अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-लिथुआनिया संबंध
- 27 Nov 2023
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:क्लेपेडा बंदरगाह, बाल्टिक देश, सागरमाला परियोजना, भारत का ITEC कार्यक्रम, लिथुआनिया के पड़ोसी देश मेन्स के लिये:भारत-लिथुआनिया संबंधों के प्रमुख पहलू |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री और लिथुआनिया गणराज्य के विदेश मंत्रालय में उप मंत्री ने भारत व लिथुआनिया के बीच समुद्री द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये नई दिल्ली में बैठक की।
बैठक के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- विनियस में रेज़िडेंट मिशन का उद्घाटन: विनियस में भारत के रेज़िडेंट मिशन के उद्घाटन की सराहना की गई, इसे लिथुआनिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने वाला एक महत्त्वपूर्ण कदम बताया गया।
- द्विपक्षीय व्यापार वृद्धि: भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 472 मिलियन अमेरिकी डॉलर की निरंतर वृद्धि का हवाला देते हुए द्विपक्षीय व्यापार के सकारात्मक प्रक्षेपवक्र पर ज़ोर दिया, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग में निरंतर वृद्धि का संकेत है।
- पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पर सहयोग और क्लेपेडा पोर्ट के लाभ: चर्चा सहयोग के अवसरों की खोज, बंदरगाह बुनियादी ढाँचे के विकास में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाने पर केंद्रित थी।
- इस सहयोग का उद्देश्य पूर्वी यूरोप में महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों के प्रवेश द्वार के रूप में लिथुआनिया की रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाना है।
- चर्चा का केंद्र बिंदु क्लेपेडा बंदरगाह के विशिष्ट फायदों पर आधारित था, विशेष रूप से इसकी वर्ष भर बर्फ मुक्त स्थिति पर।
- कंटेनर ट्रांसशिपमेंट के लिये अग्रणी बाल्टिक बंदरगाह के रूप में यह पूर्वी यूरोप के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों के लिये लाभप्रद भूमि संपर्क का दावा करते हुए व्यापार को सुविधाजनक बनाने में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
- विविध निवेश अवसर: भारत ने व्यापक आर्थिक साझेदारी और सतत् विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पोर्ट आधुनिकीकरण (PPP), पोर्ट कनेक्टिविटी, तटीय शिपिंग, समुद्री प्रौद्योगिकी, सागरमाला परियोजना और डीकार्बोनाइज़ेशन पहल सहित विभिन्न क्षेत्रों में लिथुआनिया के लिये निवेश के अवसरों की एक शृंखला प्रस्तुत की।
भारत-लिथुआनिया संबंधों के प्रमुख पहलू क्या हैं?
- ऐतिहासिक संबंध
- भाषायी समानताएँ: लिथुआनियाई और संस्कृत भाषाएँ, भाषायी समानताएँ साझा करती हैं, जो प्राचीन संबंधों का संकेत हैं।
- पूर्व-ईसाई लिथुआनिया में प्रकृति की पूजा की जाती थी और वे देवताओं की त्रिमूर्ति - परकुनास, पैट्रिम्पास एवं पिकुओलिस का सम्मान करते थे।
- बौद्धिक आदान-प्रदान: 19वीं सदी के दार्शनिक विदुनास ने वेदांत से प्रेरित एक दार्शनिक प्रणाली का निर्माण करते हुए लिथुआनियाई और हिंदू आध्यात्मिक संस्कृति के बीच समानताएँ बनाईं।
- एंटानास पोस्का और माटस साल्सियस जैसे लिथुआनियाई यात्रियों ने 1930 और 1940 के दशक में संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति को गहराई से जाना।
- 1970 के दशक में संस्कृत, विनियस विश्वविद्यालय के शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बन गई, जिससे भारत और लिथुआनिया के बीच शैक्षणिक संबंधों को बढ़ावा मिला।
- भाषायी समानताएँ: लिथुआनियाई और संस्कृत भाषाएँ, भाषायी समानताएँ साझा करती हैं, जो प्राचीन संबंधों का संकेत हैं।
- राजनीतिक संबंध:
- मान्यता: भारत ने वर्ष 1991 में USSR से लिथुआनिया की स्वतंत्रता को स्वीकार किया तथा वर्ष 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित किये।
- दूतावास एवं वाणिज्य दूतावास: लिथुआनिया ने वर्ष 2008 में नई दिल्ली में अपना दूतावास स्थापित किया तथा वर्तमान में भारत में इसके तीन मानद वाणिज्य दूत हैं।
- भारत का एक मानद वाणिज्य दूत वर्ष 2014 से विनियस में कार्य कर रहा है।
- भारत-लिथुआनिया फोरम: इसकी शुरुआत वर्ष 2010 में हुई, जो संस्कृति, शिक्षा, व्यवसाय तथा विज्ञान को शामिल करते हुए बहुआयामी संबंधों को बढ़ावा देता है।
- व्यापार गतिशीलता:
- लिथुआनिया से प्रमुख भारतीय आयात: सब्जियाँ, लकड़ी तथा लकड़ी से निर्मित वस्तुएँ, कपड़ा, विद्युत मशीनरी और उपकरण, लोहा व इस्पात, ऑप्टिकल, फोटोग्राफिक एवं मापने के उपकरण।
- लिथुआनिया को प्रमुख भारतीय निर्यात: परमाणु बॉयलर और रिएक्टर, भेषजीय पदार्थ (Pharmaceutical Products), मछली, कार्बनिक रसायन, तंबाकू एवं निर्मित तंबाकू, कपड़ा, लोहा और इस्पात।
- सांस्कृतिक सहभागिता
- योग तथा आध्यात्मिक रुचि: लिथुआनियाई लोग भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं, विशेषकर योग में गहरी रुचि रखते हैं। लिथुआनिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC): 400 से अधिक लिथुआनियाई नामांकित आवेदकों ने भारत के ITEC कार्यक्रम के तहत विभिन्न पाठ्यक्रमों में भाग लिया, जिससे परस्पर विद्वत्ता एवं सहयोग को बढ़ावा मिला।