भारत में कुष्ठ रोग की वापसी | 24 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के मुताबिक, दुनिया के 66 प्रतिशत कुष्ठ रोग (Leprosy) से पीड़ित लोग भारत में मौजूद हैं।
प्रमुख बिंदु:
- भारत ने आधिकारिक रूप से वर्ष 2005 में कुष्ठ रोग को समाप्त कर दिया था और उस समय राष्ट्रीय स्तर पर इसकी प्रसार दर 0.72 प्रति 10,000 लोगों तक पहुँच गई थी।
- WHO के अनुसार, रोग समाप्ति का अर्थ उस स्थिति से है जब प्रसार दर 1 प्रति 10000 पर होती है।
- आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016-17 के दौरान भारत में कुष्ठ रोग के 1,35,485 मामले सामने आए थे।
- मार्च 2017 तक देश के 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 53 जिलों में कुष्ठ रोग की प्रसार दर 2 प्रति 10,000 पाई गई थी।
- ये राज्य थे बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दादरा और नगर हवेली, लक्षद्वीप तथा दिल्ली।
कुष्ठ रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी का कारण
- वर्ष 2005 में भारत आधिकारिक तौर पर कुष्ठ रोग से मुक्त देश बन गया था, कुष्ठ रोग मुक्ति की घोषणा के साथ ही उन स्वास्थ्य कर्मियों के रोग उन्मूलन संबंधी प्रयास भी कम हो गए जो वर्ष 2005 तक ग्रामीण इलाकों में रोग की पहचान करने और उसके निवारण में सहायता कर रहे थे। कुष्ठ रोग की ओर अधिक ध्यान न दिये जाने के कारण इसके पीड़ितों में लगातार बढ़ोतरी होती गई।
आगे की राह
- उन क्षेत्रों की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करना आवश्यक है जहाँ कुष्ठ रोग के सर्वाधिक मामले दर्ज किये जा रहे हैं।
- भारत को कुष्ठ रोग के उन्मूलन संबंधी एक स्पष्ट रणनीति और उसके कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
कुष्ठ रोग क्या है?
- कुष्ठ रोग दीर्घकालिक संक्रामक रोग है, जो मुख्यतः माइकोबैक्टेरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) के कारण होता है। संक्रमण के बाद औसतन पाँच साल की लंबी अवधि के पश्चात् रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, क्योंकि माइकोबैक्टेरियम लेप्री धीरे-धीरे बढ़ता है। यह मुख्यत: मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आँखों और शरीर के कुछ अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है।
- रोग को पॉसीबैसीलरी (PB) या मल्टीबैसीलरी (MB) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो कि बैसीलरी लोड पर निर्भर करता है। PB कुष्ठ रोग अपेक्षाकृत कम घातक रोग है, जिसे कुछ (अधिकतम पाँच) त्वचा के घावों (पीला या लाल) द्वारा पहचाना जाता सकता है। जबकि MB कई (अधिक-से-अधिक) त्वचा के घावों, नोड्यूल, प्लाक/प्लैक, मोटी त्वचा या त्वचा संक्रमण से जुड़ा है।
कुष्ठ रोग उन्मूलन हेतु ‘राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम’
- वर्ष 1955 में सरकार ने राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया। वर्ष 1982 से मल्टी ड्रग थेरेपी की शुरुआत के बाद देश से कुष्ठ रोग के उन्मूलन के उद्देश्य से वर्ष 1983 में इसे राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) के रूप में बदल दिया गया।
- इस रोग के मामले की शीघ्र जानकारी और उपचार, कुष्ठ रोग उन्मूलन की कुंजी है, क्योंकि कुष्ठ रोगियों का जल्दी पता लगाने से संक्रमण के स्रोतों में कमी आएगी और रोग का संचारण भी रुकेगा। ‘आशा कार्यकर्त्री’, इस रोग के मामलों का पता लगाने में मदद कर रही हैं और सामुदायिक स्तर पर संपूर्ण उपचार भी सुनिश्चित कर रही हैं; इसके लिये उन्हें प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है।