भारत द्वारा वास्तविक समय में समुद्री डाटा को साझा करने की पेशकश | 03 Nov 2017

संदर्भ

हाल ही में भारत ने हिन्द महासागर के तट से लगे 10 राष्ट्रों को रियल टाइम (जिस समय घटना हुई हो) में हिन्द महासागर में होने वाली समुद्री गतिविधियों की जानकारी साझा करने की पेशकश की है। विदित हो कि भारतीय नौसेना पहली बार ‘गोवा मेरीटाइम कॉन्क्लेव’(GMC) में हिन्द महासागर क्षेत्र ((Indian Ocean Region-IOR) के 10 राष्ट्रों के नौसेना प्रमुखों की मेजबानी कर रही थी, ताकि वे इस क्षेत्र में सामान्य खतरों की पहचान कर उनका समाधान करने वाली प्रक्रिया में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें।

प्रमुख बिंदु

  • यह इसलिये किया जा रहा है ताकि भारत हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को रोक सके। 
  • साझा की जाने वाली सूचनाओं में वाणिज्यिक यातायात के साथ ही खुफिया जानकारियाँ भी शामिल होंगी।
  • इस क्षेत्र में भारत के अनेक देशों के साथ सहयोगी पहलें हैं, जो यह पहल इसके विस्तार में सहायक होंगी। उदाहरण के लिये भारत ने वाणिज्यिक शिपिंग आँकड़ों को साझा करने के लिये 12 देशों के साथ ‘व्हाइट शिपिंग समझौते’ (white shipping agreements) पर हस्ताक्षर किये हैं और अन्य कई समझौते पर भी विचार किया जा रहा है।
  • भारत ने इन 10 देशों को हिंद महासागर में जहाज़ों के आवागमन संबंधी आँकड़ों को वास्तविक समय में साझा करने की पेशकश की है। अब वे उनकी समीक्षा करेंगे। हालाँकि यह पहल पारंपरिक सैन्य उद्देश्यों (conventional military purposes) के लिये अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है, परन्तु यह सागर में होने वाले गैर-पारंपरिक खतरों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगी। 
  • भारत एक संलयन केंद्र (fusion centre) बनने की स्थिति में है और उसकी यह पहल तटीय निगरानी और जाँच के लिये नौसेना के प्रमुख केंद्र ‘सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र’ (Information Management and Analysis Centre –IMAC) पर आधारित होगी।
  • भारत का मानना है कि सभी देशों (छोटे अथवा बड़े) को इस प्रयास में समान रूप से भागीदारी करनी चाहिये। समुद्री गतिविधियों की सूचना के आदान-प्रदान के लिये रूपरेखा तैयार करने की भी आवश्यकता होगी।

सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र

  • सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र ‘राष्ट्रीय कमांड कंट्रोल संचार और खुफिया नेटवर्क’ (National Command Control Communications and Intelligence Network-NC3I Network) का एक प्रमुख केंद्र है । यह तटीय निगरानी में सुधार करने हेतु शुरू की गई भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की संयुक्त पहल है। 
  • एनसी3आई नेटवर्क तट से लगे और द्वीपीय क्षेत्रों में स्थित 51 नौसैन्य और कोस्ट गार्ड स्टेशनों को जोड़ता है। यह नेटवर्क इन स्टेशनों को विभिन्न सेंसरों (जैसे-भारतीय कोस्ट गार्ड की कोस्टल राडार चेन और स्वचालित ट्रैकिंग प्रणालियाँ और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल कैमरा) के माध्यम से प्राप्त की गई जाँच संबंधी सूचनाएँ उपलब्ध कराता है। 
  • आईएमएसी वह केंद्र है जहाँ विभिन्न संवेदकों से प्राप्त आँकड़ों का संग्रहण होता है जिनकी जाँच करने के उन्हें विभिन्न स्टेशनों में प्रसारित कर दिया जाता है।
  • एनसी3आई नेटवर्क को बंगलुरु स्थित ‘भारत इलेक्ट्रिकल लिमिटेड’(BEL) द्वारा बनाया गया है। नौसेना का कहना है कि 2012 में स्वीकृत यह प्रोजेक्ट अब पूरी तरह से कार्यान्वित हो चुका है।
  • एनसी3आई नेटवर्क और सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र को ‘राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र जागरूकता’ (National Maritime Domain Awareness) प्रोजेक्ट से जोड़ा गया है। इस प्रकार एनसी3आई एक संचार केंद्र की भाँति कार्य करता है, जबकि आईएमएसी आँकड़ों के संग्रहण हेतु इसके एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करता है ।