लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत में कार्बन डाईऑक्साइड के सांद्रण में वृद्धि

  • 27 Jun 2017
  • 4 min read

संदर्भ
भारत में पहली बार वायुमंडलीय कार्बनडाई ऑक्साइड के सांद्रण का अवलोकन करने से यह स्पष्ट हो गया है कि इसका सांद्रण सुरक्षा मानकों से अधिक हो गया है तथा यह विश्व के अन्य भागों में पाए गए सांद्रण के समान ही है।  

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 1950 से ही वैज्ञानिक हवाई स्थित मौना लोआ जैसी वेधशालाओं और वर्ष 1990 से उपग्रहों द्वारा लिये गए चित्रों का उपयोग कर वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्साइड के सांद्रण का मापन कर रहे हैं। 
  • वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्साइड के 350 अणुओं के अतिरिक्त अन्य गैसों के कई लाख अणुओं को असुरक्षित माना गया है।  कार्बन डाईऑक्साइड का यह सांद्रण अत्यधिक ऊष्मा को अवशोषित कर लेता है जिससे विश्व में जलवायु संबंधी कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं तथा कार्बन डाईऑक्साइड के सांद्रण को कम करना अपेक्षाकृत कठिन हो जाता है।  
  • मोना लोआ की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में कार्बन डाई ऑक्साइड का वैश्विक औसत 400 पीपीएम था जबकि इसी वर्ष भारत में कार्बन डाईऑक्साइड का औसत स्तर 399 पीपीएम था।
  • वास्तव में जब केप रामा (गोवा में स्थित एक तटीय स्टेशन) में कार्बन डाईऑक्साइड के सांद्रण का अवलोकन किया गया तब यह पाया गया कि यहाँ कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर 408 पीपीएम था।  प्राप्त किये गए ये आँकड़े ओर्बिटिंग कार्बन ऑब्जर्वेटरी-2 (ओसिओ-2) नामक उपग्रह द्वारा किये गए अवलोकन पर आधारित थे। 
  • विदित हो कि ओर्बिटिंग कार्बन ऑब्जर्वेटरी -2 नासा का उपग्रह है जिसका उपयोग पर्यावरण की निगरानी करने के लिये किया जाता है।  इससे यह पता चला कि मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में कार्बन डाईऑक्साइड का 405 पीपीएम से 410 पीपीएम के मध्य था। 
  • दक्षिण भारत और पश्चिमी तट पर कार्बन डाईऑक्साइड का सांद्रण 395 पीपीएम तथा 400 पीपीएम के मध्य था जबकि भारत के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में यह 400 से 405 पीपीएम के मध्य था।  

कार्बन डाईऑक्साइड के सांद्रण में वृद्धि का कारण

  • कार्बन डाईऑक्साइड के इतने अधिक सांद्रण के कारणों को बता पाना मुश्किल प्रतीत होता है, परन्तु इसके कुछ संभावित कारण इस प्रकार हो सकते हैं—कार्बन डाईऑक्साइड के सिंक का अभाव, जंगलों में लगने वाली आग, जैव ईंधनों का जलना आदि। पड़ोसी क्षेत्रों से होने वाले गैसीय परिवहन भी मौसम की स्थिति को प्रभावित करते हैं। सामान्यतः शीत ऋतु में कार्बन डाईऑक्साइड के स्तर में वृद्धि हो जाती है जिसका कारण वनस्पतियों में कमी का होना है। विदित हो कि इस अध्ययन के लिये वर्ष 2015 के मार्च से जुलाई तक के समय का अवलोकन किया गया था।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2