भारत ने प्याज़ निर्यात पर प्रतिबंध लगाया | 14 Dec 2023

प्रिलिम्स के लिये :

भारत ने प्याज़ निर्यात प्रतिबंध लगाया, विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT), रबी और खरीफ सीज़न, खाद्य सुरक्षा।

मेंस के लिये:

भारत ने प्याज़ निर्यात पर प्रतिबंध लगाया, पूरे भारत में गेहूँ वितरण का वर्तमान परिदृश्य।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने प्याज़ की निर्यात नीति को ‘मुक्त’ से ‘निषिद्ध’ में परिवर्तित करने की अधिसूचना जारी करते हुए मार्च 2024 तक प्याज़ निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।

  • वर्ष 2022-23 रबी सीज़न के स्टॉक के जल्दी खत्म होने और त्योहारी मांग में वृद्धि के साथ-साथ अनुमानित कम खरीफ 2023 उत्पादन के कारण मौजूदा आपूर्ति की कमी के कारण प्याज़ की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि हुई है।
  • सरकार ने गेहूँ के लिये स्टॉक सीमा को भी संशोधित किया है, थोक विक्रेताओं के लिये स्टॉक सीमा को घटाकर 1,000 टन और खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 टन कर दिया गया है।

सरकार ने प्याज़ के निर्यात पर प्रतिबंध क्यों लगाया है?

  • मूल्य नियंत्रण: 
    • प्याज़ के निर्यात पर रोक लगाकर सरकार का लक्ष्य घरेलू बाज़ार में कीमतों में उछाल या उतार-चढ़ाव को रोकना है।
      • बढ़ती कीमतों से निपटने के लिये, केंद्र ने अक्टूबर 2023 में प्याज़ पर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया था। इससे पहले अगस्त में सरकार ने प्याज़ पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया था।
    • प्याज़ की कीमत में महत्त्वपूर्ण अस्थिरता का इतिहास रहा है और निर्यात प्रतिबंध से कीमतों को स्थिर करने में मदद मिलती है, जिससे स्थानीय उपभोक्ताओं के लिये यह अधिक किफायती हो जाता है।
  • कमी का समाधान: 
    • प्रतिकूल मौसम की स्थिति, कम उत्पादन या बढ़ी हुई मांग जैसे कारकों के कारण देश में प्याज़ की कमी हो सकती है।
    • निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि उपलब्ध आपूर्ति पहले घरेलू मांगों को पूरा करने के लिये निर्देशित हो।
  • खाद्य सुरक्षा:
    • प्याज़ भारतीय व्यंजनों का प्रमुख हिस्सा है और इसकी कोई भी कमी खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। निर्यात पर अंकुश लगाकर, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि आबादी को कमी या अप्रभावी कीमतों का सामना किये बिना यह आवश्यक खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो।

प्याज़ के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • प्याज़ अपने पाक प्रयोजनों और औषधीय मूल्यों के लिये विश्व भर में उगाई जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण बागवानी उत्पाद है।
  • चीन के बाद भारत प्याज़ का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु प्रमुख प्याज़ उत्पादक राज्य हैं।
  • वर्ष 2021-22 (तीसरा अग्रिम अनुमान) में प्याज़ उत्पादन में महाराष्ट्र 42.53% की हिस्सेदारी के साथ प्रथम स्थान पर है, उसके बाद 15.16% की हिस्सेदारी के साथ मध्य प्रदेश है।

सरकार ने गेहूँ पर स्टॉक सीमा क्यों लगाई है?

    • संशोधित स्टॉक सीमा का उद्देश्य गेहूँ स्टॉकिंग/भंडारण में शामिल संस्थाओं द्वारा जमाखोरी प्रथाओं को रोकना है। कड़ी सीमाएँ लगाकर, सरकार का इरादा इस बनावटी कमी को हतोत्साहित करना और विभिन्न हितधारकों के बीच गेहूँ का उचित वितरण सुनिश्चित करना है।
    • अत्यधिक जमाखोरी से आपूर्ति और मांग के बीच असंतुलन हो सकता है, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है जो उपभोक्ताओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
    • गेहूँ के भंडार को विनियमित करने से यह सुनिश्चित होता है कि देश की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये बाज़ार में इसकी पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहे। यह कमी को रोककर और उपभोक्ताओं के लिये इस मुख्य खाद्य पदार्थ तक पहुँच सुनिश्चित करके खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में मदद करता है।

संपूर्ण देश में गेहूँ वितरण का वर्तमान परिदृश्य क्या है?

  • चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक है किंतु गेहूँ के वैश्विक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 1% से भी कम है। यह निर्धन वर्गों को सहायिकी युक्त अन्न उपलब्ध कराने के लिये इसका एक बड़ा हिस्सा अपने पास रखता है।
  • भारत में प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गुजरात हैं।
  • प्रमुख निर्यात गंतव्य (2022-23): मुख्य रूप से गेहूँ का निर्यात बांग्लादेश, इंडोनेशिया, कोरिया गणराज्य, संयुक्त अरब अमीरात एवं यमन गणराज्य को किया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:  (2018) 

  1. केवल वे ही परिवार सहायता प्राप्त खाद्यान्न लेने की पात्रता रखते हैं जो ‘‘गरीबी रेखा से नीचे’’ (बी.पी.एल) श्रेणी में आते हैं।  
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार की मुखिया होगी।  
  3. गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छ: महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) 1 और 2   
(b) केवल 2
(c) 1 और 3   
(d) केवल 3

उत्तर: B


मेन्स:

प्रश्न. अब तक भी भूख और गरीबी भारत में सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। मूल्यांकन कीजिये कि इन भारी समस्याओं से निपटने में क्रमिक सरकारों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिये उपाय सुझाइये। (2017)

प्रश्न. अनाज वितरण प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने हेतु सरकार द्वारा कौन-कौन से सुधारात्मक कदम उठाए गए  हैं? (2019)