अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना अधर में
- 21 Jun 2018
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चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के बीच जल-साझाकरण के मुद्दे पर असहमति और गैर-वन भूमि अधिग्रहण में आने वाली कठिनाई के कारण 18,000 करोड़ रुपए की लागत वाली केन-बेतवा नदियों को जोड़ने वाली परियोजना को शुरू करने में गतिरोध उत्पन्न हो रहा है।
पृष्ठभूमि
- परियोजना, जिसमें मध्य प्रदेश में पन्ना टाइगर रिज़र्व के एक हिस्से को वनों की कटाई शामिल है, को इस शर्त पर राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा मंज़ूरी दे दी गई थी कि मुआवज़े के रूप में अभयारण्य के लिये वैकल्पिक ज़मीन उपलब्ध कराई जाएगी।
- अभी इस योजना में यह सुनिश्चित किया जाना शेष है कि इस क्षेत्र में वन्यजीव गलियारों को कोई क्षति नहीं पहुँचाई जाएगी।
इस वर्ष परियोजना का शुरू होना असंभव है
- परियोजना में आने वाली एक अन्य बाधा यह है कि दोनों लाभार्थी राज्य (उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश) रबी फसल के मौसम में किस प्रकार जल साझा करेंगे इसका निर्णय नहीं हो पाया है।
- इन प्रमुख मुद्दों के कारण यह संभावना और अधिक प्रबल हो जाती है कि यह परियोजना इस वर्ष भी शुरू नहीं हो पाएगी।
- इस बीच दोनों राज्यों के बीच लगातार बढ़ता विवाद भी चिंता का विषय है तथा इस परियोजना को केंद्र सरकार के पास मंज़ूरी के लिये भेजने से पहले अन्य कई मुद्दों का समाधान करना आवश्यक है।
केन-बेतवा संपर्क परियोजना
- केन-बेतवा संपर्क परियोजना जिसे दो चरणों में पूरा करने की कल्पना की गई थी भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना है।
- इस परियोजना को अंतर्राज्यीय नदी हस्तांतरण मिशन के लिये एक मॉडल योजना के रूप में माना जाता है।
- इस परियोजना के अंतर्गत केन नदी के आधिक्य जल को बेतवा बेसिन में स्थानांतरित किया जाएगा जो सूखा प्रवण क्षेत्र बुंदेलखंड तथा इसके आस-पास के क्षेत्रों की सिंचाई में मदद करेगा।
- 230 किमी. लंबी पक्की नहर उत्तर प्रदेश के झाँसी, बाँदा और महोबा तथा मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर ज़िलों से होकर गुजरेगी।
- यह परियोजना उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में सिंचाई और पीने के पानी की ज़रूरत को भी पूरा करेगी।
इस परियोजना के कारण खतरा
- इस परियोजना में मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व के एक भाग का निर्वनीकरण किया जाना शामिल है जो कि इस पूरे रिज़र्व का लगभग 10 प्रतिशत है।
परियोजना का पहला चरण
- चरण-1 में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में 3.64 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई हेतु केन नदी से अतिरिक्त पानी स्थानांतरित करने के लिये 77 मीटर लंबे और 2 किमी चौड़े एक बांध तथा 230 किमी लंबी नहर का निर्माण किया जाना शामिल है।
- मूल रूप से इस चरण में सालाना 6,35,661 हेक्टेयर (मध्य प्रदेश में 3,69,881 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2,65,780 हेक्टेयर) सिंचाई की कल्पना की गई थी।
- इसके अलावा, परियोजना में पीने के लिये 49 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) पानी की आपूर्ति करना शामिल था।
जल साझाकरण के लिये पिछला समझौता वैध नहीं
- उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच वर्ष 2005 में एक समझौता हुआ था कि पानी कैसे साझा किया जाएगा लेकिन मध्य प्रदेश ने पिछले साल कहा था कि ये धारणाएँ अब वैध नहीं हैं और पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने का एकमात्र तरीका पहले चरण में कुछ स्थानीय जल प्रबंधन परियोजनाओं- कोटा बैराज, लोअर ओर सिंचाई परियोजना और बीना कॉम्प्लेक्स (बीना नदी परियोजना) को शामिल करना होगा। उल्लेखनीय है कि पहले इन्हें परियोजना के दूसरे चरण के रूप में परिकल्पित किया गया था।
केन नदी
- केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किमी. उत्तर की ओर बढ़ने के बाद बांदा ज़िले में यमुना में मिलती है।
बेतवा नदी
- बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले से निकलकर 576 किमी. क्षेत्र में प्रवाहित होने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना में मिलती है।
निष्कर्ष
- नदी जोड़ो परियोजना बेशक एक महत्त्वाकांक्षी और महत्त्वपूर्ण परियोजना है और इसे अमल में लाने का समुचित प्रयास होना चाहिये। सरकार को चाहिये कि राज्यों से विचार-विमर्श के बाद एक ऐसी नीति का निर्माण करे, जो जल के बँटवारे से संबंधित विवादों और जल को लेकर पर्यावरणीय एवं सामाजिक चिंताओं का समाधान कर सके। इन सुधारों पर कार्य करते हुए इस परियोजना की तरफ कदम बढ़ाया जाना चाहिये।