अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश
- 01 Feb 2018
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चर्चा में क्यों?
वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन (World Steel Association) द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2017 (लगातार तीसरे वर्ष) में भी भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश रहा है।
- एक लंबे समय से चौथे स्थान पर बने रहने के बाद वर्ष 2015 में भारत स्टील उत्पादन के संबंध में तीसरे प्रमुख राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया। वर्ष 2015 तक इस स्थान पर अमेरिका का कब्जा था।
- इस सूची में चीन और जापान का क्रमशः प्रथम एवं दूसरा स्थान रहा।
वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन
- वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन एक गैर-लाभकारी संस्था है।
- इसका मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स में स्थित है।
- इसका दूसरा मुख्यालय बीजिंग (चीन) में अवस्थित है।
- वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन (वर्ल्ड स्टील) की स्थापना 10 जुलाई, 1967 को इंटरनेशनल आयरन एंड स्टील इंस्टीट्यूट के रूप में की गई थी।
- 6 अक्तूबर, 2008 को इसका नाम बदलकर वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन कर दिया गया।
- वर्ल्ड स्टील, 160 से अधिक इस्पात उत्पादकों (दुनिया की 10 सबसे बड़ी स्टील कंपनियों में से 9 सहित), राष्ट्रीय और क्षेत्रीय इस्पात उद्योग संघों और इस्पात अनुसंधान संस्थानों का प्रतिनिधित्व करता है।
- वर्ल्ड स्टील के सदस्य 85% विश्व इस्पात उत्पादन का प्रतिनिधित्व करते हैं।
लक्ष्य
- स्टील उद्योग का मुख्य फोकस सभी महत्त्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों (विशेष रूप से आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक स्थिरता वाले) पर वैश्विक नेतृत्व प्रदान करना है।
- पर्यावरण संरक्षण, प्रौद्योगिकी, सुरक्षा और लोगों के विकास के क्षेत्र में सशक्त विश्लेषण और वैश्विक सुधार पहल को बढ़ावा देना।
- दुनिया भर में बड़े पैमाने पर स्टील को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ इसके लिये वैश्विक बाज़ार के विकास के अवसरों को बढ़ावा देना।
- वैश्विक इस्पात उद्योग (global steel industry) और इसकी मूल्य श्रृंखला (value chain) के संबंध में समय-समय पर विश्व स्तरीय आर्थिक डेटा और विश्लेषण प्रदान करना, साथ ही स्टील से संबंधित सभी आयामों का मूल्यांकन करना।
- दुनिया भर में सभी बाहरी हितधारकों और मुख्य व्यापारियों के बीच स्टील उद्योग हेतु जागरूकता, समझ और समर्थन को बढ़ावा प्रदान करना।
- स्टील के संबंध में बाज़ारी प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना ताकि इस संबंध में निष्पक्ष व्यापार (सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त) को बढ़ावा दिया जा सके।