नौसैनिक अभ्यास ‘ग्रुप सेल’ | 10 May 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत, अमेरिका, जापान और फिलीपींस के युद्धपोतों ने दक्षिण चीन सागर में छह दिवसीय नौसैनिक अभ्यास ‘ग्रुप सेल’ (Group Sail) में हिस्सा लिया।
प्रमुख बिंदु
- यह अभ्यास 3-9 मई के मध्य आयोजित किया गया था। इसमें भारत की तरफ से आईएनएस कोलकाता और आईएनएस शक्ति शमिल हुए।
- इसका उद्देश्य देशों के बीच साझेदारी बढ़ाने के साथ ही भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देना था।
- इस अभ्यास में भाग लेने से सुरक्षित समुद्री वातावरण सुनिश्चित करने के लिये समान विचारधारा वाले देशों के साथ भारत के सहयोग करने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।
- इस दौरान दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक और विस्तारवादी व्यवहार को ध्यान में रखते हुए भारत ने अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता का सम्मान करने और 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि (UNCLOS) सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार चलने की सभी देशों की आवश्यकता को दोहराया है।
- यह अभ्यास ऐसे समय में हुआ है जब भारत उत्तरी हिंद महासागर में बढ़ती चीनी गतिविधियों पर नज़र रख रहा है जहाँ चीनी जहाज़ों और पनडुब्बियों की उपस्थिति बढ़ रही है।
मुद्दे
- दक्षिण चीन सागर के रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण जलमार्ग पर चीन द्वारा पूरी तरह से दावा किया जाता है, जबकि यह वियतनाम, फिलीपींस, इंडोनेशिया एवं चीन के मध्य विवादस्पद है।
- ज्ञातव्य है कि समुद्र में हाइड्रोकार्बन का विशाल भंडार होने का अनुमान है।
- वर्ष 2016 में हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (Permanent Court of Arbitration) ने UNCLOS के तहत फिलीपींस द्वारा चीन के खिलाफ लाए गए एक दावे पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें लगभग हर बिंदु पर फैसला फिलीपींस के पक्ष में था।
- यद्यपि चीन इस न्यायालय की स्थापना की संधि पर हस्ताक्षर करने वाला राष्ट्र है इसके बावजूद उसने अदालत के इस फैसले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
- वर्ष 2017 में चीन ने जिबूती में अपनी पहली विदेशी सैन्य सुविधा (Overseas Military Facility) शुरू की और वह अपने महत्त्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के हिस्से के रूप में अफ्रीका के पूर्वी तट, तंज़ानिया और केन्या में बुनियादी ढाँचे में भी भारी निवेश कर रहा है।
- ये गतिविधियाँ चीन की भारत को चारों ओर से घेरने की कोशिश को दर्शाती हैं, जिसे ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ (String of Pearls) कहा जाता है।
- ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ हिंद महासागर क्षेत्र में संभावित चीनी इरादों से संबंधित एक भू-राजनीतिक सिद्धांत है, जो चीनी मुख्य भूमि से सूडान पोर्ट तक फैला हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS)
- संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UN Convention on the Law of the Sea-UNCLOS) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो विश्व के सागरों और महासागरों पर देशों के अधिकार और ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करती है और समुद्री साधनों के प्रयोग के लिये नियमों की स्थापना करती है।
- संयुक्त राष्ट्र ने इस कानून को वर्ष 1982 में अपनाया था लेकिन यह नवंबर 1994 में प्रभाव में आया। उल्लेखनीय है कि उस समय यह अमेरिका की भागीदारी के बिना ही प्रभावी हुआ था।
- संधि के प्रमुख प्रावधान:
- क्षेत्रीय समुद्र के लिये 12 नॉटिकल मील सीमा का निर्धारण।
- अंतर्राष्ट्रीय जलडमरूमध्य के माध्यम से पारगमन की सुविधा।
- द्वीपसमूह और स्थलबद्ध देशों के अधिकारों में वृद्धि।
- तटवर्ती देशों हेतु 200 नॉटिकल मील EEZ (Exclusive Economic Zone) का निर्धारण।
- राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर गहरे समुद्री क्षेत्र में खनिज संसाधनों के दोहन की व्यवस्था।