WIPO बैठक में भारत अन्यायपूर्ण प्रस्ताव के खिलाफ | 20 Jun 2018
संदर्भ
छोटे देशों के लिये पेटेंट की प्रक्रिया हेतु प्रतिनिधित्व देने का मार्ग प्रशस्त करने वाले एक प्रस्ताव ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में घबराहट पैदा कर दी है। जिनेवा में आयोजित विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization -WIPO) की बैठक में प्रस्तावित पेटेंट सहयोग संधि (Patent Cooperation Treaty-PCT) कार्यकारी समूह की बैठक में चर्चा के लिये तैयार है| संधि विनियमन में संशोधन पर भारत के आपत्ति व्यक्त करने की उम्मीद है।
संशोधन से छोटे देशों के संप्रभु अधिकारों के प्रभावित होने का डर
- इस कदम से उन छोटे देशों के संप्रभु अधिकार प्रभावित हो सकते हैं जिनके पास अपने खुद के पेटेंट करने की क्षमता नहीं है|
- जिस प्रकार व्यापार से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार (TRIPS) समझौता सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में विकासशील देशों को अनुमति देता है ठीक वैसे ही एक छोटे से देश द्वारा पेटेंट के लिये अधिकार प्रदत्त देश लचीलेपन का उपयोग नहीं कर सकते हैं|
- इसके अलावा, WIPO-PCT बैठक इस विषय पर चर्चा करने के लिये सही मंच नहीं है, फोकस "क्षमता निर्माण" पर होना चाहिये ताकि छोटे देश अपनी पेटेंट प्रक्रमण क्षमताओं में सुधार कर सकें।
- PCT का लक्ष्य 152 सदस्य देशों में पेटेंट आवेदकों के लिये अपनी छत्र छाया में प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है।
- लेकिन PCT विनियमों में एक नया नियम 50 bis पेश करने का प्रस्ताव ट्रिप्स के लचीले नियमों से समझौता करने के समान होगा|
- यदि छोटे देश ट्रिप्स के लचीले नियमों का उपयोग नहीं करते हैं और उन उत्पादों पर पेटेंट देते हैं जो वे अन्यथा नहीं देते थे, तो यह भारतीय निर्यात को प्रभावित कर सकता है|
- पेटेंट, अन्वेषक पेटेंट धारक को विनिर्माण और विपणन में 20 साल की विशिष्टता देता है जो कि औषधि की दुनिया में विवाद का प्रमुख कारण है|
- सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं ने ऐसा अनुभव किया है कि पेटेंट एकाधिकारवादी कार्यकलापों का कारण बनते हैं जहाँ औषधियों की कीमत सामान्य रोगियों की पहुँच से परे हो जाती है| अन्वेषक दावा करते हैं कि अनुसंधान की लागत की क्षतिपूर्ति के लिये कीमतें बढ़ाना आवश्यक था।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में ट्रिप्स समझौते ने विकासशील देशों को कुछ लचीलेपन की अनुमति दी थी| आईपी विशेषज्ञों ने इस पर सावधानी बरतने को कहा है क्योंकि प्रस्तावित संशोधन में लचीलेपन से समझौता किया जा सकता है।
- विश्व व्यापार संगठन-प्रशासन ने ट्रिप्स समझौते को प्रशासित किया है जिसके तहत नवाचारों को पेटेंट कराने की आवश्यकता होती है जिसमें एक नया आविष्कार शामिल होता है, लेकिन मानदंडों को परिभाषित करने के लिये इसे उन देशों के कानूनों पर छोड़ दिया जाता है जहाँ ऐसे नवाचारों की खोज होती है|
- विशेषज्ञों का कहना है कि विकासशील देशों को सलाह दी गई थी कि वे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों, जीनों, पौधों, बीजों, नए उपयोगों और मौजूदा औषधियों को पेटेंट से बाहर करने के लिये कठोर पेटेंट मानकों को लागू करें।
- ऐसे मानकों को लागू करके एक देश गुणवत्ता वाले पेटेंट रख सकता है और किफायती दवाओं तक पहुँच बना सकता है।
- लेकिन यह सब संशोधन के तहत ही बदला जा सकता है| पेटेंट आवेदनों का परीक्षण प्रतिनिधि कार्यालयों के पेटेंटिबिलिटी मानदंडों और प्रथाओं के अनुसार किया जाएगा जो ट्रिप्स के लचीलेपन का उपयोग नहीं कर सकते|दरअसल, संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उच्च स्तर के पैनल की रिपोर्ट (सितंबर 2016) में भी यह सुझाव दिया गया था कि WIPO कठोर सार्वजनिक स्वास्थ्य-संवेदनशील पेटेंटिबिलिटी मानदंडों को लागू करने के लिये राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर पेटेंट परीक्षकों की क्षमता को मज़बूत करे।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)
- विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) संयुक्त राष्ट्र (UN) की 15 विशेष एजेंसियों में से एक है|
- WIPO का गठन 1967 में रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने तथा दुनिया भर में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये किया गया था।
- WIPO के वर्तमान में 191 देश सदस्य हैं जो अंतर्राष्ट्रीय संधियों को प्रबंधित करते हैं| इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
- संयुक्त राष्ट्र के 188 सदस्य देशों के साथ कुक द्वीप समूह, होली सी और नियू (niue) WIPO के सदस्य हैं।
पेटेंट सहयोग संधि (PCT)
- पेटेंट सहयोग संधि (PCT) 1970 में संपन्न एक अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट कानून संधि है।
- यह प्रत्येक अनुबंधित राज्य में आविष्कारों की रक्षा के लिये पेटेंट आवेदनों को दाखिल करने हेतु एक एकीकृत प्रक्रिया प्रदान करता है।
- PCT के तहत दायर पेटेंट आवेदन को अंतर्राष्ट्रीय आवेदन या PCT आवेदन कहा जाता है।