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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत अमेरिकी मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची में

  • 19 Apr 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका ने भारत समेत 11 देशों को उनकी मुद्रा के व्यवहार को लेकर ‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ (करेंसी मैनिपुलेटर्स वॉच लिस्ट) में रखा है।

  • दिसंबर 2020 की रिपोर्ट में भारत इस सूची में था। वर्ष 2019 में यूएस ट्रेज़री विभाग ने भारत को अपनी ‘करेंसी मैनिपुलेटर्स वॉच लिस्ट’ में प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की सूची से हटा दिया था।

प्रमुख बिंदु:

करेंसी मैनिपुलेटर्स:

  • यह अमेरिकी सरकार द्वारा उन देशों का एक वर्गीकरण है, जिनके बारे में अमेरिका यह  महसूस करता है कि वे देश डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा का जान-बूझकर अवमूल्यन करके "अनुचित मुद्रा व्यवहारों" में संलग्न हैं।
  • अर्थात् किसी देश द्वारा दूसरे देश की तुलना में अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिये अपनी मुद्रा के मूल्य को कृत्रिम रूप से कम किया जाना।
  • इसका कारण यह है कि अवमूल्यन के कारण उस देश से होने वाले निर्यात की लागत कम हो जाएगी और इसके परिणामस्वरूप कृत्रिम रूप से व्यापार घाटे में कमी प्रदर्शित होगी।

करेंसी मैनिपुलेटर्स वॉच लिस्ट:

  • यूएस ट्रेज़री विभाग द्वारा व्यापारिक भागीदार देशों की एक सूची बनाई जाती है जिसमें ऐसे भागीदार देशों की मुद्रा के व्यवहार और उनकी वृहद आर्थिक नीतियों पर नजदीकी से नज़र रखी जाती है।
    • यह US के 20 सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों के मुद्रा व्यवहारों की समीक्षा करता है।

मानदंड:

  • वर्ष 2015 के ‘ट्रेड फैसिलिटेशन एंड ट्रेड इंफोर्समेंट एक्ट’ में तीन में से दो मानदंडों को पूरा करने वाली अर्थव्यवस्था को वॉच लिस्ट में रखा जाता  है। इनमें यह भी शामिल है:
    • अमेरिका के साथ महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष- जो 12 महीने की अवधि में कम-से-कम 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो।
    • 12 महीने की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के कम-से-कम 2% के बराबर चालू खाता अधिशेष।
    • निरंतर, एकतरफा हस्तक्षेप- जब 12 महीने की अवधि में देश की जीडीपी के कम-से-कम 2% के बराबर कुल विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद बार-बार की जाती है।
  • तीनों मानदंडों को पूरा करने वाले देशों को यूएस ट्रेज़री विभाग द्वारा करेंसी मैनिपुलेटर्स के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

वर्तमान सूची:

  • सूची में अन्य देश:
    • भारत के साथ सूची में अन्य 10 देश- चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और मैक्सिको को भी इस सूची में रखा गया है।
  • चीन में विकास प्रक्रिया की संदिग्धता:
    • वर्ष 2020 में चीन में आर्थिक विकास अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से अधिक हुआ, लेकिन यह विनिर्माण के फिर से शुरू होने और विशेष रूप से चिकित्सा आपूर्ति, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक्स की बाहरी मांग में वृद्धि से प्रेरित है।
    • चीन की रिकवरी के बारे में लगातार सवाल बना हुआ है क्योंकि उसकी घरेलू खपत में वृद्धि अनुपस्थित है।
    • विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप में चीन की विफलता और इसकी विनिमय दर तंत्र में पारदर्शिता की कमी तथा राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों की गतिविधियाँ ‘रेनमिनबी’ (चीन की मुद्रा) के विकास की करीब से निगरानी करती हैं।

भारत की स्थिति:

  • भारत को तीन में से दो मानदंडों के आधार पर इस सूची में डाला गया जो व्यापार अधिशेष और निरंतर, एकतरफा हस्तक्षेप हैं।

प्रभाव:

  • सूची में शामिल करना किसी भी तरह के दंड और प्रतिबंधों के अधीन नहीं है लेकिन यह निर्यात लाभ हासिल करने के लिये मुद्राओं के अवमूल्यन सहित विदेशी मुद्रा नीतियों के संदर्भ में वित्तीय बाज़ारों में देश की वैश्विक वित्तीय छवि को खराब करता है।

What-it-means

स्रोत- द हिंदू

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