विद्युत मंत्रालय की वार्षिक समीक्षा (भाग दो) | 11 Jan 2018
चर्चा में क्यों?
भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 तक देश भर में 24x7 बिजली प्रदान करने के लिये बड़े पैमाने पर कार्यक्रम शुरू किया गया है। ग्रामीण विद्युतीकरण पर दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (Deen Dayal Upadhyaya Gram Jyoti Yojana - DDUGJY), शहरी विद्युतीकरण पर एकीकृत ऊर्जा विकास योजना (Integrated Power Development Scheme - IPDS) तथा मार्च 2019 तक सौभाग्य योजना (SAUBHAGYA scheme) के तहत अलग-अलग घरेलू विद्युतीकरण उपायों पर बल दिया जा रहा है।
जवाबदेहिता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु मोबाइल अनुप्रयोग और वेबसाइटें
ऊर्जा (शहरी ज्योति अभियान) मोबाइल एप URJA (Urban Jyoti Abhiyan) Mobile App
- यह एप उपभोक्ता शिकायत निवारण, नए सेवा कनेक्शन जारी करने, उपभोक्ता द्वारा महसूस की गई बाधाओं की औसत संख्या, उपभोक्ता द्वारा महसूस की गई बाधाओं की औसत अवधि, ई-भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या, ऊर्जा हानि/बिजली की चोरी, आईटी सक्षमता (गो-लाइव ऑफ टाउन्स), स्काडा का कार्यान्वयन, शहरी व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण, राष्ट्रीय पावर पोर्टल पर फीडर डेटा, आईपीडीएस एनआईटी की प्रगति, आईपीडीएस पुरस्कार की प्रगति के बारे में जानकारी उपलब्ध कराता है।
सौभाग्य वेबपोर्टल (‘Saubhagya’ Web-Portal)
- 'सौभाग्य' वेब पोर्टल – पारदर्शी सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण की निगरानी के लिये एक प्लेटफॉर्म को दिनांक 16 नवंबर, 2017 को शुरू किया गया।
राष्ट्रीय विद्युत पोर्टल (National Power Portal-NPP)
- राष्ट्रीय विद्युत पोर्टल (एनपीपी) - भारतीय पावर सेक्टर सूचना के समेकन और प्रसार के लिये एक केंद्रीयकृत प्लेटफॉर्म है।
- इस पोर्टल पर मंत्रालय द्वारा पूर्व में आरंभ किये गए सभी पावर सेक्टर एप्स के लिये एक सिंगल प्वाइंट इंटरफेस उपलब्ध कराया जाएगा।
ई-बिडिंग पोर्टल (E-Bidding portal)
- घरेलू कोयले के उपयोग के लिये उदारवादी योजना के तहत ई-बिडिंग समाधान उपलब्ध कराने के लिये 5 जुलाई, 2017 को एक ई-बिडिंग पोर्टल की शुरूआत की गई।
- ई-बिडिंग पोर्टल को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि इससे राज्यों को संभावित आईपीपी से पारदर्शी एवं उचित प्रक्रिया में बिजली खरीदने हेतु बोलियाँ आमंत्रित करने में सुविधा हो।
- इसके अंतर्गत सफलतम बोलीदाता का चयन ई-रिवर्स बिडिंग प्रक्रिया के ज़रिये किया जाएगा।
- घरेलू कोयले के उपयोग से संबंधित उदारवादी योजना में अधिक सक्षम आईपीपी उत्पादक केंद्रों को कोयला अंतरित करने की परिकल्पना की गई है, जिसके फलस्वरूप उत्पादन की लागत को कम किया जा सके और अंतत: उपभोक्ताओं पर बिजली की लागत का बोझ कम पड़े।
मेरिट वेब पोर्टल
(Merit Order Despatch of Electricity for Rejuvenation of Income and Transparency-MERIT web portal)
- वेब पोर्टल ‘मेरिट’ को 23 जून, 2017 को शुरू किया गया।
