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बलात्कार के मामलों के विचारण के लिये 1,023 विशेष अदालतों की ज़रूरत

  • 30 Jul 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

कानून मंत्रालय ने कहा है कि बच्चों और महिलाओं के बलात्कार से संबंधित मुकदमों के विचारण के लिये एक नई योजना के तहत 1000 से अधिक 'फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों' की स्थापना किये जाने की आवश्यकता है।

प्रमुख बिंदु 

  • कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने इन विशेष अदालतों की स्थापना के लिये 767.25 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान लगाया है।
  • विभाग ने गृह मंत्रालय को बताया है कि इस कार्य के लिये 474 करोड़ रुपए की ज़रूरत होगी|
  • अनुमान लगाया गया है कि बलात्कार और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट (POSCO) के मामलों के लिये कुल 1,023 FTSC (फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों) की स्थापना की जानी चाहिये। इस संबंध में विवरण गृह मंत्रालय को भेजा गया है|
  • नई योजना हाल ही में एक अध्यादेश का हिस्सा बनी जो अदालतों को 12 साल से कम उम्र के बच्चों से बलात्कार करने के दोषी ठहराए जाने वालों को मौत की सज़ा देने की इज़ाज़त देता है।
  • आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश के माध्यम से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), साक्ष्य अधिनियम और पास्को अधिनियम में संशोधन किया गया है।
  • इस योजना में भौतिक आधारभूत संरचना और अभियोजन मशीनरी को मज़बूत करना, निचली अदालतों के लिये न्यायिक अधिकारियों की आवश्यक संख्या का प्रावधान, लोक अभियोजकों के अतिरिक्त पदों का सृजन, समर्पित जाँचकर्त्ताओं और विशेष फोरेंसिक किट सहित अनेक घटकों को शामिल किया जाएगा।
  • महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, अधिकार विहीन लोगों और वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित मामलों के विचारण के लिये देश भर में 524 फास्ट ट्रैक कोर्ट पहले से ही कार्यरत हैं।
  • 524 फास्ट ट्रैक कोर्ट में से 100 महाराष्ट्र में, 83 उत्तर प्रदेश में, 39 तमिलनाडु में, 38 आंध्र प्रदेश में और 34 तेलंगाना में स्थापित हैं| अध्यादेश के हिस्से के रूप में प्रस्तावित विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट विशेष रूप से बलात्कार और बाल बलात्कार के मामलों का निपटारा करेंगे|
  • आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश के अनुसार, ऐसे मामलों से निपटने के लिये नए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किये जाएंगे और बलात्कार के मामलों के लिये विशेष फोरेंसिक किट दीर्घ अवधि तक सभी पुलिस स्टेशनों और अस्पतालों को प्रदान किये जाएंगे।
  • यह अध्यादेश बलात्कार के अपराधियों के लिये कड़ी सज़ा का प्रावधान करता है विशेष रूप से 16 साल तथा 12 साल से कम आयु की लड़कियों के मामले में। 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ बलात्कार के मामले में मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है।
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