भारत-रूस-चीन की दूसरी त्रिपक्षीय वार्ता | 01 Dec 2018
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग के संदर्भ में विचार-विमर्श करने हेतु ब्यूनस आयर्स त्रिपक्षीय वार्ता की। गौरतलब है कि भारत-रूस-चीन के मध्य यह दूसरी त्रिपक्षीय वार्ता करीब 12 साल बाद हो रही है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- भारत-रूस-चीन तीनों के शीर्ष नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग को बढ़ावा देने और आपसी बातचीत को प्रोत्साहित करने पर ज़ोर दिया।
- तीनों शीर्ष नेता बहुपक्षीय संस्थानों जैसे- विश्व व्यापार संगठन, संयुक्त राष्ट्र और नव-स्थापित वित्तीय संस्थानों में सुधार तथा सुदृढ़ीकरण के महत्त्व पर सहमत थे। ध्यातव्य है कि ऐसे सस्थानों ने वैश्विक शांति तथा प्रगति में महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाई है।
- इस वार्ता में वैश्विक विकास और समृद्धि के लिये एक बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली तथा दुनिया की खुली अर्थव्यवस्था के लाभों को रेखांकित किया गया।
- इस वार्ता में तीनों शीर्ष नेता BRICS, SCO और EAS तंत्र के माध्यम से सहयोग को मजबूत करने, आतंकवाद तथा जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने, संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय शांति व स्थिरता को बढ़ावा देने, सभी मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करने जैसे सभी मामलों पर नियमित रूप से परामर्श आपसी पर भी सहमत हुए।
- नरेंद्र मोदी, चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों, बहुपक्षीयता और अंतर्राष्ट्रीय कानून को मज़बूत बनाने, देशों पर अवैध प्रतिबंध लगाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की।
- इसके अलावा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में सहयोग, SCO (Shanghai Cooperation Organisation), ARF (ASEAN Regional Forum), ADMS-Plus (ASEAN Defence Ministers’ Meeting, The ADMM-Plus यानी ASEAN के 10 मेम्बर स्टेट और 8 देश), ASEM (Asia-Europe Meeting) जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की।
- गौरतलब है कि भारत-रूस-चीन अपने शीर्ष स्तर के नेताओं के मध्य होने वाली बैठकों को 12 साल बाद फिर से शुरू कर रहे हैं। भारत-रूस-चीन को सूक्ष्म रूप में RIC से भी प्रदर्शित किया जाता है।