भारत तथा दक्षिण अफ्रीका ने WTO से की ई-कॉमर्स नियमों की पुनः जाँच की मांग | 17 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
ई-कॉमर्स के क्षेत्र में अग्रणी अमेज़न, अलीबाबा और वॉलमार्ट कंपनियों के बीच भारतीय बाज़ार के लिये ज़ारी प्रतिस्पर्द्धा को देखने के बाद भारत और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) पूछा है कि इलेक्ट्रॉनिक सामानों के संचरण पर सीमा शुल्क को लागू नहीं करने के मौजूदा नियमों को ज़ारी रखना उचित है अथवा नहीं।
प्रमुख बिंदु
- 12 जुलाई, 2018 को विश्व व्यापार संगठन में भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा प्रसारित एक संयुक्त प्रस्ताव में कहा गया है कि 1998 में प्रचलित वास्तविकताओं में दो दशक बाद महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं।
- दोनों विकासशील देशों (भारत और दक्षिण-अफ्रीका) के अनुसार "ये परिवर्तन," विकास के दृष्टिकोण से विशेष रूप से राजकोषीय पक्ष पर अस्थायी अधिस्थगन (Temporary Moratorium) के प्रभावों की पुन: जाँच की आवश्यकता को दर्शाते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के संचरण (जिसमें शुरुआत में केवल ई-बुक, संगीत और विभिन्न प्रकार की सेवाओं जैसे "डिजिटलीकृत उत्पादों" को शामिल किया गया था) में कई गुना वृद्धि को देखते हुए, सभी मुद्दों की पुन: जाँच करना आवश्यक है।
- इससे पहले, इंडोनेशिया ने भी WTO के ब्यूनस आयर्स मंत्रिस्तरीय बैठक में इलेक्ट्रॉनिक संचरण पर अधिस्थगन की निरंतरता का विरोध किया था, जिसमें तर्क दिया गया था कि इसका असर सीमा शुल्क और घरेलू कंपनियों पर पड़ा है।
दोनों देशों द्वारा दिया गया तर्क
- दोनों देशों द्वारा दिया गया तर्क यह था कि वर्तमान में जिन वस्तुओं का व्यापार इलेक्ट्रॉनिक संचरण के माध्यम से किया जा रहा है, उन पर सीमा शुल्क अधिस्थगन के परिणामस्वरूप राजस्व में अधिक हानि होगी।
- अमेरिका के नेतृत्व में प्रमुख औद्योगिक देशों सिंगापुर, कोरिया और हॉन्गकॉन्ग जैसे कई विकासशील देशों द्वारा मांग की गई कि अस्थायी अधिस्थगन को स्थायी बनाया जाए ताकि यह इंटरनेट के माध्यम से सामानों के कारोबार को सुनिश्चित कर सके।
1998 से लागू है इलेक्ट्रॉनिक संचरण पर सीमा शुल्क न लगाने का नियम
- 1998 से WTO के सदस्य इलेक्ट्रॉनिक संचरण पर सीमा शुल्क को लागू नहीं करने पर सहमत हैं।
अमेरिका का तर्क
- इससे पहले प्रसारित एक प्रस्ताव में अमेरिका द्वारा यह तर्क दिया गया कि इस समझौते के अंतर्गत अनिवार्य रूप से डिजिटल उत्पादों को शुल्क मुक्त करने की आवश्यकता है।
- अमेरिका का मानना है कि व्यापार नियमों द्वारा यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सरकारें डिजिटल उत्पादों पर सीमा शुल्क न लगाने की प्रक्रिया जारी रखें या इस प्रक्रिया को बंद कर दिया जाए।
- अमेरिका ने सूचनाओं के मुक्त प्रवाह, मालिकाना सूचना की सुरक्षा, डिजिटल सुरक्षा, इंटरनेट सेवाओं को सुविधाजनक बनाने, प्रतिस्पर्धी दूरसंचार बाजारों और डिजिटल माध्यमों के माध्यम से व्यापार सुविधा के लिये अधिकतमतम "इलेक्ट्रॉनिक्स वाणिज्य पहल" (Electronic Commerce Initiative) का प्रस्ताव भी दिया।
- यूरोपीय संघ और अन्य औद्योगिक रूप से उन्नत तथा विकासशील देशों द्वारा अमेरिका के एजेंडे को भी प्रतिबिंबित किया गया है।
चीन, उदारीकरण के नियमों का प्रबल समर्थक
- चीन इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य को नियंत्रित करने वाले नियमों के महत्वाकांक्षी उदारीकरण का एक मजबूत समर्थक भी है।
- इस पृष्ठभूमि के विपरीत भारत और दक्षिण अफ्रीका के संयुक्त प्रस्ताव ने ई-कॉमर्स अधिस्थगन से संबंधित मुद्दों की पुन: परीक्षा और पुनर्मूल्यांकन की मांग की है और इन मांगों को कई विकासशील और गरीब देशों द्वारा समर्थित किया जा रहा है।