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जैव विविधता और पर्यावरण

भारत का ‘कूलिंग एक्‍शन प्‍लान’

  • 18 Sep 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

विश्‍व ओज़ोन दिवस (16 सितंबर) के अवसर पर संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने भारत की शीतलन कार्रवाई योजना/कूलिंग एक्‍शन प्‍लान (India's Cooling Action Plan-ICAP) की सराहना की।

‘कूलिंग एक्‍शन प्‍लान’ क्या है?

  • मार्च 2019 में भारत ने अपना ‘कूलिंग एक्शन प्‍लान’ शुरू किया है। कूलिंग की ज़रूरत हर क्षेत्र में है तथा यह आर्थिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
  • इसकी ज़रूरत आवासीय और व्यापारिक इमारतों के साथ कोल्ड चेन रेफ्रिज़रेशन, परिवहन और व्यापारिक प्रतिष्ठानों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में होती है।
  • ‘कूलिंग एक्‍शन प्‍लान’ के अंतर्गत परिशीतन की मांग में कटौती करने में मदद मिलेगी, जिससे प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष उत्‍सर्जन में कमी आएगी।
  • इसके तहत आवासीय एवं व्‍यापारिक इमारतों, कोल्‍ड–चेन, रेफ्रीजिरेशन, यातायात और उद्योगों के लिये परिशीतन समस्‍याओं का समाधान किया जाएगा।

उद्देश्य

  • ICAP का उद्देश्य पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक लाभों को हासिल करने के लिये कार्यों में तालमेल का प्रयास करना है।
  • समाज को पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करते हुए सभी के लिये स्थायी शीतलन और उष्मीय सहूलियत प्रदान करना।

लक्ष्य

  • वर्ष 2037-38 तक विभिन्न क्षेत्रों में शीतलक मांग (Cooling Demand) को 20% से 25% तक कम करना।
  • वर्ष 2037-38 तक रेफ्रीजरेंट डिमांड (Refrigerant Demand) को 25% से 30% तक कम करना।
  • वर्ष 2037-38 तक शीतलन हेतु ऊर्जा की आवश्यकता को 25% से 40% तक कम करना।
  • वर्ष 2022-23 तक कौशल भारत मिशन के तालमेल से सर्विसिंग सेक्टर के 100,000 तकनीशियनों को प्रशिक्षण और प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराना।

प्रमुख लाभ

  • अगले 20 वर्षों तक सभी क्षेत्रों में शीतलता से संबंधित आवश्यकताओं से जुड़ी मांग तथा ऊर्जा आवश्यकता का आकलन।
  • शीतलता के लिये उपलब्ध तकनीकों की पहचान के साथ ही वैकल्पिक तकनीकों, अप्रत्यक्ष उपायों और अलग प्रकार की तकनीकों की पहचान करना।
  • सभी क्षेत्रों में गर्मी से राहत दिलाने तथा सतत् शीतलता प्रदान करने वाले उपायों को अपनाने के बारे सलाह देना।
  • तकनीशियनों के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना।
  • घरेलू वैकल्पिक तकनीकों के विकास हेतु ‘शोध एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र’ को विकसित करना।
  • इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।

स्रोत: pib

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