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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत ने श्रीलंका और चीन के संबंधों की गलत व्याख्या की है : नमल राजपक्षे

  • 08 Feb 2017
  • 7 min read

सन्दर्भ 

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के ज्येष्ठ पुत्र एवं सांसद नमल राजपक्षे का कहना है कि भारत ने चीन के साथ श्रीलंका के संबंधों को गलत दृष्टिकोण से देखा है और इनकी गलत व्याख्या की है| दरअसल, श्रीलंका ठोस राजनीतिक विश्वास, परस्पर लाभप्रद साझेदारी तथा दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती को और गहरा करने की दिशा में काम करना चाहता है। 

चर्चा में क्यों ? 

  • चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग और श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने 7 फरवरी को एक-दूसरे को बधाई संदेश भेजकर चीन-श्रीलंका कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगाँठ की बधाई दी है।
  • शी जिनपिंग ने अपने बधाई संदेश में कहा कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना के बाद पिछले 60 सालों में द्विपक्षीय संबंध विश्व में परिवर्तित आवोहवा की कसौटी पर खरे उतरे हैं और स्वस्थ विकास का रुझान बरकरार रहा है। 
  • शी जिनपिंग ने कहा कि वह दोनों देशों के संबंध को बड़ा महत्त्व देते हैं और 'वन बेल्ट वन रोड' प्रस्ताव के समर्थन को लेकर श्रीलंका के प्रशंसक हैं। 
  • वहीं, सिरिसेना ने भी बधाई संदेश में कहा है कि श्रीलंका-चीन मैत्री का इतिहास बहुत पुराना है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना के बाद पिछले 60 सालों में द्विपक्षीय संबंधों का लगातार स्वस्थ विकास होते हुए अब दोनों देशों रणनीतिक साझेदार के स्तर तक पहुँच गए हैं। 
  • श्रीलंका चीन के साथ संबंध को मज़बूत करने को तैयार है और विश्वास है कि 'वन बेल्ट वन रोड' के प्रस्ताव के तहत प्राचीन समुद्री रेशम मार्ग के आधार पर श्रीलंका-चीन सहयोग का नया दौर आएगा और श्रीलंका-चीन संबंध लगातार आगे बढ़ते रहेंगे।

पृष्ठभूमि

  • ध्यातव्य है कि श्रीलंका में महिंदा राजपक्षे के दौर में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत गंभीर रूप से चिंतित था| वर्तमान में, सिरिसेना के राष्ट्रपति बनाने के पश्चात भी श्रीलंका-चीन संबंध उत्तरोत्तर प्रगति कर रहे हैं| ऐसे में भारत की चिंता स्वाभाविक है|
  • जिस समय सिरिसेना का भारत दौरा हुआ तब भारत, श्रीलंका की स्थिति को लेकर कुछ हद तक निश्चिंत था|
  • भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उनको न्यौता देना भी इसी ओर इशारा करता है| गौरतलब है कि भारत, श्रीलंका के हम्बन टोटा में वाणिज्यक दूतावास खोल रहा है|
  • इसी जगह पर चीन के निवेश से हम्बनटोटा में बंदरगाह का निर्माण कार्य पूरा हुआ है, जिसे भारत, श्रीलंका पर चीन के बढ़ते प्रभाव के तौर पर देखता था|
  • हाल ही में जब एक चीनी पनडुब्बी कोलंबो पहुँची, तो भारत के लिये यह और भी चिंताजनक स्थिति बन गई थी| वस्तुतः भारत की नज़र में यह हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने की चीन की अप्रत्यक्ष कोशिश थी|
  • दरअसल, इसके बाद भारत ने श्रीलंका के समक्ष कई तरह के प्रश्न खड़े किये, हालाँकि भारत की तरफ से उठाए गए इन सवालों के जो जवाब मिले उनसे दोनों देशों के बिगड़ रहे कूटनीतिक रिश्तों को दुरुस्त करने में कोई मदद नहीं मिली|
  • वस्तुतः श्रीलंका की सामपुर कोयला परियोजना भारत के लिये स्पष्ट संकेत था कि महिंदा राजपक्षे की दिलचस्पी चीनी परियोजनाओं में अधिक है और वह भारतीय परियोजनाओं को ज़्यादा महत्व नहीं दे रहे थे|
  • इन्हीं परिस्थितियों में श्रीलंका को लेकर भारत में नाराज़गी का माहौल पैदा हुआ|
  • राष्ट्रपति पद संभालने के एक महीने के बाद मोदी का न्यौता स्वीकार करके सिरिसेना ने दिखाया कि वह दोनों देशों के रिश्तों को वापस पटरी पर लाने के लिए इच्छुक हैं|
  • एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत निश्चित रूप से इस क्षेत्र में किसी और देश की मौजूदगी नहीं देखना चाहता है|
  • यहाँ तक कि सिरिसेना द्वारा भारत का दौरा ऐसे समय पर किया था जब श्रीलंका कई मुश्किलों का सामना कर रहा था |
  • गौरतलब है कि भारत ने श्रीलंका की मदद तब की थी जब श्रीलंका पर एक अमेरीकी रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के सामने पेश की गई थी, लेकिन भारत ने श्रीलंका के खिलाफ वोटिंग का बहिष्कार किया था |

बेहतर संबंधों को दिशा 

  • श्रीलंका और भारत के बीच पहले कुछ मुद्दे थे, खासकर अंतरराष्ट्रीय संगठनों को लेकर| नमल राजपक्षे का मानना है कि भारत की आबादी 1.4 अरब है और अगर हम भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाकर रख सकें तो हमें किसी और देश की ज़रूरत नहीं होगी|
  • हालाँकि, कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं जिन्हें भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिये श्रीलंका को सुलझाना है| 
  • श्रीलंका की जल सीमा में प्रवेश करने वाले भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने की कार्रवाई ने भी तमिलनाडु को उकसा दिया था|
  • श्रीलंकाई राष्ट्रपति सिरिसेना के सामने एक चुनौती यह भी है कि वह भारत को यह भरोसा दिलाएँ कि श्रीलंका गुटनिरपेक्षता की नीति में विश्वास करता है ताकि उसे भारत से आर्थिक सहायता और पूंजी निवेश मिलता रहे|
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