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भारत द्वारा सामुदायिक प्रसार टैग का विरोध

  • 18 May 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, कोविड -19 महामारी की शुरुआत के बाद से अब तक भारत ने स्वयं को बिना किसी सामुदायिक प्रसार (Community Transmission- CT) वाले देश के रूप में चिह्नित करना जारी रखा है।

  • अमेरिका, ब्राज़ील, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांँस जैसे देशों ने स्वयं को 'सामुदायिक प्रसार' चरण में होने के रूप में चिह्नित किया है, जबकि इटली और रूस ने स्वयं को 'सामुदायिक प्रसार/संचरण' वाले देश के रूप चिह्नित नहीं किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • सामुदायिक प्रसार (CT):
    • CT महामारी के चरणों में से एक है।
    • मोटे तौर पर, सामुदायिक प्रसार की स्थिति तब मानी जाती है जब महामारी के नए मामलों को पिछले 14 दिनों के दौरान किसी अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के रिकॉर्ड से न जोड़ा जा सके और न ही संक्रमण के मामले किसी विशिष्ट समूह से संबंधित हों।
    • CT के वर्गीकरण को चार चरणों में विभाजित किया जाता है, जिसमें निम्न स्तर से लेकर उच्च स्तर तक प्रसारण शामिल होता है।

महामारी के चार चरण:

  • चरण 1- आयातित संचरण:
    • यह यात्रियों के बीच सीमाओं और हवाई अड्डों के माध्यम से महामारी के देश में प्रवेश करने से संबंधित है। इसे थर्मल स्क्रीनिंग और क्वारंटाइन के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • चरण 2- स्थानीय ट्रांसमिशन:
    • इस चरण को देश के भीतर एक संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने के माध्यम से महामारी के संचरण के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • चरण 3-सामुदायिक प्रसार:
    • यह दर्शाता है कि एक वायरस समुदाय में संचरित हो रहा है तथा उन लोगों को प्रभावित कर सकता है, जिनका महामारी संक्रमण से प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने का कोई इतिहास नहीं है।
  • चरण 4- महामारी:
    • चरण 4 तब आता है जब रोग वास्तव में एक देश में महामारी का रूप धारण कर लेता है, जैसा कि चीन में हुआ था , जिसमें बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए और मृत्यु की बढ़ती संख्या का कोई अंत नहीं था। तब महामारी को स्थानिक या क्षेत्र में प्रचलित माना जाता है।
  • भारत का वर्तमान वर्गीकरण:
    • भारत द्वारा महामारी को लेकर निम्नतर, कम गंभीर वर्गीकरण का विकल्प चुना गया है जिसे ' क्लस्टर ऑफ केस' (Cluster Of Case) कहा जाता है।
    • भारत के मुताबिक, ऐसा देखा गया है कि 'पिछले 14 दिनों में सामने आए मामले कुछ विशिष्ट क्लस्टर्स तक ही सीमित हैं जिनका सीधे तौर पर बाहर से आयातित महामारी के मामलों से कोई संबंध नहीं है।
    • ऐसा माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में कई मामले अज्ञात हैं। इसका मतलब है कि अगर इन समूहों के संपर्क में आने से बचा जाए तो बड़े समुदाय में संक्रमण का खतरा कम होगा।
  • स्वयं को सीटी में वर्गीकृत नहीं करने के भारत के निहितार्थ:

    • भारत द्वारा स्वयं को सामुदायिक प्रसार से युक्त होने से इंकार करना “Ostrich In The Sand” यानी “एक ऐसा व्यक्ति जो वास्तविकता का सामना करने या सच्चाई को मानने से इनकार करता है” के दृष्टिकोण को दर्शाता है क्योंकि CT को स्वीकार करना विफलता का संकेतक है जो दर्शाता है कि अधिकारियों/प्राधिकारियों/प्राधिकरणों ने किस तरह से इस महामारी की समस्या को संबोधित किया है।
    • यदि मामले अभी भी एक क्लस्टर में सामने आते हैं तो इसका मतलब यह होगा कि सरकार को संक्रमण फैलने से रोकने हेतु परीक्षण, कांटेक्ट ट्रैकिंग और आइसोलेशन को प्राथमिकता देनी होगी। दूसरी ओर CT में होने का मतलब इलाज को प्राथमिकता देना और सुरक्षित रहने हेतु दी गई सलाह का पालन करना होगा।
    • सामुदायिक प्रसार का मतलब है कि स्वास्थ्य प्रणाली अब वायरस के प्रक्षेप पथ (Trajectory) का ट्रैक खो चुकी है और संक्रमण के स्रोत के बिना ही संक्रमण हो रहा है।
    • एक बार जब सरकार सामुदायिक प्रसार को स्वीकार कर लेती है, तो महामारी नियंत्रण रणनीति अगले चरण में आगे बढ़ जाएगी, जिसे ‘शमन चरण’ (Mitigation Phase) कहा जाता है, जिसमें इस बात को सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाएगा कि केवल उन्हीं लोगों को अस्पताल पहुंँचाया जाए, जिन्हें वास्तव में चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है। संक्रमणों पर नज़र रखना या उन्हें नियंत्रित करना प्राथमिक रणनीति में शामिल नहीं होगा।

स्रोत: द हिंदू

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