अंतर्राष्ट्रीय संबंध
करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन
- 06 Nov 2020
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प्रिलिम्स के लियेगुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर गलियारा मेन्स के लियेकरतारपुर गलियारा और भारत-पाक रिश्तों पर उसका प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
भारत ने गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर (GADSK) का प्रबंधन एक गैर-सिख समुदाय के ट्रस्ट को स्थानांतरित करने के पाकिस्तान के निर्णय की निंदा करते हुए कहा है कि यह निर्णय पूर्णतः सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध है।
प्रमुख बिंदु
- पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आदेश के मुताबिक, ‘हिजरती ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ (Evacuee Trust Property Board-ETPB) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर के प्रबंधन और रखरखाव के लिये ‘प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट’ (PMU) नाम से एक स्व-वित्तपोषित निकाय का गठन किया गया है।
- इस तरह पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के प्रबंधन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी को पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से लेकर हिजरती ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड को स्थानांतरित कर दी है, जो कि एक गैर-सिख निकाय है।
‘हिजरती ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ (ETPB)
- ‘हिजरती ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ (ETPB) पाकिस्तान सरकार द्वारा गठित एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन वर्ष 1960 में किया गया था।
- इस बोर्ड का मुख्य कार्य पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों और ऐसे शैक्षिक, धर्मार्थ या धार्मिक ट्रस्ट की संपत्ति का प्रबंधन करना है, जिन्हें विभाजन के बाद भारत में पलायन करने वाले हिंदू और सिख समुदाय के लोगों द्वारा छोड़ दिया गया था।
चिंताएँ
- कई सिख नेताओं ने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा है कि पाकिस्तान सरकार का यह निर्णय सिख तीर्थस्थलों से जुड़ी 'मर्यादा' (Maryada) अथवा ‘आचार संहिता’ के विरुद्ध है।
- पाकिस्तान सरकार के इस निर्णय को एक धर्म विशेष के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध भी देखा जा सकता है। ध्यातव्य है कि पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब दुनिया भर के लाखों लोगों के लिये एक पूजनीय स्थल है और प्रत्येक वर्ष हज़ारों की संख्या में सिख तीर्थयात्री यहाँ आते हैं।
- कई लोगों ने इस बात को लेकर भी चिंता व्यक्त की है कि पाकिस्तान सरकार द्वारा गठित नई प्रबंधन इकाई में सिख समुदाय के प्रतिनिधित्त्व का अभाव है।
- हालाँकि पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने स्पष्ट किया है कि गुरुद्वारे के बाहर निर्माण, रखरखाव और सुरक्षा की व्यवस्था हिजरती ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) द्वारा की जाएगी, जबकि सिख गुरुद्वारे के अंदर अनुष्ठानों से संबंधित संपूर्ण व्यवस्था अभी भी पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नियंत्रण में ही है।
गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर (GADSK)
- गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर रावी नदी के तट पर पाकिस्तान के नरोवाल ज़िले में स्थित है और पाकिस्तान में भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 3-4 किमी. दूर है।
- सिख धर्म का यह महत्त्वपूर्ण स्थल भारत के गुरदासपुर ज़िले में डेरा बाबा नानक से लगभग 4 किमी. दूर और पाकिस्तान के लाहौर से लगभग 120 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है।
- इस धर्मस्थल का निर्माण उस स्थान की याद में किया गया था जहाँ सिख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव जी ने अपनी मृत्यु (वर्ष 1539) से पूर्व 18 वर्ष बिताए थे। यही कारण है कि यह स्थान सिख धर्म के अनुयायियों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
- गुरुद्वारा दरबार साहिब को गुरुद्वारा ननकाना साहिब (गुरुद्वारा जन्म स्थान) के बाद सिख धर्म का दूसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
- गुरुद्वारा ननकाना साहिब भी पाकिस्तान में ही स्थित है और इससे सिख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव जी की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है।
- करतारपुर में मौजूद वर्तमान गुरुद्वारे को 19वीं सदी में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा बनवाया गया था, क्योंकि वर्ष 1515 में गुरु नानक द्वारा स्थापित मूल निवास स्थान (गुरुद्वारा) रावी नदी में आई एक बाढ़ के कारण बह गया था।
करतारपुर गलियारा
- बीते वर्ष नवंबर माह में एक ऐतिहासिक पहल के तहत गुरदासपुर ज़िले में डेरा बाबा नानक को पाकिस्तान के गुरुद्वारा करतारपुर साहिब से जोड़ने वाले एक गलियारे की शुरुआत की गई थी।
- अधिकांश जानकार इस गलियारे को भारत-पाकिस्तान के मध्य सांस्कृतिक रिश्ते को मज़बूत करने के एक नए अवसर के तौर पर देख रहे थे।
- उम्मीद के मुताबिक यह गलियारा दोनों देशों के नागरिकों के मध्य संपर्क को बढ़ाएगा, जिससे दोनों देशों के लोगों को प्रेम, सहानुभूति और आध्यात्मिक विरासत के अदृश्य धागों के माध्यम से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
- हालाँकि इसी वर्ष मार्च माह में कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए करतारपुर गलियारा को बंद कर दिया गया था।
महत्त्व
- सिख समुदाय खासतौर पर भारत में रहने वाले सिख समुदाय के लोगों द्वारा लंबे समय से गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिये गलियारे की शुरुआत करने की मांग की जा रही थी, ताकि भारत से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिये करतारपुर साहिब पहुँचना आसान और तुलनात्मक रूप से सस्ता हो जाए।