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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इंडिया स्किल रिपोर्ट

  • 23 Feb 2018
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी इंडिया स्किल रिपोर्ट - 2018 में कौशल विकास के संदर्भ में वर्तमान सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए भारत को भविष्य में सर्वाधिक श्रम कुशल देश बनाने के लक्ष्य को भी वर्णित किया गया है। साथ ही इसके अंतर्गत लैंगिक असमानता एवं कम कौशल वाले श्रमिकों के संबंध में और अधिक ध्यान दिये जाने पर भी बल दिया गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • देश में कौशल विकास के संबंध में जारी इस रिपोर्ट को कौशल मूल्यांकन फर्म व्हीबॉक्स, पीपुलस्ट्रांग, सीआईआई, एआईसीटीई एवं संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के सहयोग से तैयार किया गया है।
  • व्हीबॉक्स रोज़गार योग्यता परीक्षण (वेस्ट) और भारत भर्ती आशय सर्वेक्षण पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 से 2017 के बीच 2 से 2.6 करोड़ लोगों को सरकारी योजनाओं, बढ़ी हुई भर्तियों, बढ़ती उद्यमशीलता और स्वतंत्र कार्य के परिणामस्वरूप लाभकारी रोज़गार प्राप्त हुए हैं।
  • इन दोनों सर्वेक्षणों में अंतर यह है कि जहाँ एक ओर व्हीबॉक्स रोज़गार योग्यता परीक्षण में ऑनलाइन सर्वेक्षण के माध्यम से 29 राज्यों और सात केंद्रशासित प्रदेशों के 5,200 संस्थानों (आईआईटी, आईआईएम आदि) के तकरीबन 51 लाख छात्रों की रोज़गार कुशलता का आकलन किया गया है।
  • वहीं, दूसरी ओर पीपुल्स स्ट्रांग द्वारा किये गए भर्ती आशय सर्वेक्षण में भविष्य में होने वाली भर्तियों के रुझानों हेतु 15 विभिन्न क्षेत्रों में 1000 से अधिक संगठनों से कई मुद्दों के विषय में चर्चा की गई।
  • इन मुद्दों में भविष्य में कर्मचारियों की आवश्यकताओं, भविष्य की कौशल आवश्यकताओं, प्रशिक्षुओं के संबंध में जागरुकता आदि को शामिल किया गया।

नौकरी के लिये आवश्यक योग्यता के स्कोर की रैंकिंग

  • वेस्ट सर्वेक्षण के अनुसार, नौकरी के लिये आवश्यक योग्यता के स्कोर में इस साल भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
  • नौकरी के लिये आवश्यक योग्यता के स्कोर के आधार पर यदि प्रदेशों की रैंकिंग की जाए तो ज्ञात होता है कि दिल्ली इसमें शीर्ष स्थान पर है। यहाँ लगभग दो-तिहाई छात्र रोज़गार के योग्य हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, उक्त स्थिति में पिछले वर्ष की तुलना में रोज़गार की योग्यता के संबंध में सभी राज्यों के छात्रों की स्थिति में सुधार दर्ज किया गया है।
  • इस रिपोर्ट के अंतर्गत जहाँ एक ओर इंजीनियरिंग के छात्रों की रोज़गार कुशलता में सुधार हेतु अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की तारीफ की गई है, वहीं दूसरी ओर, एमबीए के छात्रों में कम रोज़गार कुशलता के संबंध में इसकी चयन प्रक्रिया को कटघरे में खड़ा किया गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर में शैक्षणिक संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने वाले तकरीबन 50% युवा कुशल रोज़गार पाने के योग्य होते हैं। 
  • देश में रोज़गार पाने वालों की कौशल क्षमता 45.60% है। इसके अंतर्गत पिछले वर्ष की अपेक्षा 5.16% की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2017 में देश की कुल रोज़गारी प्रतिशतता 40.44% थी। इसमें 10 से 15% की बढ़ोतरी का अनुमान है।
  • इंजीनियरिंग के अतिरिक्त बीफार्मा, एमसीए जैसे अन्य रोज़गारपरक विषयों के साथ बीएससी एवं बीए के छात्रों की रोज़गार कुशलता में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
  • इंजीनियरिंग की सभी ब्रांच में आईटी और कंप्यूटर साइंस में रोज़गार पाने वालों की संख्या अभी भी सबसे अधिक है।
  • आईटी में रोज़गार दर 64.7% है, जबकि कंप्यूटर साइंस में 56.05% है। 
  • इसके अलावा मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) में रोज़गार दर में 13% की वृद्धि हुई है।
  • बीफॉर्मा में 6% की वृद्धि हुई है, जबकि मास्टर ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) में 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
उच्च रोज़गार क्षमता वाले टॉप शहर रैंकिंग
बंगलूरु 1
चेन्नई 2
इंदौर 3
लखनऊ 4
मुंबई 5
नागपुर 6
नई दिल्ली 7
पुणे 8
तिरुचिरापल्ली 9

