अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और मंगोलिया संबंध
- 09 Jan 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और मंगोलिया ने हाइड्रोकार्बन तथा इस्पात क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की है।
प्रमुख बिंदु
- भारत ने ‘मंगोलियाई रिफाइनरी परियोजना’ को समय पर पूरा करने के लिये अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की ताकि मंगोलिया की पहली तेल रिफाइनरी स्थापित की जा सके।
- विदित हो कि मंगोलिया की ‘ग्रीनफील्ड मंगोल रिफाइनरी’ का निर्माण भारत सरकार की क्रेडिट लाइन के तहत किया जा रहां है।
- इस पहली रिफाइनरी से मंगोलिया की ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी आएगी।
- यह परियोजना ऐसे समय में शुरू हुई है जब मंगोलिया, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहा है, ज्ञात हो कि मंगोलिया के पास बड़े यूरेनियम भंडार मौजूद है और इसने भारत के साथ वर्ष 2009 में असैन्य परमाणु सहयोग समझौता भी किया था।
- भारत सदैव से ही चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), जिसका उद्देश्य एशिया, यूरोप और अफ्रीका आदि में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर तकरीबन 8 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करना है, का विरोध करता रहा है, क्योंकि भारत का मत है कि चीन की यह पहल इसमें शामिल देशों को कर्ज के जाल में फँसाती है और उनकी संप्रभुता का सम्मान नहीं करती, साथ ही इस पहल में पर्यावरण संबंधी चिंताओं को भी संबोधित नहीं किया गया है।
- भारत ने भारतीय इस्पात उद्योग को कोकिंग कोल की आपूर्ति में मंगोलियाई कंपनियों की उत्सुकता का स्वागत किया है। एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2025 तक कोकिंग कोल के सबसे बड़े आयातक के रूप में चीन से भी आगे निकल जाएगा।
- इसके अलावा भारत खनिज, कोयला और इस्पात के क्षेत्र में मंगोलियाई कंपनियों के साथ और अधिक भागीदारी बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
- भारत ने मंगोलिया की विकासात्मक प्राथमिकताओं के अनुरूप क्षमता निर्माण सहित तेल एवं गैस क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता को साझा करने की इच्छा व्यक्त की है।
भारत-मंगोलिया संबंध
- ऐतिहासिक संबंध
- भारत और मंगोलिया अपनी साझा बौद्ध विरासत के कारण आध्यात्मिक रुप से जुड़े हुए हैं।
- राजनयिक संबंध
- भारत ने वर्ष 1955 में मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये क्योंकि मंगोलिया ने भारत को ‘आध्यात्मिक पड़ोसी’ और रणनीतिक साझेदार घोषित किया था, इस तरह भारत, सोवियत ब्लॉक के बाहर उन शुरुआती देशों में से एक था, जिन्होंने मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये थे।
- भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत वर्ष 2015 में पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री मंगोलिया गए थे।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
- मंगोलिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सीट के लिये भारत की सदस्यता हेतु अपने समर्थन को एक बार फिर दोहराया है।
- चीन के कड़े विरोध के बावजूद भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) समेत प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मंचों में मंगोलिया को सदस्यता दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) में मंगोलिया को शामिल करने का भी समर्थन किया।
- मंगोलिया ने भारत और भूटान के साथ बांग्लादेश की मान्यता के लिये वर्ष 1972 के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया था।
- अन्य फोरम जिनमें दोनों देश सदस्य हैं: एशिया-यूरोप मीटिंग (ASEM) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) आदि।
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में भारत एक सदस्य देश है, जबकि मंगोलिया एक पर्यवेक्षक देश है।
- आर्थिक संबंध
- भारत और मंगोलिया के बीच वर्ष 2019 में 38.3 मिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था, जबकि वर्ष 2018 में यह 52.6 मिलियन डॉलर था।
- रक्षा सहयोग
- दोनों देशों के बीच ‘नोमाडिक एलीफैंट’ नाम से संयुक्त अभ्यास का आयोजन किया जाता है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद विरोधी और काउंटर टेररिज़्म ऑपरेशन हेतु सैनिकों को प्रशिक्षित करना है।
- मंगोलिया द्वारा आयोजित ‘खान क्वेस्ट’ (Khaan Quest) नामक एक वार्षिक संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास में भारत भी सक्रिय रूप से हिस्सा लेता है।
- पर्यावरणीय मुद्दों पर सहयोग
- दोनों देश बिश्केक घोषणा (Bishkek Declaration) का हिस्सा हैं।
- सांस्कृतिक संबंध
- संस्कृति मंत्रालय (भारत) ने राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) के तहत मंगोलियाई कंजूर के 108 संस्करणों को फिर से बनाने की परियोजना शुरू की है।
- केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय मार्च 2022 तक ‘राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन’ (NMM) के तहत ‘मंगोलियाई कंजूर’ के 108 संस्करणों के पुनर्मुद्रण की परियोजना शुरू की है।
- सहयोग के अन्य क्षेत्र
- भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से सौर ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरा है, ऐसे में दोनों देशों द्वारा सौर ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग किया जा सकता है।
- मंगोलिया के खनन क्षेत्र विशेषकर कॉपर और यूरेनियम आदि में भी दोनों देशों के बीच सहयोग की काफी संभावनाएँ हैं।
- भारत, मंगोलिया के असंगठित और व्यापक पैमाने पर बिखरे हुए किसानों एवं दूध विक्रेताओं के लिये सहकारी समितियों के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता साझा कर सकता है।
आगे की राह
- मध्य एशिया, पूर्वोत्तर एशिया, सुदूर पूर्व चीन और रूस के क्रॉस जंक्शन पर स्थित मंगोलिया की रणनीतिक अवस्थिति विश्व की प्रमुख शक्तियों को इसकी ओर आकर्षित करती है।
- भारत-मंगोलियाई संस्कृति की साझी विरासत को संरक्षित करना और बढ़ावा देना ज़रूरी है। यह भविष्य में दोनों देशों के हितों को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है।
स्रोत: पी.आई.बी.