भारत का पहला राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण | 10 Oct 2018
चर्चा में क्यों?
जनवरी 2019 में 24 राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों के 55 ज़िलों में भारत का पहला राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण (NES) शुरू किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- सर्वेक्षण के संपूर्ण ग्रीन डेटा का पहला सेट 2020 से उपलब्ध होगा जो कि ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर निर्णय लेने के लिये नीति निर्माताओं के हाथों में एक महत्त्वपूर्ण उपकरण प्रदान करेगा।
- सर्वेक्षण विभिन्न पर्यावरणीय मानकों जैसे- वायु, जल, मिट्टी की गुणवत्ता, उत्सर्जन सूची, ठोस, खतरनाक तथा ई-अपशिष्ट, वन तथा वन्यजीव, जीव तथा वनस्पति, आर्द्रभूमि, झीलों, नदियों और अन्य जल निकायों पर व्यापक डेटा एकत्र करने के लिये ग्रिड-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से किया जाएगा।
- यह देश भर के सभी ज़िलों की कार्बन प्रच्छादन क्षमता का भी आकलन करेगा।
- NES सभी ज़िलों को उनके पर्यावरण प्रदर्शन पर रैंक प्रदान करेगा और उनकी सर्वोत्तम हरित प्रथाओं को प्रलेखित करेगा।
- जब तक नीति निर्माताओं के पास सभी पर्यावरण मानकों पर सटीक डेटा उपलब्ध नहीं होगा वे उचित निर्णय नहीं ले सकेंगे। देश का पहला पर्यावरण सर्वेक्षण मौजूदा डेटा में अंतर को भर देगा।
- वर्तमान में देश के अधिकांश मानकों पर द्वितीयक डेटा उपलब्ध है। हालाँकि, NES पहली बार सभी हरित भागों पर प्राथमिक डेटा प्रदान करेगा, जिस तरह से राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) समय-समय पर विभिन्न सामाजिक-आर्थिक डेटा एकत्र करता है।
- डेटा का पहला सेट एक वर्ष में संकलित किया जाएगा क्योंकि हमें वायु प्रदूषण और वनस्पतियों तथा जीवों के मामले में मौसमी चक्रों को कवर करने की आवश्यकता है।
- देश के सभी 716 ज़िलों में तीन से चार साल की अवधि में सर्वेक्षण किये जाने की उम्मीद है। वर्तमान में, सभी 55 ज़िलों में आवश्यक प्रारंभिक कार्य और प्रशिक्षण किया जा रहा है जहाँ अगले वर्ष NES आयोजित किया जाएगा।
- इन 55 ज़िलों में दक्षिण दिल्ली, महाराष्ट्र में पुणे और पालघर, हरियाणा में गुरुग्राम और मेवाट (नुह) शामिल हैं, हिमाचल प्रदेश में कुल्लू, बिहार में नालंदा, झारखंड में धनबाद, गुजरात में जामनगर एवं मेहसाना, राजस्थान में अलवर एवं बाड़मेर, तमिलनाडु में कोयम्बटूर एवं मदुरै, कर्नाटक में शिमोगा तथा तेलंगाना में हैदराबाद शामिल हैं।