भारत-विश्व
भारत-मंगोलिया संबंध
- 21 Sep 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में मंगोलियाई राष्ट्रपति कोट्टमगिगी/खल्टमागीन बत्तुलगा/खाल्तमागिन बटुल्गा (Khaltmaagii Battulga) ने भारत का दौरा किया। यात्रा के दौरान दोनों देशों ने न केवल रणनीतिक साझेदारी के विस्तार पर बल दिया, बल्कि आध्यात्मिक भाईचारे में एक रणनीतिक संबंध के रूपांतरण पर भी विशेष ज़ोर दिया।
प्रमुख बिंदु
- दोनों देशों ने अंतरिक्ष सहयोग और आपदा प्रबंधन पर समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किये हैं जो भारत-मंगोलिया रणनीतिक साझेदारी को एक नया आयाम प्रदान करेगा।
- दोनों पक्षों ने मंगोलिया में स्थापित होने वाले साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण केंद्र के निर्माण के लिये परियोजना का भी जायजा लिया।
- भारत और मंगोलिया के नियमित सैन्य अभ्यासों का नाम "नोमैडिक एलीफेंट" (Nomadic Elephant) और "खान क्वेस्ट" (Khaan Quest) रखा गया है।
- वर्ष 2020 में भारत और मंगोलिया के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 65वीं वर्षगाँठ होगी।
महत्त्व
- भारत ने वर्ष 1955 में मंगोलिया के साथ अपने राजनयिक संबंध स्थापित किये क्योंकि मंगोलिया ने भारत को "आध्यात्मिक पड़ोसी" और रणनीतिक साझेदार घोषित किया।
- भारत और भूटान के साथ मंगोलिया ने वर्ष 1972 में एक स्वतंत्र देश के रूप में बांग्लादेश की मान्यता के लिये प्रसिद्ध संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव (UN Resolution) को सह-प्रायोजित किया था।
- पिछले दस वर्षों में किसी मंगोलियाई राष्ट्रपति की यह प्रथम भारत यात्रा है। यह यात्रा भारत-मंगोलिया द्विपक्षीय संबंधों में मील का पत्थर साबित होगी।
- मंगोलिया पारंपरिक रूप से संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का समर्थन करता रहा है।
- मंगोलिया ने योग के शिलालेख (Yoga’s inscription) के लिये यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (UNESCO’s Intangible Cultural Heritage) की सूची में भारत के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।
- मंगोलिया ने सार्वजनिक रूप से UNSC में स्थायी सीट के लिये भारत की सदस्यता का समर्थन किया दोहराया है।
संवाद वार्ता
- SAMVAAD वार्ता बौद्ध धर्म से संबंधित समकालीन मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिये विभिन्न देशों के बौद्ध धर्मगुरुओं, विशेषज्ञों एवं विद्वानों को एक मंच प्रदान करती है।
- "संवाद", संस्कृत शब्द "संवदम्" से उत्पन्न हुआ है [इसका अर्थ है 'संवाद']
शांति के लिये एशियाई बौद्ध सम्मेलन (ABCP) की आम सभा
General Assembly of Asian Buddhist Conference for Peace (ABCP)
- इसकी शुरुआत वर्ष 1969-70 में उलानबटार, (मंगोलिया) में भगवान बुद्ध के अनुयायियों, भिक्षुओं और स्वयंसेवकों दोनों के स्वैच्छिक आंदोलन के रूप में हुई थी, जो शांति, सद्भाव, करुणा और प्रेम-दया के लिये अपनी शिक्षा को प्रचारित करने और कार्यान्वित करने का प्रयास करते हैं।
- इसका उद्देश्य सार्वभौमिक शांति, सद्भाव और एशिया के निवासियों के बीच सहयोग को मज़बूत बनाने के समर्थन में बौद्धों के प्रयासों को एक साथ लाना है।
- वर्ष 2019 में शांति के लिये एशियाई बौद्ध सम्मेलन (ABCP) की आमसभा की 50वीं वर्षगाँठ मनाई जा रही है।
पृष्ठभूमि
- भारत मंगोलिया के साथ अपने घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों को बहुत महत्त्व देता है।
- भारत और मंगोलिया 'सामरिक साझीदार' ही नहीं बल्कि अपनी साझा बौद्ध विरासत से जुड़े 'आध्यात्मिक पड़ोसी' भी हैं।
- पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में अब बुनियादी ढाँचे, अंतरिक्ष और डिजिटल संपर्क जैसे कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग का विस्तार हो रहा है।
- दोनों देश साइबर सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन, खनन और पशुपालन के क्षेत्र में भी परस्पर सहयोग कर रहे हैं।
सदियों से दोनों देशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान दोनों के संबंधों का आधार रहा है। भारत के बौद्ध भिक्षु और व्यापारी शांति, सद्भाव एवं मित्रता के संदेश के साथ मंगोलिया गए। इसी प्रकार समय के साथ-साथ मंगोलियाई विद्वान और तीर्थयात्री बौद्ध अध्ययन एवं आध्यात्मिक लाभ के लिये भारत आए और यह परंपरा निरंतर रूप से जारी है। भारत आज बौद्ध अध्ययन में लगे लगभग 800 मंगोलियाई छात्रों की मेजबानी करने का विशेषाधिकार रखता है। दोनों देशों की सरकारें एक दूसरे के साथ मिलकर कार्य करने के लिये प्रतिबद्ध है, ताकि दोनों देशों के नागरिकों की समृद्धि हेतु पारस्परिक सामरिक भागीदारी को और अधिक मज़बूत बनाते हुए विस्तारित किया जा सके।