भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा मिशन में बड़ी भूमिका की मांग | 06 Oct 2017
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा मिशन प्रक्रिया में शांति सैनिकों के रूप में बड़ा योगदान देने के उद्देश्य से निर्णय प्रक्रिया में बड़ी भूमिका की मांग की है।
- भारत ने कहा है कि आज्ञा-पत्र के निर्माण की प्रक्रिया में भारत जैसे देशों को जो कि लगातार अपनी सैनिकों की सेवाएँ देते आए हैं, लंबे समय के लिये बाहर रखना सही नहीं है।
क्या है भारत का तर्क?
- भारत चाहता है कि आज्ञापत्र बनाए जाने के मौजूदा रूप पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा गौर किया जाए।
- उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा मिशन में बड़ी संख्या में सैनिकों और पुलिस का योगदान देने वाले देशों में भारत का नाम भी शामिल है।
- जबकि विडम्बना यह है कि आज्ञापत्र को लागू करने के लिये सेनाएँ उपलब्ध कराने वाले देशों को इसे बनाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता है।
आगे की राह
- शांति रक्षा मिशन के लिये आज्ञापत्र को लागू करने में भारत जैसे देशों की भूमिका तो होनी ही चाहिये, साथ में वैश्विक शांति बहाल करने हेतु महत्त्वपूर्ण नीतियों और सैद्धांतिक मुद्दों पर शांति सैनिक प्रदान करने वाले देशों तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बीच अधिक प्रभावी सहयोग सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है।
- वर्तमान दौर में शांति अभियानों के दौरान कई जटिल चुनौतियाँ देखने को मिलती हैं। ऐसे में शांति कायम करने के लिये सुरक्षा परिषद के सदस्यों, शांति सैनिक योगदानकर्ता प्रमुख देशों और संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के बीच एक राजनीतिक आम सहमति का बनना आवश्यक है।
संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य
- इसका आरंभ वर्ष 1948 में किया गया था और इसने अपने पहले मिशन में वर्ष 1948 में ही अरब-इज़रायल युद्ध के दौरान युद्ध विराम का पालन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन तीन बुनियादी सिद्धांतों का पालन करता है:
♦ शामिल सभी पक्षों की सहमति का ख्याल रखना।
♦ शांति व्यवस्था कायम रखने के दौरान निष्पक्ष बने रहना।
♦ आत्म-रक्षा और जनादेश की रक्षा के अलावा किसी भी स्थिति में बल-प्रयोग नहीं करना।
- विदित हो कि वर्तमान में चार महाद्वीपों में 17 संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान चलाए जा रहे हैं।
- संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक विविध पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं। इसमें पुलिस, सैन्य और नागरिक कर्मियों को शामिल किया गया है।
- संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक बल ने 1988 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता था।