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खतरे में है भारत का ताज़े पानी का भंडार

  • 19 May 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अध्ययन से भारत में जल संकट को लेकर आगाह करने वाली तस्वीर सामने आई है। इसमें भारत को उन संवेदनशील स्थानों में शामिल किया गया है, जहाँ जल स्रोतों के अत्यधिक दोहन के कारण ताज़ेपानी की उपलब्धता घट रही है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिकों ने मानव गतिविधियों के अध्ययन से उन स्थानों का पता लगाया, जहाँ ताज़े पानी की उपलब्धता में परिवर्तन हो रहा है।
  • यह इस तरह का पहला अध्ययन है जिसमें धरती की निगरानी करने वाले नासा के सैटेलाइट का उपयोग किया गया।
  • उत्तरी तथा पूर्वी भारत, पश्चिमी एशिया, कैलिफ़ोर्निया और ऑस्ट्रेलिया उन प्रमुख स्थानों में से हैं, जहाँ जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण ताज़े जल की उपलब्धता में गंभीर रूप से गिरावट दर्ज़ की गई है।
  • अध्ययन में यह भी सामने आया कि धरती के उन भू-भागों में पानी की उपलब्धता बढ़ रही है, जहाँ कोई जल संकट नहीं है। जबकि पानी की कमी वाले इलाके और सूख रहे हैं। इसके लिये मानव जल प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन समेत कई कारण हो सकते हैं।
  • अध्ययन के अनुसार, उत्तर भारत में गेहूँ और धान जैसी फसलों की सिंचाई के लिये भूजल का दोहन, पानी की उपलब्धता में हो रही तेज गिरावट का बड़ा कारण है।

इस तरह किया गया अध्ययन

अध्ययन में नासा और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर के संयुक्त मिशन ग्रैविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट (ग्रेस) अंतरिक्ष यान के 14 साल के अभियान से मिले डाटा का उपयोग किया गया। इसके आधार पर दुनिया के 34 क्षेत्रों में ताज़े पानी की प्रवृत्ति पर गौर किया गया।

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