भारत-विश्व
भारत द्वारा मित्र देशों को हथियारों की बिक्री में तेज़ी लाने के लिये प्रक्रिया में ढील
- 25 May 2019
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चर्चा में क्यों?
भारत ने बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, अफगानिस्तान, म्याँमार और अन्य मित्र देशों को सैन्य उपकरणों की बिक्री में तेज़ी लाने के लिये एक नई प्रणाली को अंतिम रूप दिया है जो कि अमेरिका की फॉरेन मिलिट्री सेल्स (Foreign Military Sales-FMS) कार्यक्रम के समान है।
प्रमुख बिंदु
विदेश मंत्रालय के अनुसार, नई मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure-SOP) जिसे विदेश मंत्रालय के साथ परामर्श के बाद अंतिम रूप दिया गया है, मित्र देशों के लिये विस्तारित रक्षा LoCs (Lines of Credits) के उपयोग की गति को बढ़ाएगी।
- यह न केवल भारत को हथियारों के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करेगी, जो अब तक लगभग नगण्य है, बल्कि हथियार आपूर्ति के मामले में चीन जैसे तीसरे पक्ष द्वारा बांग्लादेश, श्रीलंका और म्याँमार में आपूर्ति को रोकने की कोशिश को भी नाकाम करेगी।
- नई SOP के तहत भारतीय रक्षा कंपनियाँ अब उन उत्पादों की कीमतों के संदर्भ में "सीधे बोली" लगा सकेंगी। इससे पहले यह प्रक्रिया काफी बाधित होती थी।
- नए SOP का उद्देश्य वार्ता और मूल्य खोज प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करना है। भारत, निश्चित रूप से हथियारों के निर्यात के मामले में चीन से बराबरी की उम्मीद नहीं कर सकता।
वैश्विक परिदृश्य
- अमेरिका, रूस, फ्रांस और जर्मनी के बाद चीन दुनिया का पाँचवा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक के रूप में उभरा है। चीन ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन और उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी पर अपना ध्यान केंद्रित कर इस स्थान को प्राप्त किया है।
- चीन के सबसे बड़े हथियार ग्राहक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अल्जीरिया हैं ढाका को भी चीन हथियारों की आपूर्ति करता है।
- भारत ने अपने अधिकांश हथियार अमेरिका से उसके FMS कार्यक्रम के माध्यम से खरीदे हैं, उदाहरण के लिये सी -17 ग्लोबमास्टर- III स्ट्रेटेजिक एयरलिफ्टर्स, सी -130 जे "सुपर हरक्यूलिस" विमान और एम -777 अल्ट्रालाइट हॉवित्जर।
- भारत जटिल वैश्विक निविदा प्रक्रिया की तुलना में FMS मार्ग को बहुत अधिक बेहतर मानता है क्योंकि पूर्व प्रणाली के तहत निविदा प्रक्रिया पूरी होने में कई साल लगते थे और भ्रष्टाचार की गुंजाइश बनी रहती थी।
FMS प्रोग्राम
- फॉरेन मिलिट्री सेल्स (Foreign Military Sales-FMS) कार्यक्रम शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम (Arms Export Control Act-AECA) द्वारा अधिकृत सुरक्षा सहायता का एक रूप है और अमेरिकी विदेश नीति का एक बुनियादी हिस्सा है।
- AECA की धारा 3 के तहत जब अमेरिकी राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि अमेरिका की सुरक्षा और विश्व शांति आवश्यक है तब अमेरिका अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को रक्षा उपकरणों और सेवाओं को बेच सकता है।
- FMS के तहत अमेरिकी सरकार और किसी अन्य देश की सरकार के बीच एक समझौता किया जाता है जिसे लेटर ऑफ ऑफर एंड एक्सेप्टेंस (Letter of Offer and Acceptance-LOA) कहा जाता है।
निष्कर्ष
भारत के पास अभी भी एक मजबूत रक्षा उत्पादन क्षेत्र नहीं है। भारत के पास कुछ हथियार प्रणालियाँ हैं जैसे- रूस के सहयोग से निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें तथा सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली आकाश, हल्के लड़ाकू विमान तेज़स और उन्नत हेलीकॉप्टर ध्रुव आदि हैं, जिन्हें अन्य देशों में सफलतापूर्वक निर्यात किया जा सकता है।