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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत को सृजित करनी होंगी और अधिक औपचारिक नौकरियाँ

  • 27 Apr 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों ?

विश्व बैंक द्वारा जारी ड्राफ्ट विश्व विकास रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि भारतीय अनौपचारिक क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े अनौपचारिक क्षेत्रों में से एक है लेकिन यहाँ औपचारिक क्षेत्र में भुगतान अनौपचारिक क्षेत्र के मुकाबले लगभग दोगुने से भी अधिक हैं। बैंक के अनुसार अल्प और मध्यम आय वाले देशों में भले ही कार्यों का स्वभाव बदल रहा है लेकिन अभी भी वहाँ अल्प-उत्पादक रोज़गार की दशाएँ बनी हुई हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • रिपोर्ट के अनुसार भारत ने वर्ष 1999 से आईटी क्षेत्र में तेज़ी दर्ज़ की है। भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया है, उसने एक रॉकेट द्वारा लॉन्च किये गए उपग्रहों की संख्या के मामले में विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया है तथा अच्छी वार्षिक वृद्धि दर भी हासिल की है। लेकिन इस सब के बावजूद भारत का अनौपचारिक क्षेत्र लगभग 91 प्रतिशत पर बना हुआ।
  • फरवरी 2018 में भारत के संदर्भ में जारी की गई सिस्टमैटिक कंट्री डायग्नोस्टिक (एससीडी) नामक एक और मसौदा रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि भारत को वर्ष 2047 (आज़ादी की शताब्दी) तक वैश्विक मध्यम वर्ग के रैंक में शामिल होने के लिये स्व-नियोजित लोगों की बजाय बढ़ती कमाई के साथ नियमित, वेतनभोगी नौकरियाँ सृजित करने की ज़रूरत है।
  • विश्व बैंक ने कहा कि अनौपचारिक श्रमिक बाधाओं को सँभालने में संसाधनशीलता दर्शाते हैं, लेकिन वे जो व्यवसाय चलाते हैं वह उनके मालिकों की आजीविका बढ़ाने के लिये बहुत छोटे होते हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों में स्व-रोज़गार, लिखित अनुबंध और सुरक्षा रहित अनौपचारिक मज़दूरी और अल्प-उत्पादकता वाली नौकरियाँ आम बात है।
  • अनौपचारिक फर्मों को सामान्यतः अशिक्षित मालिकों द्वारा चलाया जाता है और ये अल्प-आय वाले उपभोक्ताओं को सेवाएँ प्रदान करते हैं एवं कम पूंजी का प्रयोग करते हैं।
  • अनौपचारिक फर्म औपचारिक फर्मों द्वारा प्रति कर्मचारी मूल्यवर्द्धन पर खर्च की जाने वाली पूंजी का केवल 15 प्रतिशत निवेश करती हैं और ये कभी-कभार ही औपचारिक क्षेत्र में संक्रमण कर पाते हैं।
  • बैंक के अनुसार सरकारें गरीबों हेतु निजी क्षेत्र में औपचारिक नौकरियों को प्रोत्साहन प्रदान कर सकती हैं।
  • कस्बों और गाँवों में बुनियादी ढाँचे में सुधार औपचारिक फर्मों को गरीब श्रमिकों के पास स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है।
  • इस महीने की शुरुआत में जारी 'जॉबलेस ग्रोथ?' नामक एक रिपोर्ट में, विश्व बैंक ने कहा है कि भारत को रोज़गार दर स्थिर रखनी होगी एवं प्रतिवर्ष 8 मिलियन नौकरियाँ सृजित करनी होंगी क्योंकि भारत में हर महीने कार्यशील आयु की जनसंख्या में 1.3 मिलियन की वृद्धि हो रही है।
  • भारत सरकार ने हाल ही में रोज़गार आँकड़े जारी किये, जिसमें यह दर्शाया गया है कि भारत ने पिछले साल सितंबर और फरवरी 2018 के बीच लगभग 3.46 मिलियन लोगों को औपचारिक कार्यबल से जोड़ा है।
  • हालाँकि, इन आँकडों में यह नहीं बताया गया है कि क्या ये नई नौकरियाँ और मौजूदा अनौपचारिक रोज़गार का औपचारीकरण का जीएसटी जैसे कारकों का परिणाम है। 
  • अर्थव्यवस्था में नौकरी निर्माण पर विश्वसनीय और आवधिक डेटा की कमी भारत की सांख्यिकीय प्रणाली की एक बड़ी कमज़ोरी रही है। इसने अक्सर देश में रोज़गार रहित विकास के संबंध में आरोपों और प्रत्यारोपों को जन्म दिया है।

सरकार के हालिया प्रयास 

  • हालाँकि सरकार ने हाल ही में गैर-कृषि अनौपचारिक क्षेत्र में सृजित नौकरियों की गिनती शुरू करने का फैसला किया है, जिससे देश में नौकरी सृजन के दायरे के विस्तार की संभावना बढ़ सकती है।
  • सरकार ने श्रम ब्यूरो से 10 से कम लोगों वाले प्रतिष्ठानों में सृजित की गई नौकरियों की गणना शुरू करने के लिये कहा है। इसका तात्पर्य है कि एक मालिक द्वारा या एक कर्मचारी के साथ चलने वाले  प्रतिष्ठानों और दुकानों को भी रोज़गार उत्पादक के रूप में गिना जाएगा।
  • रोज़गार सर्वेक्षण के इस नए तरीके के आधार पर आँकड़ों को इस साल के अंत या 2019 की पहली छमाही तक जारी किये जाने की उम्मीद है।
  • जुलाई 2017 में नीति आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष अरविंद पनगड़िया के नेतृत्व वाली सरकारी टास्क फोर्स ने भी औपचारिक श्रमिकों की ‘व्यावहारिक परिभाषा’ (pragmatic definition) अपनाने का सुझाव दिया था।
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