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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-नेपाल वार्ता

  • 12 Aug 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव

मेन्स के लिये:

भारत-नेपाल संबंध

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं की समीक्षा के लिये भारत और नेपाल के राजदूत काठमांडू (नेपाल) में मुलाकात कर सकते है। COVID-19 महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बैठक होने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु

  • यह बैठक ‘भारत- नेपाल ओवरसाइट मैकेनिज्म’ का एक हिस्सा होगी। चालू द्विपक्षीय आर्थिक और विकास परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिये वर्ष 2016 में इसकी स्थापना की गई थी।

  • बजट 2020-21 में भारत सरकार ने नेपाल में संचालित परियोजनाओं के लिये 800 करोड़ रुपए का आवंटन किया था।
    • इन परियोजनाओं में तराई क्षेत्र में सड़कों का निर्माण, भूकंप (2015) के बाद के पुनर्निर्माण कार्यों में नेपाल की मदद, रेलवे लाइनों का निर्माण, एक पुलिस प्रशिक्षण अकादमी, एक पॉलिटेक्निक कॉलेज, एक तेल पाइपलाइन और सीमा चेक पोस्ट का निर्माण शामिल हैं।
    • हाल ही में काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में एक स्वच्छता सुविधा के निर्माण के लिये भारत और नेपाल के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किये गए।

Nepal

  • भारत और नेपाल के बीच बढ़ते हाल के तनावों के मद्देनज़र यह बैठक बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्ध होने वाली है।
    • वर्ष 2017 में नेपाल ने चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) पर हस्ताक्षर किये थे, जिससे नेपाल में राजमार्ग, हवाई अड्डे और अन्य बुनियादी ढाँचे के निर्माण का आश्वासन दिया। भारत ने BRI में शामिल होने से इनकार कर दिया और नेपाल के इस कदम को चीन के प्रति झुकाव के रूप में देखा गया।
    • वर्ष 2019 में भारत सरकार ने देश का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर का विभाजन करते हुए इसे जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख को दो अलग केंद्र शासित प्रदेशों में दर्शाया गया साथ ही उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ ज़िले के हिस्से के रूप में कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी प्रदर्शित किया गया।
      • भारत और नेपाल के मध्य कालापानी-लिम्पियाधुरा-लिपुलेख त्रिभुज पर भारत-नेपाल और चीन तथा सुस्ता क्षेत्र (पश्चिम चंपारण ज़िला, बिहार) के बीच सीमा विवाद हैं।
    • नेपाल ने भारत के इस नक्शे के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई और इस मुद्दे को बातचीत के माध्यम से हल करने की सलाह दी।
    • इसके अलावा चीनी सीमा के समीप लिपुलेख दर्रे पर (कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये) भारत सरकार द्वारा एक सड़क के उद्घाटन ने दोनों देशों के बीच विरोध को और अधिक बढ़ावा दे दिया।
    • इसके प्रत्युत्तर में नेपाल ने एक नया नक्शा जारी किया जिसमें भारत द्वारा दावा किये गए सभी विवादित क्षेत्र को नेपाल का अंग दर्शाया गया हैं।

आगे की राह

  • भारत और नेपाल, जिनके बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध हैं, दोनों देशों के बीच उपजे तनाव को दूर करने के लिये मिलकर प्रयास करने चाहिये।
  • चीन के साथ नेपाल की बढ़ती आत्मीयता भारत-चीन संघर्षों के बीच भारत के लिये चिंता का विषय है।
  • जैसा कि भारत ने पड़ोसी प्रथम (नेबरहुड फर्स्ट) की नीति को अपनाया हुआ है, ऐसे राजनीतिक संबंधों के साथ-साथ लोगों के मध्य आपसी जुड़ाव जैसे पक्षों पर भी भारत को नेपाल के साथ अधिक सक्रिय रूप से काम करने की ज़रूरत है। इस संदर्भ में गुजराल सिद्धांत/डॉक्ट्रिन (Gujral Doctrine) जिसने भारत-बांग्लादेश विवाद को सुलझाने में मदद की, बहुत मददगार साबित हो सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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