का उपयोग किया जा सके।
- शिक्षा में निवेश:
- भारत को इस बड़े कार्यबल से जनसांख्यिकीय लाभांश मिलने की उम्मीद है और साथ ही इससे प्राप्त होने संभावित लाभों के लिये शिक्षा में निवेश की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरा लाभ प्राप्त करने के लिये भारत को क्या करना चाहिये? (2013) (a) कौशल विकास को बढ़ावा देना उत्तर: (a) प्रश्न. समालोचनात्मक परीक्षण करें कि क्या बढ़ती जनसंख्या गरीबी का कारण है या गरीबी भारत में जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। (मुख्य परीक्षा, 2015) |