भारत के भूजल में घुला है व्यापक मात्रा में यूरेनियम | 09 Jun 2018
संदर्भ
शोधकर्त्ताओं ने 16 भारतीय राज्यों के भूजल में व्यापक यूरेनियम संदूषण पाया है। जर्नल एन्वायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित यह निष्कर्ष भारत के भूजल में यूरेनियम की इतनी बड़ी मात्रा को लेकर पहली रिपोर्ट है।
प्रमुख बिंदु
- कई अध्ययनों से इस बात की पुष्टि होती है कि पीने के पानी में यूरेनियम की उपस्थिति के कारण गुर्दे से संबंधित ख़तरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं।
- शोधकर्त्ताओं द्वारा पिछले जल गुणवत्ता के अध्ययनों का विश्लेषण करके, उत्तर-पश्चिम भारत के 26 अन्य ज़िलों और दक्षिणी या दक्षिण-पूर्वी भारत के नौ ज़िलों में यूरेनियम के उच्च स्तर के साथ प्रदूषित जलवाही स्तरों की पहचान की गई।
- राजस्थान के कई जिलों में भूजल में सर्वाधिक यूरेनियम संदूषण पाया गया।
- भूजल में यूरेनियम के स्तर के लिये कोई निर्धारित मानक नहीं है।
कैसे किया गया शोध?
- एन्वायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित शोध के अनुसार, शोधकर्त्ताओं ने जल के गुण-धर्मों का विश्लेषण करने के लिये राजस्थान और गुजरात राज्यों के 324 कुओं से पानी के नमूने एकत्र किये।
- नमूने के एक उप-समूह में उन्होंने यूरेनियम आइसोटोप के अनुपात को मापा। उन्होंने राजस्थान, गुजरात और 14 अन्य भारतीय राज्यों में भूजल के गुण-धर्मों के 68 पिछले अध्ययनों से इसी तरह के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया।
राजस्थान का भूजल सर्वाधिक यूरेनियम संदूषित
शोधकर्त्ताओं के अनुसार राजस्थान के कई हिस्सों के भूजल में यूरेनियम का स्तर उच्च हो सकता है। राजस्थान में परीक्षण किये गए सभी कुओं में से लगभग एक-तिहाई के जल में यूरेनियम का स्तर पाया गया है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और US एन्वायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के सुरक्षित पेयजल मानकों से अधिक है।
भूजल में यूरेनियम की व्यापकता के कारण
- निष्कर्षों से पता चला है कि यूरेनियम संदूषण का मुख्य कारण प्राकृतिक है, लेकिन भूजल स्तर में गिरावट, कृषि सिंचाई के लिये भूजल का अत्यधिक दोहन और नाइट्रेट प्रदूषण जैसे मानवीय कारक इस समस्या को और अधिक बढ़ा सकते हैं।
- भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया शुरू होती है जिसके कारण भूजल में यूरेनियम का स्तर बढ़ जाता है।
निर्धारित मानक
WHO ने सुरक्षित पेयजल मानक के अंतर्गत भारत के लिये प्रति लीटर पानी में यूरेनियम की मात्रा 30 माइक्रोग्राम निर्धारित की है। यह मात्रा अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के मानकों (U.S. EPA) के अनुरूप है। इसके बावजूद, ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स ड्रिंकिंग वाटर के तहत निगरानी किये जाने वाले प्रदूषकों की सूची में यूरेनियम को शामिल नहीं किया गया है।
निष्कर्ष
- हालाँकि पिछले अध्ययनों ने भारत के केवल कुछ ही ज़िलों में उच्च यूरेनियम के स्तर को संदर्भित किया है लेकिन इस विश्लेषण ने इस तरह के प्रदूषण के बारे में एक विहंगम दृष्टिकोण प्रदान किया है।
- इस अध्ययन के नतीज़ों से स्पष्ट है कि भारत को अपने मौजूदा जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रमों को संशोधित करने और उच्च यूरेनियम प्रसार के क्षेत्रों में मानव स्वास्थ्य जोखिमों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।