- यह मोबाइल एप और वेब पोर्टल राज्यों द्वारा प्रेषित वास्तविक आँकड़ों को पारदर्शी रूप से प्रदर्शित करता है।
- साथ ही राज्यों को उनकी बिजली खरीद पोर्टफोलियो में सुधार के लिये अवसर भी मुहैया करता है।
नेशनल हाई पावर टेस्ट लेबोरेट्री का कमर्शियल परीक्षण शुरू किया गया
(National High Power Test Laboratory - NHPTL)
- एनएचपीटीएल, एनटीपीसी, एनएचपीसी, पावरग्रिड, डीवीसी और सीपीआरआई का संयुक्त उद्यम है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऑन-लाइन हाई पावर शॉर्ट सर्किट टेस्ट सुविधा का एनपीपीटीएल, बीआईएनए, सीपीआरआई, एमपी पर्यवेक्षण के तहत वाणिज्यिक परीक्षण शुरू किया है।
- बीएचईएल, भोपाल ने 400 / 11.5-11.5 केवी 120 एमवीए स्टेशन ट्रांसफार्मर का परीक्षण किया।
- यह एनएचपीटीएल, बीआईएनए में पहला वाणिज्यिक परीक्षण किया गया है।
- इसका सीपीआरआई इंजीनियर्स की देख-रेख में जाँच के लिये स्रोत के रूप में 400kV ग्रिड का इस्तेमाल किया गया।
देश का पहला फासर मापन इकाई परीक्षण सुविधा
(Country’s First Phasor Measurement Unit Test Facility)
- सीपीआरआई द्वारा देश की पहली फासर मापन यूनिट (Phasor Measurement Unit -PMU) परीक्षण की सुविधा स्थापित की है।
- अस्थायी 6135 ए/पीएमयूसीएएल फसार मापन यूनिट कैलिब्रेशन सिस्टम (Phasor Measurement Unit Calibration system) पीएमयू परीक्षण और कैलिब्रेशन के लिये एक स्वचालित प्रणाली और ट्रेसलेस समाधान है।
- पीएमयू एम-क्लास और पी-क्लास राज्य और प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार गतिशील स्थितियों का मूल्यांकन करने हेतु यह एक अनोखी सुविधा है।
- फसार मापन इकाइयाँ आधुनिक बिजली ग्रिड की स्थिरता और विश्वसनीयता की रक्षा के लिये वास्तविक समय में कंप्यूटर नियंत्रण को सक्षम बनाता है।
- पीएमयू के लिये नए परीक्षण और मानकों ने पीएमयू निर्माताओं में लगातार प्रदर्शन को बढ़ावा दिया है।
ऊर्जा संरक्षण हेतु आरंभ किये गए कार्यक्रम
राष्ट्रीय एलईडी कार्यक्रम
- प्रधानमंत्री द्वारा 5 जनवरी, 2015 को राष्ट्रीय एलईडी कार्यक्रम को सस्ती दरों पर सबसे कुशल प्रकाश प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुभारंभ किया।
- इस कार्यक्रम के दो घटक हैं –
1. सभी के लिये किफायती उन्नत ज्योति (उजाला) घरेलू उपभोक्ताओं के लिये एलईडी बल्ब प्रदान करने के साथ-साथ 77 करोड़ तापदीप्त बल्बों को बदलने हेतु एलईडी बल्बों का प्रयोग।
2. सड़क प्रकाश राष्ट्रीय कार्यक्रम (Street Lighting National Programme - SLNP) को बदलने के लिये मार्च 2019 तक स्मार्ट और ऊर्जा कुशल एलईडी स्ट्रीट लाइट के साथ 1.34 करोड़ पारंपरिक स्ट्रीट लाइट्स को बदला जाएगा। - ईईएसएल ने एक सेवा मॉडल विकसित किया है ताकि नगर पालिकाओं को एलईडी के साथ पारंपरिक रोशनी को बिना किसी अग्रिम लागत पर बदला जा सके।
- ऊर्जा की बचत के मुताबिक शेष राशि नगर पालिकाओं के माध्यम से पुनः प्राप्त की जाती है।
- 5 जनवरी, 2015 को शुरू होने के बाद से 18 दिसंबर, 2017 तक राष्ट्रीय एलईडी कार्यक्रम के कार्यान्वयन की वर्तमान प्रगति निम्नानुसार है:
