भारत में प्रति एक लाख जनसंख्या पर निश्चेतकों की संख्या मात्र ‘एक’ | 25 May 2017

संदर्भ
उल्लेखनीय है 24 मई को वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज़ ऑफ एनेस्थेशियोलॉजिस्ट (World Federation of Societies of Anaesthesiologists– WFSA) ने आधिकारिक तौर पर एक ऑनलाइन उपकरण का शुभारंभ किया जो विश्व भर में एनेस्थेसिया (anaesthesia) प्रदाताओं की कुल संख्या को मापने का कार्य करेगा| एक सर्वेक्षण के दौरान यह देखा गया कि अधिकतर देशों में प्रति लाख जनसंख्या पर निश्चेतकों की संख्या केवल 5 है| इस संस्था ने सर्जिकल (surgical) और एनेस्थेसिया कार्यबल में उभरते वर्तमान संकट की ओर भी संकेत किया| इसके अनुसार, विश्व में 5 बिलियन लोगों की सुरक्षित और वहनीय एनेस्थेसिया और शल्य चिकित्सकीय देखभाल तक पहुँच नहीं है| भारत में प्रति लाख व्यक्तियों पर निश्चेतकों की संख्या का घनत्व मात्र 1.27 है|

प्रमुख बिंदु

  • वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज़ ऑफ एनस्थेशियोलॉजिस्ट ने वर्ष 2015-16 में एक सर्वेक्षण किया था जिसमें इसके सदस्य देशों और गैर-सदस्य देशों से प्राप्त सूचनाओं को एकत्रित किया गया था| 
  • दरअसल, इस सर्वेक्षण के दौरान यह देखा गया कि अधिकतर देशों में प्रति लाख जनसंख्या पर निश्चेतकों की संख्या केवल 5 है| इस संस्था ने सर्जिकल और एनेस्थेसिया कार्यबल में उभरते वर्तमान संकट की ओर भी संकेत किया|
  • विदित हो कि विश्व में 5 बिलियन लोगों की सुरक्षित और वहनीय एनेस्थेसिया और शल्य चिकित्सकीय देखभाल तक पहुँच नहीं है|
  • भारत में प्रति लाख व्यक्तियों पर निश्चेतकों की संख्या का घनत्व मात्र 1.27 है|
  • गौरतलब है कि 7 बिलियन लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली इस संस्था के आँकड़ों ने धनी और निर्धन देशों के मध्य के अंतराल को भी रेखांकित किया है| इसके अनुसार, उच्च आय-वर्ग वाले देशों में निम्न आय-वर्ग वाले देशों की तुलना में निश्चेतकों की संख्या का औसत घनत्व अधिक है|
  • अफ्रीका, पश्चिम एशिया, कैरेबिया, मध्य व दक्षिण अमेरिका के देशों में प्रति लाख जनसंख्या पर एनेस्थेसिया प्रदाताओं की संख्या 6 से भी कम है, जबकि उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय क्षेत्रों में इसका घनत्व अधिक है|
  • ध्यातव्य है कि एनेस्थेसिया में मुख्यतः कार्यबल के मामले में संकट उभर कर आया है| उच्च आय-वर्ग वाले देशों में प्रति लाख व्यक्तियों पर एनेस्थेसिया प्रदाताओं की संख्या 20 है तथा वहाँ इससे बहुत कम लोगों की मृत्यु होती है| कम आय वर्ग वाले देशों में उच्च आय वर्ग वाले देशों की तुलना में हज़ार गुना कम प्रशिक्षु ही प्रदाता होते हैं और यहाँ की मृत्यु दर उच्च आय वर्ग वाले देशों से हज़ार गुना अधिक है|
  • हाल के महत्त्वपूर्ण लेखों से यह प्रदर्शित हुआ है कि विश्व भर में सुरक्षित एनेस्थेसिया और शल्य-चिकित्सा के प्रावधानों में काफी विसंगतियाँ हैं| वैश्विक शल्य-चिकित्सा पर लेंसेट आयोग ने यह अनुमान लगाया था कि विश्व के 7 बिलियन लोगों में से 5 बिलियन लोगों को उस समय सुरक्षित और वहनीय एनेस्थेसिया और शल्य-चिकित्सकीय देखभाल उपलब्ध नहीं होती है जब उन्हें इनकी आवश्यकता होती है| हालाँकि, शल्य-चिकित्सकीय देखभाल में एनेस्थेसिया को हमेशा अनिवार्य नहीं माना गया है| 
  • गौरतलब है कि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे में एनेस्थेसिया को सबसे कम वरीयता दी गई है|
  • एनेस्थेसिया की शिक्षा हेतु पर्याप्त मात्र में निवेश की आवश्यकता है| इसके लिये संस्था को विश्व स्वास्थ्य संगठन, अन्य विशेषज्ञ स्वास्थ्य संगठनों, सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये ताकि धनी और निर्धन देशों के मध्य के इस अंतराल को भरा जा सके तथा वर्ष 2030 तक सभी लोगों के लिये सुरक्षित एनेस्थेसिया के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके|

क्या है एनेस्थेसिया?
यह दवा (जिसे एनेस्थेटिक कहा जाता है) शल्य-चिकित्सा अथवा प्रक्रिया के दौरान दर्द पर नियंत्रण रखने के लिये प्रयोग की जाती है| यह साँ, रक्त दाब, रक्त के प्रवाह और स्पंदन दर पर नियंत्रण रखने में भी सहायता करती है| इसका उपयोग व्यक्ति को आराम देने और उसके दर्द में अवरोध उत्पन्न करने के लिये किया जाता है|

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
भारत में प्रति लाख जनसंख्या पर चिकित्सकीय एनेस्थेसिया प्रदाताओं का घनत्व 1.27 है|
भारत की जनसंख्या: 1,300,000,000
चिकित्सक:  8,83,812
शल्य–चिकित्सक: 31,560
चिकित्सकीय एनेस्थेसिया प्रदाता: 16,500
नर्स एनेस्थेसिया प्रदाता: शून्य
अन्य एनेस्थेसिया प्रदाता:  शून्य