चिंताजनक पक्ष

  • रिपोर्ट के अंतर्गत कुछ ऐसे भी पक्षों की ओर ध्यानाकर्षित करने का प्रयास किया गया है जो कौशल युक्त भारत के उज्ज्वल भविष्य के संबंध में चिंता का कारण हैं।
  • इसके अंतर्गत प्रारंभिक स्कूली शिक्षा के चरण में स्कूल छोड़कर मज़दूरी करने वाले युवाओं को कौशल युक्त रोज़गार में शामिल करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
  • इतना ही नहीं, आईटीआई और पॉलीटेक्निक संस्थानों से निकलने वालें युवाओं की रोज़गार क्षमता में अभी भी उस स्तर का प्रदर्शन देखने को नहीं मिला है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि राष्ट्रीय प्रशिक्षण परिषद द्वारा किये जा रहे प्रयास सफल साबित हुए हैं।
  • अगर देश में कौशल युक्त श्रमिकों की यही स्थिति बनी रही तो इसका प्रभाव ‘मेक इन इंडिया’  जैसी सरकार की कई महत्त्वाकांक्षी योजनाओं पर पड़ना स्वाभाविक है।

लैंगिक समानता का पक्ष

  • एक समावेशी समाज के निर्माण की पहली शर्त किसी भी अर्थव्यवस्था में न्यायपूर्ण भागीदारी एवं दोनों लिंगों के लिये समान अवसर प्रदान करना है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, रोज़गार के संबंध में महिलाओं की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है। 
  • जहाँ एक ओर पुरुषों की रोज़गार क्षमता में वृद्धि दर्ज की गई है, वहीं महिलाओं की रोज़गार क्षमता में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष एक प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
  • महिलाओं में रोज़गार पाने की क्षमता के मामले में बंगलूरु का प्रथम स्थान है। इसके बाद इस क्रम में भोपाल का स्थान आता है।
  • वहीं, कुल रोज़गार क्षमता (स्कोर) के मामले में इंदौर को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
उच्च रोज़गार क्षमता वाले टॉप शहर रैंकिंग
बंगलूरु 1
भोपाल 2
गाजियाबाद 3
नागपुर 4
नई दिल्ली 5
नोएडा 6
पुणे 7
थाने 8
विजयवाड़ा 9

मिशन स्किल इंडिया  

  • देश के कामगारों को दक्ष और कुशल बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जुलाई 2015 को लगभग 40 करोड़ भारतीयों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत वर्ष 2022 तक प्रशिक्षित करने के लिये स्किल इंडिया मिशन की शुरुआत की थी।
  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित करके उनकी कार्यक्षमता बढ़ाना है।  

प्रमुख विशेषताएँ

  • गरीबी के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह गए बच्चों के भीतर छिपे कौशल को विकसित करना।
  • योजनाबद्ध तरीके से गरीबों और गरीब नौजवानों को संगठित करके उनके कौशल को सही दिशा में प्रशिक्षित करके गरीबी उन्मूलन करना।
  • गरीबी को दूर करने के साथ-साथ गरीब लोगों, परिवारों तथा युवाओं में आत्मविश्वास जगाना तथा देश में नई ऊर्जा लाने का प्रसार करना।
  • भारत की लगभग 65% जनसंख्या (जिनकी आयु 35 वर्ष से कम है) को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिये कौशल एवं अवसर प्रदान करना।
  • देश के युवाओं और नौजवानों को रोज़गार उपलब्ध कराने और उन्हें रोज़गार के योग्य बनाने के लिये एक व्यवस्था के निर्माण को प्राथमिकता देना।
  • आने वाले दशकों में विश्व में कार्यकुशल जनसंख्या की आवश्यकता को पूरा करने के लिये विश्व के रोज़गार बाज़ार का अध्ययन कर उसके अनुसार देश के युवाओं को प्रत्येक क्षेत्र में कुशल बनाना।
  • देश के युवा जिस कौशल (जैसे-ड्राइविंग, टेलरिंग, कुकिंग, क्लीनिंग, मैकेनिक, हेयर कटिंग, आदि) को परंपरागत रूप से जानते हैं, उसे और निखारकर व प्रशिक्षित कर सरकार द्वारा मान्यता प्रदान करना।
  • कौशल विकास के साथ उद्यमिता और मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देना। 
  • सभी तकनीकी संस्थाओं को विश्व में बदलती तकनीकी के अनुसार गतिशील बनाना।
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