अंतर्राष्ट्रीय संबंध
कृषि सहयोग पर भारत-इज़रायल समझौता
- 26 May 2021
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और इज़रायल ने कृषि सहयोग बढ़ाने के लिये तीन वर्षीयकार्य योजना समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
प्रमुख बिंदु
तीन वर्षीय कार्य समझौता
- इस कार्ययोजना का उद्देश्य मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों को विकसित करना, नए केंद्र स्थापित करना, उत्कृष्टता केंद्रों की मूल्य शृंखला को बढ़ाना, उत्कृष्टता केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों को सहयोग के लिये प्रोत्साहित करना है।
- भारत और इज़राइल दोनों ‘भारत-इज़रायल कृषि परियोजना उत्कृष्टता केंद्र’ और ‘भारत-इज़रायल उत्कृष्टता गाँव’ (IIVOE) को लागू कर रहे हैं।
भारत-इज़राइल कृषि परियोजना
- भारत-इज़रायल कृषि सहयोग परियोजना को वर्ष 2008 में गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट समझौते पर आधारित तीन वर्षीय कार्ययोजना पर हस्ताक्षर के बाद शुरू किया गया था।
- दोनों देशों ने 50 मिलियन डॉलर का एक कृषि कोष बनाया है, जो डेयरी, कृषि प्रौद्योगिकी और सूक्ष्म सिंचाई पर केंद्रित है।
- मार्च 2014 तक पूरे भारत में कुल 10 उत्कृष्टता केंद्र संचालित थे, जो इज़रायली तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए कुशल कृषि तकनीकों पर किसानों के लिये मुफ्त प्रशिक्षण सत्र प्रदान कर रहे हैं।
भारत-इज़रायल उत्कृष्टता गाँव (IIVOE)
- यह एक नई अवधारणा है जिसका लक्ष्य आठ राज्यों में कृषि क्षेत्र में एक आदर्श पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, जिसमें 75 गाँवों में 13 उत्कृष्टता केंद्र भी शामिल हैं।
- यह कार्यक्रम किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि को बढ़ावा देगा और उनकी आजीविका को बेहतर करेगा, साथ ही पारंपरिक खेतों को भारत-इज़रायल कृषिकार्य योजना (IIAP) मानकों के आधार पर आधुनिक-प्रगतिशील कृषि क्षेत्र में बदलेगा।
- इज़रायल की आधुनिक प्रौद्योगिकियों और कार्यप्रणाली के साथ यह मूल्य शृंखला दृष्टिकोण पूर्णतः स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप होगा।
- ‘भारत-इज़रायल उत्कृष्टता गाँव’ कार्यक्रम में: (1) आधुनिक कृषि अवसंरचना, (2) क्षमता निर्माण, (3) बाज़ार से जुड़ाव पर ध्यान दिया जाएगा।
भारत-इज़रायल द्विपक्षीय संबंध:
ऐतिहासिक संबंध:
- दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शुरू हुआ।
- वर्ष 1965 में इज़रायल ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारत को M-58 160-mm मोर्टार गोला बारूद की आपूर्ति की।
- यह उन कुछ देशों में से एक था जिन्होंने वर्ष 1998 में भारत के पोखरण परमाणु परीक्षणों की निंदा नहीं करने का फैसला किया था।
आर्थिक सहयोग:
- दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 1992 के 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में (मुख्य रूप से हीरा व्यापार शामिल है) वर्ष 2018-19 में 5.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर (रक्षा को छोड़कर) तक पहुँच गया, जिसमें भारत के पक्ष में व्यापार संतुलन 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- कुल द्विपक्षीय व्यापार में हीरों का व्यापार लगभग 40% है।
- भारत एशिया में इज़रायल का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
- इज़रायल की कंपनियों ने भारत में ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार, रियल एस्टेट, जल प्रौद्योगिकियों में निवेश किया है और भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्र या उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
- इज़रायल-भारत औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार कोष (I4F) से पहले अनुदान प्राप्तकर्ता की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी, जिसमें कुशल जल उपयोग, संचार बुनियादी ढाँचे में सुधार, सौर ऊर्जा उपयोग के माध्यम से भारतीयों और इज़रायलियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये काम करने वाली कंपनियों को शामिल किया गया है।
- इस फंड का उद्देश्य इज़रायली उद्यमियों को भारतीय बाज़ार में प्रवेश कराने में मदद करना है।
रक्षा सहयोग:
- इज़रायल लगभग दो दशकों से भारत के शीर्ष चार हथियार आपूर्तिकर्त्ताओं में से एक है, हर वर्ष लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सैन्य बिक्री होती है।
- भारतीय सशस्त्र बलों ने पिछले कुछ वर्षों में इज़रायली हथियार प्रणालियों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल किया है, इसमें फाल्कन AWACS (हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली) तथा हेरॉन, सर्चर-द्वितीय तथा हारोप ड्रोन से लेकर बराक एंटी मिसाइल रक्षा प्रणालियों और स्पाइडर विमान भेदी मिसाइल प्रणाली शामिल हैं।
- अधिग्रहण में कई इज़रायली मिसाइलें और सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री भी शामिल है, जिसमें ‘पायथन’ और ‘डर्बी’ हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लेकर ‘क्रिस्टल मैज़’ तथा स्पाइस-2000 बम शामिल हैं।
कोविड -19 प्रतिक्रिया:
- वर्ष 2020 में एक इज़रायली टीम बहु-आयामी मिशन के साथ भारत पहुँची, जिसका कोड नेम ‘ऑपरेशन ब्रीदिंग स्पेस’ था, इसे कोविड -19 प्रतिक्रिया पर भारतीय अधिकारियों के साथ काम करने हेतु बनाया गया था।