भारत का इस्पात क्षेत्र | 04 Jan 2024
प्रिलिम्स के लिये:भारत का इस्पात क्षेत्र, मानसून, डीकार्बोनाइजेशन चुनौती, कार्बन टैक्स (कार्बन सीमा समायोजन तंत्र), राष्ट्रीय इस्पात नीति(NSP) 2017 मेन्स के लिये:भारत का इस्पात क्षेत्र, सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके डिज़ाइन एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
पिछले कुछ वर्षों में इस्पात क्षेत्र में ज़बरदस्त वृद्धि देखी गई है और भारत इस्पात उत्पादन में एक वैश्विक ताकत व चीन के बाद विश्व में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनकर उभरा है।
भारत में इस्पात क्षेत्र की स्थिति क्या है?
- वर्तमान परिदृश्य:
- वर्ष 2023 में भारत में इस्पात का कुल उत्पादन(कच्चा इस्पात) 125.32 मिलियन टन और संसाधित इस्पात (finished steel) का उत्पादन 121.29 मिलियन टन रहा है।
- महत्त्व:
- इस्पात विश्व में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली सामग्रियों में से एक है। लोहा और इस्पात उद्योग अन्य उत्पादक उद्योगों का आधार (bottom line producer) हैं।
- इस्पात उद्योग निर्माण, बुनियादी ढाँचे, ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग और रक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में मुख्य भूमिका निभाता है।
- इस्पात भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये एक प्रमुख क्षेत्र है (वित्तीय वर्ष 21-22 में यह देश की जी.डी.पी. का 2% हिस्सा था)।
- इस्पात विश्व में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली सामग्रियों में से एक है। लोहा और इस्पात उद्योग अन्य उत्पादक उद्योगों का आधार (bottom line producer) हैं।
- उत्पादक राज्य:
- भारत के प्रमुख इस्पात उत्पादक राज्यों में ओडिशा अग्रणी है, इसके बाद झारखंड और छत्तीसगढ़ हैं। इसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस्पात क्षेत्र के विकास के लिये सरकार की पहल क्या हैं?
- PLI योजना में विशेष इस्पात (स्पेशलिटी स्टील) को शामिल करना:
- सरकार ने निवेश आकर्षित करने वाले विशेष इस्पात के विनिर्माण और क्षेत्र में तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के लिये 5 वर्ष की अवधि के लिये 6322 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंज़ूरी दी।
- हरित इस्पात (ग्रीन स्टील) निर्माण:
- इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र के डीकार्बोनाइज़ेशन के विभिन्न स्तरों पर चर्चा, विचार-विमर्श और सिफारिश करने के लिये उद्योग, शिक्षा जगत, थिंक टैंक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निकायों, विभिन्न मंत्रालयों एवं अन्य हितधारकों की भागीदारी के साथ 13 टास्क फोर्स का गठन किया।
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन एवं प्रयोग के लिये एक राष्ट्रीय हरित मिशन (National Green Mission) की घोषणा की है। इस मिशन में इस्पात क्षेत्र को भी हितधारक बनाया गया है।
- इस्पात क्षेत्र ने आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाओं हेतु विश्व स्तर पर उपलब्ध सर्वोत्तम प्रौद्योगिकियों (Best Available Technologies- BAT) को अपनाया है।
- PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ मंत्रालय की भागीदारी:
- इस्पात मंत्रालय (Ministry of Steel) ने इस्पात उत्पादन सुविधाओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिये 2000 से अधिक इस्पात इकाइयों के जियो-लोकेशन को अपलोड करते हुए, PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान में BISAG-N की क्षमताओं को एकीकृत किया है।
- यह जानकारी रेलवे लाइन विस्तार, अंतर्देशीय जलमार्ग, राजमार्ग, बंदरगाह और गैस पाइपलाइन कनेक्टिविटी की योजना बनाने में सहायता करेगी।
- स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति:
- स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति (Steel Scrap Recycling Policy- SSRP) को वर्ष 2019 में अधिसूचित किया गया है जो जर्जर हो चुके वाहनों (End of Life Vehicles- ELV) सहित विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न लौह स्क्रैप के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग के लिये देश में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने एवं बढ़ावा देने के लिये एक फ्रेमवर्क प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017:
- भारत सरकार ने राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017 तैयार की, जो वर्ष 2030-31 तक मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों पर भारतीय इस्पात उद्योग हेतु दीर्घकालिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिये व्यापक रोडमैप प्रदान करती है।
- गति-शक्ति मास्टर प्लान, विनिर्माण क्षेत्र के लिये 'मेक-इन-इंडिया' पहल और सरकार की अन्य प्रमुख योजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढाँचे के विकास पर सरकार का ज़ोर देश में स्टील की मांग एवं खपत को बढ़ावा देगा।
- भारत सरकार ने राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017 तैयार की, जो वर्ष 2030-31 तक मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों पर भारतीय इस्पात उद्योग हेतु दीर्घकालिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिये व्यापक रोडमैप प्रदान करती है।
- इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश:
- इस्पात मंत्रालय ने इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश पेश किया है, जिससे उद्योग, उपयोगकर्त्ताओं और जनता के लिये गुणवत्ता वाले इस्पात की बड़े पैमाने पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये उत्पादित एवं आयात दोनों प्रकार के इस्स्पात से निम्नस्तरीय/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आदेश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया गया है कि उपयोगकर्त्ताओं को प्रासंगिक BIS मानकों के अनुरूप गुणवत्ता वाला स्टील/इस्पात ही उपलब्ध कराया जाए।
- लौह एवं इस्पात क्षेत्र में सुरक्षा:
- हितधारकों, शिक्षाविदों आदि के साथ व्यापक परामर्श के बाद, लौह और इस्पात क्षेत्र के लिये 25 सामान्य न्यूनतम सुरक्षा दिशानिर्देशों का एक सेट तैयार किया गया था।
- ये सुरक्षा दिशा-निर्देश वैश्विक मानकों के अनुरूप हैं तथा लौह एवं इस्पात उद्योग में सुरक्षा पर ILO आचार कोड की अपेक्षाओं के अनुरूप हैं।
- “सुरक्षा व स्वास्थ्य सिद्धांतों और परिभाषाओं” पर विश्व इस्पात संघ के मार्गदर्शन दस्तावेज़ से भी इनपुट प्राप्त किया गया है।
- नेशनल मेटलर्जिस्ट अवॉर्ड:
- यह पुरस्कार लौह तथा इस्पात क्षेत्र में धातुविज्ञानियों के उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने के लिये इस्पात मंत्रालय द्वारा दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से कुछ महत्त्वपूर्ण प्रदूषक हैं, भारत में इस्पात उद्योग द्वारा मुक्त किये जाते हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 3 और 4 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (D) सही है। मेन्स:प्रश्न. वर्तमान में लौह एवं इस्पात उद्योगों की कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थिति का उदाहरणों सहित कारण बताइये। (2020) प्रश्न. विश्व में लौह एवं इस्पात उद्योग के स्थानिक प्रतिरूप में परिवर्तन का विवरण प्रस्तुत कीजिये। (2014) |