स्पाइस बम-2000 | 07 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
नव-निर्वाचित केंद्र सरकार ने 6 जून, 2019 को पहला सामरिक समझौता किया जो इज़राइल (Israel) के साथ संपन्न हुआ। इसके अंतर्गत भारत इज़राइल से उच्च विस्फोटक क्षमता वाले स्पाइस बमों की खरीद करेगा जिससे भारतीय वायु सेना की सामरिक स्थिति को मज़बूती मिलेगी।
प्रमुख बिंदु
- यह स्पाइस-2000 बमों (Spice bombs) का नवीनीकृत प्रसंस्करण है जो दुश्मनों के बंकरों और उनके ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है। हाल ही में स्पाइस-2000 बमों का प्रयोग पाक अधिकृत कश्मीर के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपों पर एयर स्ट्राइक में किया गया था।
- मार्क-84 वॉरहेड के साथ इन स्पाइस बमों की खरीद की जाएगी एवं इज़राइल द्वारा 3 माह में भारत को इनकी आपूर्ति की जाएगी।
- एयर स्ट्राइक के समय प्रयुक्त इन बमों की विशेषता यह है कि यदि इन बमों को लड़ाकू विमान द्वारा किसी इमारत पर गिराया जाता है तो यह इमारत की छत में छेद कर अंदर घुसता है तथा एक घातक विस्फोट करता है।
- स्पाइस बमों की मारक क्षमता सटीक होने साथ ही यह लक्ष्य को 60 किलोमीटर/घंटा की गति से भेध सकता है।
स्पाइस बम (SPICE bomb) क्या हैं?
- स्पाइस बम जिसका पूरा नाम स्मार्ट, प्रीसाइज़ इम्पैक्ट, कॉस्ट इफेक्टिव (Smart, Precise Impact, Cost-Effective-SPICE) है, की स्टैंड ऑफ या तटस्थ क्षमता 60 किमी. है। यह एयर-टू-ग्राउंड ऑपरेशन के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले हथियारों से सुसज्जित होता है। भारत वर्ष 2015 से फ्राँस द्वारा विकसित लड़ाकू विमान, मिराज- 2000 पर SPICE-2000 बम का उपयोग कर रहा है।
स्पाइस-2000:
- भारतीय वायुसेना ने मज़बूत और भूमिगत कमांड सेंटरों के खिलाफ उपयोग के लिये सटीकता और पैठ वाले सटीक-निर्देशित बमों का अधिग्रहण किया है। रक्षा मंत्रालय के वर्ष 2015 के एक नोट के अनुसार, इस हथियार का परीक्षण किया गया है और इसकी क्षमताओं को भारतीय वायुसेना (IAF) के फायरिंग रेंज में मान्य किया गया है।
- स्पाइस बम के किट में अचूक सटीकता के लिये जड़त्वीय नेविगेशन, उपग्रह मार्गदर्शन और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर शामिल हैं।
- इनमें हथियारों के लिये एक और अतिरिक्त किट को जोड़ा गया है- MKH-84, APW, RAP-2000 और BLU-109।
- रडार पर इन परिष्कृत बमों का पता लगा पाना मुश्किल होता है।
- छोटे आकार के कारण इन बमों का उपयोग स्टैंड-ऑफ रेंज से परे किसी लक्ष्य को नष्ट करने के लिये किया जा सकता है। इसके अलावा, बहुत अधिक बादल या खराब मौसम का असर उनके परिणाम पर बहुत कम पड़ता है।
स्रोत: द टाइम्स ऑफ़ इंडिया