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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की तेल भंडारण क्षमता

  • 29 Apr 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सामरिक पेट्रोलियम भंडार

मेन्स के लिये:

सामरिक पेट्रोलियम भंडार का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में COVID- 19 महामारी के तहत तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई जो भारत को भविष्य के लिये तेल भंडार बढ़ाने का अवसर देता है।

मुख्य बिंदु:

  • हाल ही में ‘वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट’ (West Texas Intermediate- WTI) क्रूड ऑयल की कीमत नकारात्मक रही जो इस ओर संकेत करता है कि देशों के पास तेल को भंडारित करने के लिये पर्याप्त भंडारन क्षमता की कमी है।
  • WTI तेल की कीमतों में 40.32 डॉलर प्रति बैरल तक गिरावट देखी गई।

भारत के लिये तेल की कम कीमत का महत्त्व:

  • भारत दुनिया में ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता तथा तेल का तीसरा बड़ा आयातक है (वर्ष 2018), अत: भारत तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से बहुत अधिक प्रभावित होता है।

रणनीतिक/सामरिक पेट्रोलियम भंडार:

  • सामरिक पेट्रोलियम भंडार कच्चे तेल से संबंधित किसी भी संकट जैसे प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध या अन्य आपदाओं के दौरान आपूर्ति में व्यवधान से निपटने के लिये कच्चे तेल के विशाल भंडार होते हैं।

भारत के सामरिक पेट्रोलियम भंडार:

  • भारत के सामरिक कच्चे तेल के भंडार वर्तमान में विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), मंगलौर (कर्नाटक) और पाडुर (कर्नाटक) में स्थित हैं। इनके अलावा सरकार ने चंदीखोल (ओडिशा) और पादुर (कर्नाटक) में दो अतिरिक्त सुविधाएँ स्थापित करने की घोषणा की थी।

Petroleum-Reserves

SPR की भंडारण क्षमता:

  • वर्तमान में भारत आपातकालीन आवश्यकताओं के लिये तेल भंडारण करता है। वर्तमान में ‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार कार्यक्रम’ (Strategic Petroleum Reserves programme- SPRP) के तहत भारत 87 दिनों तक आवश्यकता पूर्ति की भंडारण क्षमता रखता है। 
  • इसमें से लगभग 65 दिनों की आवश्यकता पूर्ति को तेल प्रसंस्करण इकाइयाँ जबकि शेष भंडार ‘भारतीय सामरिक पेट्रोलियम भंडार लिमिटेड’ (Indian Strategic Petroleum Reserves Limited- ISPRL) द्वारा बनाए गए भूमिगत भंडार के रूप में अनुरक्षित किया जाता है। भूमिगत भंडार की वर्तमान क्षमता 10 दिनों के तेल आयात के बराबर है।

भारत में तेल भंडारण से जुड़ी समस्याएँ: 

  • पारदर्शिता का अभाव:
    • तेल भंडार में पारदर्शिता के अभाव के कारण तेल को समय पर उपयोग करने में अनेक अड़चनें हैं जिससे SPR तेल की कीमत सामान्यत: बहुत अधिक रहती है।  वास्तव में निजी रिफाइनरियों के पास पर्याप्त ‘सामरिक पेट्रोल भंडार’ होते हैं परंतु इनके द्वारा यह भंडारण किस रूप में (क्रूड या रिफाइंड) तथा कहाँ किया जाता है, इस संबंध में पूरी तरह पारदर्शिता का अभाव रहता है।
    • दूसरा मुद्दा रिफाइनरी की धारिता से संबंधित है। भारत में SPR तेल रिफाइनरियों, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के नियंत्रण में है। हालाँकि स्टॉक रखने वाली अधिकांश रिफाइनरी सार्वजनिक रूप से स्वामित्व वाली कंपनियां हैं।

समाधान की दिशा में कदम:

  • पारदर्शिता में वृद्धि:
    • भारत के अन्य रणनीतिक भंडार (यथा विदेशी मुद्रा भंडार) जिसमें स्पष्ट प्रक्रियाओं, प्रोटोकॉल तथा आँकड़ों को जारी करने की आवश्यकता होती है, उसी SPR भंडारण के लिये भी स्पष्ट सार्वजनिक तथा संसदीय जाँच की आवश्यकता होनी चाहिये। SPR संबंधी सूचना के बारे में गोपनीयता के बजाय इसे समय पर और विश्वसनीय रूप से उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिये।
  • गतिशीलता में वृद्धि:
    • SPR पर अलग-अलग इकाइयों का नियंत्रण होने के कारण, इन तेल भंडारों को समय पर उपयोग करने में बाधा उत्पन्न होती है इससे तेल की गतिशीलता प्रक्रिया काफी अस्पष्टता तथा जटिल बन जाती है। अत: SPR के संबंध में विभिन्न इकाइयों की भूमिका और प्रक्रिया में स्पष्टता होनी चाहिये।
  • विविधता में वृद्धि:
    • आपात स्थितियों में जोखिमों को कम करने के लिये भारत को अपने SPR धारिता में विविधता लानी चाहिये। यह विविधता भौगोलिक स्थान (तेल घरेलू या विदेश में भंडारण), भंडारण स्थान (भूमिगत या अधितल) और उत्पाद के स्वरूप (क्रूड ऑयल या परिष्कृत ऑयल) पर आधारित हो सकती है। 
  • विदेश में भंडारण:
    • भारत तेल भंडारण के लिये ओमान जैसे देशों में सामरिक तेल भंडार स्थापित कर सकता है, ओमान की विशेष अवस्थिति के कारण होर्मुज़ जलडमरूमध्य की संभावित अड़चनों से भी बचा जा सकता है। हालाँकि इन स्थानों के साथ भू-राजनीतिक जोखिमों हो सकते है, अत: न्यूनतम तेल भंडार देश से बाहर स्थापित करने चाहिये। 
  • स्वामित्त्व में विविधता:
    • स्वामित्त्व में विविधता भी एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है। यह सार्वजनिक ISPRL के माध्यम से या निजी तेल कंपनियों के माध्यम से अथवा विदेशी कंपनियों के स्वामित्त्व में हो सकता है।

निष्कर्ष:

  • ऊर्जा भारत की वृद्धि की दृष्टि से हमेशा महत्त्वपूर्ण रहा है तथा भविष्य में प्रभावित करता रहेगा। तेल की कीमत में भारी गिरावट केंद्र सरकार के लिये अपने SPR भंडार को बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में अवसर प्रस्तुत करती है। 
  • भारत को वर्तमान समय में तेल की कीमतों का लाभ उठाना चाहिये तथा भारत की ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में तेल खरीदने और अपनी ‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार’ (Strategic Petroleum Reserves- SPR) को भरने के सुअवसर के रूप में देखना चाहिये। 

स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस

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