भारत द्वारा ए.ए.डी. सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण | 01 Jan 2018
चर्चा में क्यों?
भारत द्वारा स्वदेशी एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। इसे बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (Ballistic Misslie Defence-BMD) प्रणाली के एक भाग के रूप में विकसित किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- भारत ने किसी भी बैलेस्टिक मिसाइल हमले को बीच में ही नाकाम करने में सक्षम मल्टी लेयर बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित करने के प्रयासों के तहत स्वदेश निर्मित सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
- यह इस साल का तीसरा परीक्षण था, जिसमें एक इंटरसेप्टर मिसाइल द्वारा पृथ्वी के वायुमंडल के 30 किमी. ऊँचाई की परास में आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को सफलतापूर्वक रोक दिया गया।
- यह परीक्षण ओडिशा के अब्दुल कलाम आइलैंड (पूर्व में व्हीलर आइलैंड) पर किया गया।
- लक्ष्य मिसाइल के रूप में पृथ्वी मिसाइल को इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR), चांदीपुर से प्रक्षेपित किया गया।
भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) कार्यक्रम
- इस पहल का उद्देश्य एक बहु-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली को विकसित और तैनात करना है।
- बीएमडी सिस्टम में दो इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं।
- पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (पीडीवी) - यह वायुमंडल के बाहर (Exo-Atmospheric) अथवा पृथ्वी से 50-150 किलोमीटर की ऊंचाई के लिये इंटरसेप्टर मिसाइल है।
- यह मौजूदा पृथ्वी वायु रक्षा (Pruthvi Air Defence-PAD) प्रणाली (प्रद्युम्न) का स्थान लेगी, जिसकी अधिकतम सीमा 80 किलोमीटर है।
- एडवांस्ड एरिया डिफेंस - यह वायुमंडल के भीतर (Endo- Atmospheric) अथवा पृथ्वी से 20-40 किलोमीटर की ऊँचाई के लिये इंटरसेप्टर मिसाइल है। इसे ‘अश्विन’ नाम दिया गया है।
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अनुसार इस प्रणाली को 2022 तक पूर्ण रूप से तैनात कर दिया जाएगा।
- बीएमडी प्रणाली के पहले चरण की 2,000 किलोमीटर की परास को दूसरे चरण में 5000 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा।
- भारत के अलावा ऐसी रक्षा प्रणाली अमेरिका, रूस, चीन और इजराइल के पास भी है।
भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) कार्यक्रम की पृष्ठभूमि
- 1990 के दशक के उत्तरार्द्ध में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दो स्तरीय बीएमडी सिस्टम विकसित करना शुरू किया था।
- इंटरसेप्टर मिसाइल का पहली बार परीक्षण 2006 में किया गया था। हालाँकि, इसका एकीकृत मोड (एक्सो और एंडो साथ) में अभी तक परीक्षण नहीं किया गया है।
- एक पूर्ण बहु-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली प्राप्त करने के प्रयासों के तहत पहले दो परीक्षण 1 मार्च और 11 फरवरी, 2017 को आयोजित किये गए थे।
इंटरसेप्टर मिसाइल क्या है?
- इंटरसेप्टर मिसाइल एक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे दुश्मन देश की इंटरमीडिएट रेंज तथा अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (Intercontinental Ballistic Missiles-ICBM) जैसी बैलिस्टिक मिसाइलों का सामना करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
बैलिस्टिक मिसाइल क्या है?
- बैलिस्टिक मिसाइल हवा में एक अर्द्धचंद्राकार पथ (Ballistic Trajectory) का अनुसरण करती है और रॉकेट के साथ इनका संपर्क खत्म होने पर इनमें लगा हुआ बम गुरुत्व के प्रभाव से ज़मीन पर गिरता है। इसलिये एक बार प्रक्षेपित करने के बाद इनके लक्ष्य पर कोई नियंत्रण नहीं होता है।
- बैलिस्टिक मिसाइल का उपयोग परमाणु, रासायनिक, जैविक या पारंपरिक हथियारों की बैलिस्टिक पथ पर डिलीवरी के लिये किया जाता है।
बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज़ मिसाइल से अलग कैसे है?
- बैलिस्टिक मिसाइलें छोड़े जाने के बाद हवा में एक अर्द्धचंद्राकर पथ का अनुसरण करती हैं और रॉकेट से उनका संपर्क खत्म होने के बाद उनमें लगा हुआ बम गुरुत्व के प्रभाव से लक्ष्य पर गिरता है, जबकि क्रूज़ मिसाइलें पृथ्वी की सतह के समांनांतर चलती हैं।
- बैलिस्टिक मिसाइलों का आकार क्रूज़ मिसाइलों से काफी अधिक होता है। एक बार प्रक्षेपित होने के बाद इन्हें आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता है।
- बैलिस्टिक मिसाइलें अपना ईंधन और प्रयुक्त होने वाली ऑक्सीजन साथ लेकर चलती हैं, जबकि क्रूज़ मिसाइलें अपना ईंधन तो साथ लेकर चलती हैं, किंतु ऑक्सीजन को वायुमंडल से ग्रहण करती हैं।
- बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल सामान्यत: परमाणु बमों के लिये ही होता है, लेकिन इनका इस्तेमाल पारंपरिक हथियारों के साथ भी हो सकता है। जबकि, क्रूज़ मिसाइल पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिये ही कारगर मानी जाती हैं, लेकिन अपने छोटे आकार और कम लागत के कारण उनका प्रयोग पारंपरिक हथियारों के लिये ज़्यादा होता है।
- भारत द्वारा रूस के सहयोग से निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल क्रूज़ मिसाइल का उदाहरण है, जबकि भारत की पृथ्वी-I और II, अग्नि-I और II तथा धनुष मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइल का उदाहरण है।