अंतर्राष्ट्रीय संबंध
UNSC चुनावों से पूर्व भारत का 'प्राथमिकता पत्र' अभियान
- 06 Jun 2020
- 7 min read
प्रीलिम्स के लिये:UNSC के स्थायी तथा गैर-स्थायी सदस्य, गैर-परिषद सदस्य देश, सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया मेन्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद |
चर्चा में क्यों?
विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs- MEA) ने 17 जून, 2020 को होने वाले ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (United Nations Security Council- UNSC) के चुनावों में निर्वाचित सीट जीतने के लिये भारत की ‘प्राथमिकताओं की रूपरेखा’ तैयार कर इसे एक अभियान के रूप में शुरू किया है।
प्रमुख बिंदु:
- ये चुनाव ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNSC) के 5 गैर-स्थायी सदस्यों (Non-Permanent Member) के आगामी कार्यकाल (वर्ष 2021-22) के लिये होने हैं।
- भारत G-4 समूह (भारत, जापान, ब्राज़ील और जर्मनी) के देशों के साथ UNSC में स्थायी सदस्यता के लिये भी मांग कर रहा है।
प्राथमिकता सूची (Priorities List):
- 'प्राथमिकता पेपर' (Priorities Paper) के अनुसार, भारत की प्रमुख प्राथमिकताओं की सूची निम्नानुसार है:
1. प्रगति के नवीन अवसर;
2. अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी प्रतिक्रिया;
3. बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार;
4. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण;
5. समस्याओं के समाधान के लिये मानव स्पर्श (Human Touch) को ध्यान में रखकर प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना। - अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित पाँच 'एस' अर्थात सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति, समृद्धि के आधार पर प्रचारित किया जाएगा।
UNSC के स्थायी तथा गैर-स्थायी सदस्य:
- UNSC 15 सदस्यों से मिलकर बनी होती है, जिसमे पाँच स्थायी सदस्य; चीन, फ्रांँस, रूसी संघ, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। दस गैर-स्थायी सदस्य महासभा द्वारा दो वर्ष के लिये चुने जाते हैं। गैर-स्थायी सदस्यों बेल्जियम, डोमिनिकन गणराज्य, एस्टोनिया, जर्मनी, इंडोनेशिया, नाइजर, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, दक्षिण अफ्रीका, ट्यूनीशिया, वियतनाम।
- दस गैर-स्थायी सीटों को क्षेत्रीय आधार पर वितरित किया गया है:
- पाँच सीट अफ्रीकी और एशियाई देशों के लिये;
- एक सीट पूर्वी यूरोपीय देशों के लिये;
- लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के लिये दो सीट;
- पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देशों के लिये दो सीट।
गैर-परिषद सदस्य देश (Non-Council Member States):
- 50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश कभी भी सुरक्षा परिषद के सदस्य नहीं रहे हैं।
- एक देश जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है, लेकिन सुरक्षा परिषद का नहीं है। वोटिंग के अधिकार के बिना चर्चा में भाग ले सकता है।
भारत की अब तक UNSC में सदस्यता:
- भारत को यदि इस बार भी UNSC की गैर-स्थायी सीट के लिये चुना जाता है तो भारत गैर-स्थायी सीट पर आठवीं बार चुना जाने वाला देश होगा। अंतिम बार वर्ष 2011-2012 में भारत को गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था।
- भारत को पहले ही सात बार वर्ष 1950-1951, वर्ष 1967-1968, वर्ष 1972-1973, वर्ष 1977-1978, वर्ष 1984-1985, वर्ष 1991-1992 और वर्ष 2011-2012 की अवधि के लिये गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था।
भारत की जीत की संभावना:
- भारत वर्ष 2013 से वर्ष 2021-22 के लिये UNSC के लिये चुने जाने के लिये तैयारी कर रहा है क्योंकि वर्ष 2022 को भारत स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ के रूप में मनाएगा।
- भारत को गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुने जाने की पूरी उम्मीद है क्योंकि अब तक एशिया-प्रशांत क्षेत्र से भारत ही एकमात्र उम्मीदवार देश है।
- भारत को जीत के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों का दो-तिहाई अर्थात 129 मत पक्ष में चाहिये।
- अंतिम बार जब वर्ष 2010 में भारत को वर्ष 2011-12 के लिये UNSC गैर स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था तब भारत ने 190 में से 187 वोट के साथ भारी जीत दर्ज की थी।
- हालाँकि अधिकारियों का मानना है कि इस बार भारत के लिये चुनाव जीतना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि तुर्की तथा मलेशिया जैसे इस्लामिक देशों के अलावा 'इस्लामिक सहयोग संगठन' (Organisation of Islamic Cooperation- OIC) सरकार के ‘अनुच्छेद 370 हटाने’ तथा नागरिकता संशोधन अधिनियम लाने जैसे निर्णयों से नाराज हैं।
सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया:
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 108 के अनुसार, चार्टर में संशोधन वाले प्रस्ताव को महासभा के दो तिहाई सदस्यों द्वारा अनुमोदित तथा अनुसमर्थन किया जाना चाहिये। इसके अलावा सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है। अत: सुरक्षा परिषद की संरचना परिवर्तन भी चार्टर के अनुच्छेद- 108 के अनुसार बताई गई प्रणाली के अनुसार ही किया जा सकता है।
आगे की राह:
- भारत लंबे समय से UNSC के स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यों की संख्या में विस्तार की मांग कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से वैश्विक भू-राजनीति और वैश्विक मुद्दों में परिवर्तन आया है, इसलिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने नए मुद्दे अधिक प्रासंगिक हो गए हैं अतः संयुक्त राष्ट्र की संरचना और कार्यशैली में भी परिवर्तन होना चाहिये।