उपकरणों के मानक और लेबलिंग
- इनवर्टर एसी के लिये अनिवार्य कार्यक्रम की शुरुआत।
- कमरे की एसी, डायरेक्ट कूल रेफ्रिजरेटर, रंगीन टीवी और गीजर के लिये मानकों में संशोधन।
- एलईडी बल्ब के लिये चार परीक्षण प्रयोगशालाओं को स्थापित करने की खातिर सीपीआरआई के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर।
इमारतें
- ऊर्जा संरक्षण भवन कोड के नवीनीकृत संस्करण मसलन ईसीबीसी 2017 जून में शुरू किया गया था।
- ईको-निवास एक ऑनलाइन उपकरण है, जो अपने घरों में ऊर्जा दक्षता तत्वों को शामिल करने के लिये लोगों को निर्देशित करता है, जैसे भवन निर्माण सामग्री, इसकी डिजाइन सुविधाएँ और उपकरण लॉन्च किये गए हैं।
प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) योजना
Perform, Achieve and Trade (PAT) Scheme
- पीएटी चक्र तृतीय 1 अप्रैल, 2017 से 11 मौजूदा क्षेत्रों में 116 अधिक डीसी की पहचान के साथ यानी कुल 737 डीसी शुरू हुआ।
- वाणिज्यिक भवन श्रेणी के तहत होटल 1000 से अधिक ऊंची ऊर्जा खपत वाले पेट्रोरसायन इकाइयों और 100,000 से अधिक ऊर्जा की खपत वाले पेट्रोकेमिकल इकाइयों को पीएटी स्कीम के तहत नए क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
- ई-स्कर्स व्यापार आधारभूत संरचना पर ऑनलाइन पोर्टल, जिसे बीईई द्वारा केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (Central Electricity Regulatory Commission - CERC) के सहयोग से विकसित किया गया है, के ज़रिये अब तक 18.4 करोड़ रुपए की कुल लागत पर 2.9 लाख ई-स्क्वर्ट से ज्यादा कारोबार किया गया है।
परिवहन क्षेत्र
- यात्री कारों के लिये कॉरपोरेट औसत ईंधन खपत मानक (Corporate Average Fuel Consumption Standards - CAFC), जो अप्रैल 2015 को अधिसूचित किया गया था, 1 अप्रैल, 2017 को प्रभावी हो गया है।
- भारी शुल्क वाहनों के लिये ईंधन अर्थव्यवस्था के नियम 16 अगस्त, 2017 को अधिसूचित किये गए। ये नियम एम 3 (बसों) और एन 3 (ट्रक्स) श्रेणी के वाहनों के लिये लागू होते हैं जो 2 टन से अधिक सकल वज़न के वाहन बीएस 4 के मानदंडों का पालन करते हैं।
- सरकार मांग समूह के ज़रिये 10000 ई-वाहन खरीदने की योजना बना रही है।
- खुला निविदा के ज़रिये निविदाएँ आमंत्रित की गईं और चरण-1 के तहत अनुबंध को 150 ई-कारों मैसर्स महिंद्रा ऐंड महिंद्रा लिमिटेड और 250 ई-कारों को टाटा मोटर्स लिमिटेड को दिया गया है, जिसमें पाँच साल का वार्षिक रखरखाव अनुबंध (Annual Maintenance Contract -AMC) शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेशन (International Cooperation - IC)
- नई दिल्ली में 30 मार्च, 2017 को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency - IEA) की बैठक में भारत ने आईईए के साथ सहयोग की घोषणा की।
- 8 नवंबर, 2017 को पेरिस में “सहमत संयुक्त कार्य कार्यक्रम 2018-2020” को लेकर भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के साथ विमर्श किया गया था।