नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत नवाचार सूचकांक 2020: नीति आयोग

  • 22 Jan 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग द्वारा भारत नवाचार सूचकांक रिपोर्ट, 2020 जारी की गई, इसमें कर्नाटक ने प्रमुख राज्यों की श्रेणी में अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा।

भारत नवाचार सूचकांक

जारीकर्त्ता संस्थान

  • यह सूचकांक नीति (National Institution for Transforming India) आयोग द्वारा ‘इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस’ (The Institute for Competitiveness) के सहयोग से जारी किया जाता है।

वैश्विक नवाचार सूचकांक पर आधारित: 

  • इस सूचकांक को भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने और इन क्षेत्रों में नवाचार से संबंधित नीतियाँ तैयार करने के लिये वैश्विक नवाचार सूचकांक की तर्ज पर विकसित किया गया है।

दृष्टिकोण:

  • इस सूचकांक को पारंपरिक दृष्टिकोण के इतर ‘प्रति मिलियन आबादी पर पेटेंट’, ‘वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशन’, ‘अनुसंधान पर जीडीपी खर्च का प्रतिशत’ जैसे नवोन्मेष सर्वोत्तम मापदंडों पर विचार करके जारी किया जाता है।
  • यह भारतीय अर्थव्यवस्था को समग्र रूप से कवरेज करने के लिये विशिष्ट संकेतकों का उपयोग करता है (उदाहरण- जनसांख्यिकी लाभांश)।

प्रयुक्त संकेतक:

  • इस सर्वेक्षण में उपयोग किये जाने वाले संकेतकों में विभिन्न मापदंडों पर शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता शामिल है।
    • पीएचडी छात्रों की संख्या और ज्ञान-गहन रोज़गार।
    • इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में नामांकन तथा अत्यधिक कुशल पेशेवरों की संख्या।
    • अनुसंधान एवं विकास में निवेश, पेटेंट और ट्रेडमार्क के लिये किये गए आवेदनों की संख्या।
    • इंटरनेट उपयोगकर्त्ता।
    • FDI अंतर्वाह, कारोबारी माहौल, सुरक्षा और कानूनी वातावरण।

प्रमुख बिंदु:

श्रेणियाँ: नवाचार सूचकांक को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है- प्रमुख राज्य, केंद्रशासित प्रदेश और पहाड़ी एवं उत्तर-पूर्व के राज्य।

Best-performer

प्रमुख राज्य:

  • शीर्ष राज्य: इस श्रेणी में कर्नाटक 42.5 के स्कोर के साथ शीर्ष पर रहा।
    • राज्य की सफलता का श्रेय उच्च उद्यम पूंजी सौदों, पंजीकृत भौगोलिक संकेतक, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी निर्यात और उच्च FDI प्रवाह को दिया गया है।
    • महाराष्ट्र के दूसरे स्थान पर होने के अलावा चार दक्षिणी राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल सूचकांक में शीर्ष स्थान पर हैं।
  • निम्न राज्य: झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार का स्कोर सूचकांक में सबसे कम है, जिससे उन्हें ‘प्रमुख राज्यों’ की श्रेणी में सबसे नीचे रखा गया है।
    • बिहार 14.5 अंकों के साथ अंतिम स्थान पर रहा।

पहाड़ी और पूर्वोत्तर राज्य:

  • पहाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों की रैंकिंग में हिमाचल प्रदेश सबसे ऊपर है, इसके बाद उत्तराखंड, मणिपुर और सिक्किम हैं।

केंद्रशासित प्रदेश/छोटे राज्य:

  • दिल्ली ने 46.6 के स्कोर के साथ देश में सबसे अधिक अंक प्राप्त किये हैं, जबकि लक्षद्वीप का स्कोर सबसे कम 11.7 है।
    • दिल्ली ने पिछले वित्तीय वर्ष में नए स्टार्ट-अप और कंपनियों की स्थापना के साथ सबसे अधिक ट्रेडमार्क और पेटेंट आवेदन दर्ज किये हैं।

चुनौतियाँ:

  • अनुसंधान में निजी निवेश को आकर्षित करना: भारत सरकार अनुसंधान एवं विकास के लिये एक प्रमुख ऋणदाता की भूमिका निभाती है, जबकि निजी क्षेत्र का निवेश इज़राइल की तुलना में बहुत कम है, जहाँ अनुसंधान एवं विकास में निजी कंपनियों द्वारा किये गए निवेश का हिस्सा 70% है।
  • उत्तर-दक्षिण विभाजन को संतुलित करना: रिपोर्ट के निष्कर्ष में दक्षिणी राज्यों ने उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है।
    • नवाचार में क्षेत्रीय असमानता को कम करने के लिये राज्यों की अभिनव क्षमताओं (प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के अंतर के साथ) को स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • शीर्ष राज्यों द्वारा किये गए नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिये इन्हें प्रलेखित और प्रसारित किया जाना चाहिये।
  • राज्य स्तरीय नीतियों के सूक्ष्म विश्लेषण की आवश्यकता: भारत जैसे बड़े देश को प्रभावी नीति निर्माण हेतु नवाचार की स्थिति को क्षेत्रीय स्तर पर समझने की आवश्यकता है।
    • सूचकांक के आधार पर प्रत्येक राज्य को अपने विशिष्ट संसाधनों और शक्तियों के आधार पर अपनी स्वयं की नीति तैयार करने की आवश्यकता होती है, जो उसकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करती है।

सुझाव:

  • अनुसंधान में अधिक निवेश करना: भारत को अनुसंधान एवं विकास पर निवेश को बढ़ाने की आवश्यकता है जो कि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.6-0.7% है। यह इज़राइल (4.3%), दक्षिण कोरिया (4.2%), अमेरिका (2.8%) और चीन (2.1%) जैसे देशों के स्तर से काफी कम है।  
  • उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच अधिक सहयोग से तथा अनुसंधान और विकास पर निवेश में वृद्धि से नवाचार क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
    • यह देश में शीर्ष अनुसंधान संस्थानों की क्षमता को व्यापक और बेहतर बना सकता है जिससे अधिक-से-अधिक नवाचार क्षमताओं का सृजन किया जा सके।
  • एक सहयोगी प्लेटफॉर्म की स्थापना: नवाचार के सभी हितधारकों को उद्योग से जोड़ने के लिये नवप्रवर्तकों, शोधकर्त्ताओं और निवेशकों हेतु एक सामान्य मंच विकसित किया जाना चाहिये।
    • यह उद्योग-अकादमिक संपर्क को मज़बूती प्रदान करने में सहायता करेगा और अपने आविष्कारों को प्रदर्शित करने के लिये नवप्रवर्तकों को एक मंच प्रदान कर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।

स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow